MP ByElections- सियासत में साए से डरे संगठन और लीडर…

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मशहूर शायर दुष्यंत कुमार का ग़ज़ल संग्रह ‘साए में धूप’ शेरो शायरी के शौकीनों के बीच बहुत पसन्द किया जाता है। इसमें समाज और सियासत के साथ हुक्मरानों पर काफी कुछ लिखा गया है।  पिछले कुछ दशकों से सियासत में भी साए में धूप का अहसास हो रहा है। हर चुनाव, पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक बड़ी शिद्दत से महसूस होने लगा है। चुनाव हैं तो कार्यकर्ताओं के साए में भी लीडरान को उनकी अनदेखी करने के कारण उलाहनों की धूप में उठना – बैठना पड़ता है। अहम बात यह कि हर चुनाव में इसका तीखापन बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह संगठन और सियासतदां उन्हें इस्तेमाल की वस्तु समझते जा रहे है। नेताओं की जमात चुनाव के 15 दिन कार्यकर्ताओं के साए में धूप को सह लेती हैं लेकिन इसके बाद अगले चुनाव आने तक चार बरस साढ़े ग्यारह महीने नेतागण जनता व कार्यकर्ताओं को सत्ता के साए में चिलचिलाती धूप का आनन्द दिलाते हैं। उपचुनावों और उसके बाद यही दौर देखने को मिलेगा
खैर ये सब नेता-कार्यकर्ता और संगठन राम मिलाई जोड़ी के माफिक हैं। न इन्हें और न उन्हें ठौर। नेताओं को भले ही दलालों के ठेके पर दिहाड़ी वाले मिल जाएं पर कार्यकर्ताओं को दलाली कम दिल मिलाने वाले नेताजी मुश्किल से मिल पाते हैं। खंडवा लोकसभा और तीन विधानसभा निवाड़ी, सतना और अलीराजपुर में उपचुनाव क्या आए राजनीतिक हलकों में जीतने- हराने की अटकलें और अनुमान लगना शुरू हो गए।

नेताओं के भविष्य पर भी गुणाभाग लगने लगे हैं। किसी का सितारा बुलन्द होने की बातें गुणित होकर चल पड़ी है तो कोई सितारे गर्दिश में जाने के गुणा के बाद भाग लगाने लगे हैं। नतीजे आने के बाद भाजपा में नेताओं के कद घटने- बढ़ने के पुलाव पकने लगे हैं तो कांग्रेस में शीर्ष पर लदे नेताओं की चला चली की बेला आने की चर्चा कोरोना की थर्ड वेब के आने के अनुमान की तरह हो गई है। मसलन डब्ल्यू एच ओ के विशेषज्ञ से लेकर एम्स निदेशक से लेकर गांवों के झोला छाप डॉक्टर तक कभी कहते हैं भारत में तीसरी लहर नही आएगी और कभी कहते हैं कि बहुत तेज और उसके नतीजे बहुत जानलेवा होंगे। लेकिन तमाम बातों से अलग आम हिंदुस्तानी जैसे अब कोरोना को लेकर बहुत फिक्रमंद नही है कमोबेश सियासी संगठन और उसके लीडरान बेफिक्र हैं।

इस मामले में क्या कांग्रेस और क्या भाजपा नेता सबके सब  एक घाट पानी पी रहे हैं। गोया कि किसी को न तो कार्यकर्ता की परवाह है और न वोटर की। इसलिए भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन के नाम पर पचास बसंत पार के नेताओं को संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त कर उन्हें एक तरह से जबरिया सियासी सन्यास दे दिया है और जो उम्र के लिहाज से साठ के अंक को छू रहे हैं वानप्रस्थ के लिए धकेले जाने के साफ संकेत दे दिए हैं।

भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन के नाम पर विदाई के जो गीत गए जा रहे हैं उसका स्वागत हुआ तो पार्टी चारों उप चुनाव में चौकाने वाली जीत हासिल करेगी वरना खबरें तो असन्तुतष्टो द्वारा मर्सिया पढ़ने की आ रही है। असंतोष के चलते दमोह की आंख खोलने वाली शिकस्त की अनदेखी हुई तो आसार अच्छे नही है। हमारा कार्यकर्ता बगावत नही करता ऐसी बातें फिर बेअसर होंगी। कड़े अनुशासन के लिए जानी जाने वाली पार्टी दमोह में हराने वालों का बाल बांका नही कर सकी।

भाजपा में पचौरी का जलवा
सत्ताधारी भाजपा के भोपाल जिला अध्यक्ष सुमित पचौरी के एक बयान ने उनकी उपस्तिथि दर्ज कराई।

दरअसल नवरात्री महोत्सव चल रहा है साथ ही बाज़ारों और रात में झांकियों के दर्शनार्थ आने वाले लोगों की वजह से कोरोना संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है। इसके चलते पुलिस और प्रशासन रात्रि 8-9 बजे से झांकियों को बंद कराने के लिए फेरी लगाना शुरू कर देता है। इससे नाराज़ नौजवान जिलाध्यक्ष पचौरी ने विरोध स्वरूप सोशल मीडिया पर ट्वीट किया।  जिसमें उन्होंने लिखा कि हिन्दू समाज द्वारा अपने त्योहार गरिमा और संयम के साथ कोरोना की गाइडलाइन के हिसाब से मनाए जा रहे हैं। फिर भी मुझे फ़ोन पर जानकारी मिल रही है की प्रशासन रात 8 बजे से धार्मिक आयोजन व झांकियां बंद करवा रहा है। उनके इस ट्वीट का असर देखने को मिला और झांकियां रात 12 बजे तक खुली रहीं। हालांकि अच्छी बात यह है कि कहीं भी दर्शनार्थ न तो झांकियों में लंबी कतारें दिखी और न भीड़ नज़र आई।

अतिक्रमण के लिए जिम्मदारों पर कठोर दंड भी तय हो…
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश में अतिक्रमण खासतौर पर बहुमूल्य सरकारी भूमि कब्जे के खिलाफ अभियान के लिए मुबारकबाद। भोपाल,इंदौर जबलपुर में प्रशासन ने अरबों रुपए मूल्य की भूमि पर हुए निर्माण को नेस्तनाबूद कर अतिक्रमण मुक्त कराया है। इसकी बकायदा फेहरिस्त भी जारी हुई है। लेकिन नगरपालिका से लेकर नगर निगम और जिला प्रशासन के अफसरों की टीम के बाद भी आखिर जब अतिक्रमण हो रहे थे तब कलेक्टर, एडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आरआई और पटवारी जी क्या कर रहे थे…? इन्हें प्रथम द्रष्टया जिम्मेदार मानकर फौजदारी मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारी की जाए। साथ ही अदालत से निणर्य होने तक बहाली नही की जाए। जब तक मुख्यसचिव अपनी टीम के साथ मुख्यमंत्री की मंशानुरूप हुकूमत का इकबाल बुलंद नही करेंगे तब तक अतिक्रमण के मिलेजुले गोरखधंधे को रोकना मुश्किल है।

कांग्रेस में असन्तोष को लेकर चिंतित रहने उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं। वह फिक्रमंद होती तो कमलनाथ सरकार गिरती ही नही। इसलिए उसके पास खोने को कुछ ज्यादा नही है। वह हारती है तो कमलनाथ जी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद रुखसत करने की मांग में कड़वापन बढ़ जाएगा।