वॉटर बॉडीज की तलाश: MP के 10 जिले फिसड्डी

जानिए किन जिलों में हुआ अच्छा काम

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भोपाल: प्रदेश के 92 हजार जल स्त्रोत गायब बताने के बाद इन्हें लघु सिंचाई संगणना के जरिये मध्यप्रदेश के सरकारी दस्तावेजों में फिर दर्ज करने के मामले में तीन माह में 33 फीसदी काम हुआ है। पांच साल पहले 2017-18 से लघु सिंचाई गणना और जल निकायों की गणना के बाद रिकार्ड से गायब इन वाटर बॉडीज को दोबारा रिकार्ड में लाने के निर्देश तीन मई माह में दिए गए थे। इसके सर्वे की जिम्मेदारी राजस्व विभाग को सौंपी गई थी और रिपोर्ट किसान कल्याण व कृषि विभाग को भेजी जानी थी।

अब तक हुए अपडेशन में करीब 31 हजार जलस्त्रों को ही रिकार्ड में लाया जा सका है।
भारत सरकार ने मई माह में राज्य सरकार को सूचित किया था कि प्रदेश में जल निकायों की गणना के अंतर्गत 4989 जल निकायों का ही डाटा प्राप्त हुआ है। इसके बाद एमपीएसईडीसी तथा भू अभिलेख के साथ चर्चा में यह बात सामने आई थी कि रिमोट सेंसिंग सर्वे के आधार पर प्रदेश में जल निकायों की संख्या 97334 है। इसके उपरांत एमपीएसईडीसी से इसका डेटा जिलों को भेजकर उसे दुरुस्त करने के लिए कहा गया।

इन जिलों का परफार्मेंस सबसे पुअर
रिकार्ड अपडेट करने के मामले में जिन जिलों का परफार्मेंस प्रतिशत सबसे पुअर रहा है, उसमें दमोह, दतिया, सीधी, देवास, श्योपुर, कटनी, सतना, सिंगरौली, मुरैना और इंदौर टाप टेन में शामिल हैं। ये रेड जोन में शामिल किए गए हैं। इनमें से दमोह में 2357, दतिया में 817, सीधी में 1714, देवास में 2698, श्योपुर में 409, कटनी में 2006, सतना में 1588, सिंगरौली में 2009, मुरैना में 1536 और इंदौर में 625 जलस्त्रोतों को अभी तक मौके पर जाकर रिकार्ड में नहीं लिया गया है।

अब तक यह है स्थिति
अब तक की सिंचाई संगणना के आधार पर शासन को जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसके अनुसार 61396 जल स्त्रोतो का मौके पर निरीक्षण करने के बाद अपडेट करना अभी बाकी है जो कुल पेंडेंसी का 64 प्रतिशत है। इस काम को करने वाली टीमें अभी भी 1434 गांवों में नहीं पहुंची हैं।

इन जिलों का काम सबसे बेहतर
जिन जिलों का काम पिछले तीन माह में बेहतर रूप में सामने आया है, उनमें अशोकनगर, गुना, मंडला, खरगोन, ग्वालियर, खंडवा, डिंडोरी, आगर मालवा, शिवपुरी और सीहोर के नाम शामिल हैं। इन जिलों को ग्रीन जोन में शामिल किया गया है। बाकी जिलों के यलो जोन की कैटेगरी में शामिल किया गया है। राजस्व और कृषि विभाग इन कामों की मानीटरिंग भी रोज कर रहे हैं।

सेटेलाइट इमेज पर सवाल
उधर जिलों में लघु सिंचाई संगणना का काम पूरा कर रहे पटवारियों ने कई जिलों में सेटेलाइट इमेज पर भी सवाल उठाए हैं। इनकी रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि कई जिलों में जहां वाटर बॉडीज बताई जा रही हैं वहां मौके पर जाने पर जलस्त्रोत नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में इनका उल्लेख भी संगणना में किया जा रहा है।