चलना ही जिंदगी है …

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पाठशाला से छात्र-छात्राओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का आजादी के बाद के कांग्रेस के परिवार विशेष से मुक्त इतिहास को बखूबी पढ़ा होगा और गुना भी होगा। इसमें महात्मा गांधी का जिक्र तो आया,पर नेहरू खानदान दूर-दूर तक नहीं फटक पाया। भगत सिंह आए, सुभाष चंद्र बोस आए, लोकमान्य तिलक भी आए और झंडा का इतिहास भी आया, जिसने निश्चित तौर से विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन किया। और वह पाठशाला जिसके विद्यार्थी वह खुद भी रहे हैं, में राष्ट्रीयता का 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी तक का पाठ पढ़ाकर शिवराज ने साबित किया कि यदि राजनीति में न होते तो वह श्रेष्ठ शिक्षक साबित होते। रानी लक्ष्मीबाई का जिक्र भी उन्होंने निराले अंदाज में किया। मैं अपने रक्त की एक-एक बूंद दे दूंगीं, पर अपनी झांसी नहीं दूंगी। तो लोकमान्य तिलक को कुछ इस तरह याद किया कि स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। पर उनके दिए एक मंत्र ने जरूर सबका दिल जीता होगा और वह यह कि ” चलना ही जिंदगी है और रुकना ही मौत है…”। शिवराज दर्शनशास्र के जानकार हैं और उपनिषद भी कहते हैं- चरैवेति, चरैवेति अर्थात् चलते रहो, चलते रहो। चलते रहने का नाम ही जीवन है। हर स्थिति और परिस्थिति में आगे ही आगे बढ़ते चलने का नाम जीवन है। जीवन में निराश और हताश होकर लक्ष्य की प्राप्ति नहीं की जा सकती। जो हमारा समय निकल गया, उसकी चिन्ता छोड़ें। जो जीवन शेष बचा है उसके बारे में विचार करें और संभालें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी यह मंत्र भाता है। चरैवेति-चरैवेति, यही तो मंत्र है अपना। नहीं रुकना, नहीं थकना, सतत चलना सतत चलना। यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना।

सुबह शिवराज ने इस मंत्र का जिक्र किया। और भोपाल दिन भर चलता रहा। तिरंगामय हो गया। शिवराज खुद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा संग सड़क पर हाथ में झंडा लिए तिरंगा के रंग में रंगे रहे। हाथों में तिरंगा, होठों पर भारतमाता का जयघोष-देशभक्ति के रंगों में भोपाल रंग गया। मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में प्रमुख मार्गों से भाजपा की तिरंगा यात्रा निकली। हाथों में तिरंगा ध्वज, होठों पर भारतमाता का जयघोष और वंदे मातरम का मंत्र। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी, भोपाल द्वारा आयोजित तिरंगा यात्रा में शामिल हर युवा, बुजुर्ग, किशोर और महिलाएं देशभक्ति के रंग में रंगे हुए नजर आ रहे थे। देशभक्ति के तरानों के साथ तिरंगा यात्रा शहर के जिस मार्ग और चौराहे से गुजरी, हर जगह हाथों में तिरंगा थामे लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया। तिरंगा यात्रा का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने प्रदेश के लोगों से 13 से 15 अगस्त तक हर घर पर तिरंगा फहराने का आह्वान किया। शर्मा ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी जो आजादी के बाद जन्मी है, उसने अंग्रेजों का शासन नहीं देखा है। लेकिन देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले सपूतों के बारे में हम सभी जानते हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हीं बलिदानियों को याद करने का आह्वान किया है। इसलिए हर नौजवान, आम नागरिक, बेटे-बेटियां आजादी के अमृत महोत्सव को ऐतिहासिक बनाने के लिए देशभक्ति की भावना के साथ हर घर में तिरंगा फहराने का संकल्प लें।

आजादी के अमृत महोत्सव पर कांग्रेस ने राजधानी में तिरंगा यात्रा निकाली। मध्य विधानसभा क्षेत्र के विधायक आरिफ मसूद के नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने लगभग 10 किलोमीटर तक की तिरंगा पद यात्रा निकाली। मसूद ने कहा कि तिरंगे का सम्मान करना हर भारतवासी का दायित्व है, चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो। उन्होंने कहा कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोगों ने एक साथ खड़े होकर देश की आजादी के लिए संघर्ष किया और जिससे हम आज स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले पा रहे हैं। हमारे राष्ट्रीय ध्वज का मान-सम्मान, स्वाभिमान और गौरव को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए सभी धर्मों के लोग एक झंडे ‘तिरंगा’ के नीचे एक साथ खड़े हैं। जो पूरे विश्व की अनूठी मिसाल है।

भोपाल पूरे दिन चलता रहा। तो यह समाचार भी प्रमुखता से चलता रहा कि प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के संसदीय क्षेत्र में भाजपा की ऐतिहासिक जीत और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। पन्ना के 6 में से 5 स्थानों पर बीजेपी की जीत। कांग्रेस के विधायक नातीराजा के क्षेत्र मे कांग्रेस की करारी हार हो गई। खजुराहो नगर परिषद में भाजपा जीती, यहां पिछले 10 साल से विधायक नातीराजा के समर्थकों का कब्जा था।

तो राजनीति भी नहीं थमी, राजनेता चलते रहे और राजधानी तिरंगामय रही। चलना ही जिंदगी है…मंत्र खुद के जीवंत होने की गवाही देता रहा। एक गीत है कि “रुक जाना नहीं तुम कहीं हार के, कांटों पे चलके मिलेंगे साए बहार के…ओ राही ओ राही…। 1974 में रिलीज हुई इम्तिहान फिल्म के इस गीत को मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा था, किशोर कुमार ने आवाज दी थी, तो लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत था। तो चलते रहिए, खुश रहिए और राखी के त्यौहार को खुशी-खुशी मनाते रहिए। इसमें कोई मुहूर्त बाधा नहीं है। ज्योतिष मठ के पंडित विनोद गौतम का दावा है कि सोशल मीडिया हिंदू त्यौहारों को लेकर नकारात्मक भूमिका अदा कर रहा है। भद्रा त्यौहार में बाधक नहीं है। इसकी पुष्टि पंडित अरविंद तिवारी ने भी की है। परहेज करना भी है तो शाम 5.10 मिनट से रात्रि 8.50 तक के समय में राखी न बांधें। तो यह मंत्र पूर्ण रूप से सिद्ध है कि ” चलना ही जिंदगी है…।”