Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: सात जिलों के कलेक्टरों पर मंडरा रहा है खतरा

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अब उन सात जिलों के कलेक्टरों पर तबादले का खतरा मंडरा रहा है, जहां भाजपा के उम्मीदवार महापौर का चुनाव हारे हैं। क्योंकि, सरकार के कान भरे जाने लगे होंगे कि ग्वालियर, मुरैना, रीवा, छिंदवाड़ा, जबलपुर, कटनी और सिंगरौली के कलेक्टरों ने ठीक से चुनाव मैनेज नहीं किया इसलिए इन शहरों में भाजपा हार गई। यहां के कलेक्टरों पर सरकार की नाराजी किस तरह कहर ढाती है, ये देखना होगा। सरकार की आंख में सबसे ज्यादा अखरने वाले जिले तो ग्वालियर, मुरैना और कटनी होंगे। क्योंकि, पार्टी के सभी बड़े नेता ग्वालियर-चंबल संभाग के हैं और कटनी में भाजपा का विद्रोही उम्मीदवार जीत गया। लेकिन, जहां भाजपा के महापौर उम्मीदवार हारते-हारते जीते उन जिलों के कलेक्टरों को ईनाम भी मिल सकता है! जहां बड़ी नगर पालिकाओं में कांग्रेस जीती वहां भी उठापटक हो सकती है। खबर है कि मंत्रालय में तबादलों की कवायद शुरू हो चुकी है, समय पर ये बाहर भी आने वाली है।

कमलनाथ सरकार का फैसला पलटने से बीजेपी को हुआ नुकसान!

भाजपा में इन दिनों मंथन का दौर चल रहा है। दिखाने के लिए खुशियां मनाई जा रही है, पर किसी के पास इस प्रश्न का उत्तर नहीं है कि महापौर चुनाव प्रत्यक्ष क्यों करवाए गए! जब पार्टी को अपनी जमीनी हैसियत का पता था, तो आखिर क्या सोचकर महापौर चुनाव प्रत्क्षय करवाने की हिम्मत की गई! क्या सिर्फ कमलनाथ सरकार का फैसला पलटने के लिए शिवराज सरकार ने ये दुस्साहस किया या इसके पीछे कोई और काऱण था!

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: सात जिलों के कलेक्टरों पर मंडरा रहा है खतरा

जिस पार्टी ने पिछले निकाय चुनाव में प्रदेश की सभी 16 निगमों के महापौर पद हथियाए थे, वो सात सीटें हार गई और उज्जैन और बुरहानपुर सीट हारते हारते बची। यदि सरकार ये प्रयोग नहीं करती तो 14 महापौर भाजपा के होते। लेकिन, जो होना था वो हो गया। अब मंथन से भी कोई हल नहीं निकलने वाला। पार्टी अपनी संतुष्टि के लिए कुछ भी करे, हार तो आखिर हार है!


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कैलाश विजयवर्गीय की बात में दम!

नगर निकाय चुनाव के नतीजों के बाद अब उनकी समीक्षा का दौर जारी है। भाजपा ने सात नगर निगमों में महापौर की कुर्सी गंवा दी। अब उसके कारण तलाशे जा रहे हैं। ऐसे माहौल में ग्वालियर भाजपा को मिली हार को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की प्रतिक्रिया काफी तीखी पर तार्किक रही। उन्होंने कहा कि ग्वालियर में हम जो हारे हैं, मैं उसकी कल्पना नहीं कर रहा था। यह हमारे लिए अलार्मिंग है। क्योंकि, हम वहां एक ताकतवर ग्रुप के साथ के बावजूद हम अगर हारे हैं, तो क्यों हारे, इस पर विचार करेंगे।

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ग्वालियर-चंबल-मुरैना में भाजपा हमेशा से मजबूत रही है। जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे, तब भी भाजपा वहां लगातार जीतती रही। माधवराव सिंधिया के समय में भी भाजपा अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है। अब, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तो भाजपा को वहां और मजबूत माना जाने लगा था। पर, इस बार के नतीजों ने भाजपा को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है।

कैलाश विजयवर्गीय ने आगे कहा कि हम हार की समीक्षा करेंगे। अभी किसी को दोष देना, किसी पर जिम्मेदारी देना जल्दबाजी होगी। हमारी कोर टीम हार के कारणों पर विचार करेगी।


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कौन होगा नया सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर

सेंट्रल विजिलेंस कमीशन की बहुप्रतीक्षित बैठक आखिर गत मंगलवार को हो ही गई। बैठक में मुख्यमंत्री सतर्कता आयुक्त के अलावा दो सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी गई। यह उच्च स्तरीय बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई थी। अंदरूनी खबरों में बताया गया है कि बैठक में सुरेश एन पटेल का नाम सीवीसी के लिए मंजूर किया गया है। वर्तमान में वे कार्यवाहक सीवीसी है। आयुक्तों के जिन दो पदो पर चयन होने की खबर है उनमें से एक आई पी एस अधिकारी और एक आईएएस अधिकारी है। दोनों ही रिटायर्ड अधिकारी बताए जाते हैं।

नजरें नए राष्ट्रपति के नए सचिव पर

द्रौपदी मुर्मू आज सोमवार को नये राष्ट्रपति की शपथ ले रही है। सत्ता के गलियारों में अब नजरें उनके नये सचिव को लेकर है। हालांकि राष्ट्रपति के वर्तमान सचिव कपिल देव त्रिपाठी का कार्यकाल दो महीने बढा दिया गया है, इसलिए नये सचिव की नियुक्ति अगस्त अथवा सितंबर में होने की संभावना है।

आधा दर्जन राज्यपालों की नियुक्ति की अटकलें

केंद्र सरकार लगभग आधा दर्जन राज्यपालों की नियुक्ति कर सकती है। फिलहाल पश्चिम बंगाल में राज्यपाल का पद खाली है। हाल ही में दो राज्यपाल भी प्रधानमंत्री से मिले। इससे बदलाव की संभावना को बल मिला है। मैघालय के राज्यपाल सत्यापन मलिक का कार्यकाल भी पूरा होने को है। मुख्तार अब्बास नकवी को भी राज्यपाल बनाने की भी चर्चा है।

अस्थाना का कार्यकाल 1 साल बढ़ाया जा सकता है

दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना का एक साल का कार्यकाल 31 जुलाई को पूरा हो रहा है। बताया जाता है कि उनका कार्यकाल एक साल और बढाया जा सकता है। वे 1984 बैच के गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी है।