चोली के पीछे क्या है,की खोज (Searching For Whats Behind The Bodice)

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चोली के पीछे क्या है,की खोज (Searching For Whats Behind The Bodice);

महिलाओं की चोली के पीछे केवल सिनेमा वाले ही नहीं झांके,बल्कि पूरा पुरुष प्रधान समाज झांकना चाहता है ,कभी जांच के बहाने ,तो कभी किसी और बहाने से .जबकि भारत में चोली और दामन अनादिकाल से महिलाओं की असमिलता से जुड़ी चीजें मानी जाती रहीं हैं .ये दोनों वस्त्र बाद में मुहावरे तक बन गए ,अब ये विवाद की जड़ में हैं .

देश की व्यवस्था सब दूर एक जैसी महिला विरोधी मानसिकता की होती है .व्यवस्था चाहे वामपंथिओं के सूबे की हो .या दक्षिणपंथियों के सूबे की उसका चरित्र नहीं बदलता .तमाम पंथ व्यवस्था को सुधारने की कोशिश करते हैं किन्तु नाकाम रहते हैं. केरल जैसे प्रगतिशील राज्य में नियत परीक्षा में प्रवेश के दौरान आयोजकों ने एक लड़की के अंतर्वस्त्र [चोली ,ब्रा]की तलाशी लेकर पूरी दुनिया में भारत का नाम कलंकित कर दिया .

रविवार को अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स की परीक्षा देने वाली एक लड़की के पिता ने केरल के कोल्लम में परीक्षा केंद्र के अधिकारियों पर अपनी बेटी को हॉल में प्रवेश करने से पहले उसके इनरवियर को हटाने का आदेश देने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अय्यूर में मार्थोमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के परीक्षा केंद्र में कई लड़कियों को इसी तरह के व्यवहार का सामना करना पड़ा।

देश में जांच के नाम पर अमानवीय प्रताड़ना की ये पहली घटना नहीं है ,पहले भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं ,लेकिन उनकी चर्चा जांच से आगे नहीं बढ़ी.

गनीमत ये है कि इस घटना के सामने आने के बाद केरल सरकार ने घटना को छिपाने की कोशिश नहीं की बल्कि केरल के उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने भी इस घटना को “अमानवीय और चौंकाने वाला” करार दिया और केंद्र से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने एनटीए को पत्र लिखकर आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग की।हैरानी की बात ये है कि जिस एजेंसी से इस शर्मनाक घटना की जांचकरने को कहा जा रहा है उसी एनटीए ने सोमवार को स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि ऐसी कोई घटना उसके संज्ञान में नहीं आई थी। ।एनटीए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है .


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मामला चूंकि केरल का है इसलिए केंद्र सरकार ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है और नीट परीक्षा के लिए एग्जाम हॉल पर जाने से पहले एक लड़की की ब्रा उतारने को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए से रिपोर्ट मांगी है। जिसके बाद एनटीए ने सच्चाई का पता लगाने के लिए कमेटी का गठन किया है।परीक्षाओं में नकल रोकने के नाम पर न जाने कौन-कौन से तौर तरीके अपनाये जाते रहे हैं .लड़के तो इन तरीकों का सामना भी कर लेते हैं किन्तु लड़कियों को अक्सर शर्मसार होना पड़ता है .

सवाल ये है कि आज के वैज्ञानिक युग में क्या परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए जांच के आधुनिक तरीके नहीं अपनाये जा सकते.जब हवाई अड्डों पर स्केनर लग सकते हैं तो क्या परीक्षा केंद्रों पर इन्हें नहीं लगाया जा सकता ,जिससे इस तरह की अमानवीय घटनाएं न हों .अच्छी बात ये है कि छात्राओं के इनरवियर उतरवाने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। देशभर में यह मामला गरमा गया है। तमाम संगठन इसकी निंदा कर रहे हैं। संसद में भी यह मुद्दा उठाया गया है। लेकिन यह पहली बार नहीं जब देश में कहीं इस तरह की बदसलूकी वाली घटना हुई है। पहले भी कई परीक्षाओं में ऐसी हरकतें हुई हैं, जब छात्राओं को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। एक केस में तो छात्रा ने खुदकुशी तक कर ली थी .

संतोष की बात ये है कि केरल पुलिस लगातार इस मामले में कार्रवाई कर रही है. छात्राओं के इनर वियर उतरवाने के मामले में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार लोगों में परीक्षा केंद्र बनाए गए मार्थोमा कॉलेज की दो महिला सफाईकर्मी और सेंटर की सुरक्षा में तैनात एजेंसी की तीन महिला कर्मचारी शामिल हैं. पुलिस को पता चला कि एजेंसी की कर्मचारी परीक्षा देने आईं लाइन में खड़ी छात्राओं से एक-एक कर पूछा रही थीं कि क्या उनके इनर वियर में हुक है. हां कहने पर वे छात्राओं को एक छोटे से कमरे में भेज रही थीं. वहीं दोनों सफाईकर्मी कमरे के बाहर खड़ी थीं. लगभग 90 फीसदी छात्राओं को अपने इनर वियर को उतारना पड़ा और इसे एक स्टोर रूम में रखना पड़ा. परीक्षा देने के दौरान परीक्षार्थियों को मानसिक रूप से परेशान किया गया.


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पीड़िता ने आरोप लगाया, “उन्होंने हमसे अपनी इनरवियर हाथ में लेकर वहाँ से जाने को कहा, उन्होंने कहा कि इसे यहाँ पहनने की जरूरत नहीं है। हम यह सुनकर हम बहुत शर्मिंदा हुए। यह बहुत भयानक अनुभव था। जब हम एग्जाम हॉल में लिख रहे थे तब हमने अपने बालों से सीना ढका। वहाँ लड़के-लड़कियाँ दोनों थे। यह बहुत ही कठिन और असहज स्थिति थी।” सवाल ये है कि क्या ये सब किसी विकृत मानसिकता के चलते किये गया या राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए .?

उम्मीद की जाना चाहिए कि भविष्य में देश में लड़कियों के साथ इस तरह की शर्मनाक और अमानवीय हरकतों की पुरावृत्ति नहीं होगी .मामले की जांच भी होगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी.फिलहाल जिन पांच अहिलओं को गिरफ्तार किया गया है वे तो हुक्म की गुलाम तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं .असली गुनाहगार तो कोई और ही है .यहां ये बात बह याद रखना चाहिए कि सतर्कता भी ऐसी परीक्षाओं की एक अनिवार्य जरूरत है क्योंकि लापरवाही की वजह से ही मध्य्प्रदेश में व्यापम जैसे बड़े घोटाले भी हो चुके हैं .यानि समस्या का निराकरण करना आसान नहीं है .बेहतर होता कि परीक्षा आयोजक पहले ही यानि प्रवेश पूर्व सारी सूचनाएँ छात्र-छात्रों को दे देते .