Supreme Court’s Denial : शाहनवाज पर HC के फैसले पर रोक से SC का इनकार

एक महिला की शिकायत पर दुष्कर्म मामला दर्ज करने का आदेश

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New Delhi : बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा। अदालत ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें बलात्कार का आरोप लगाने वाली एक महिला की शिकायत पर शाहनवाज हुसैन के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है।

हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट शाहनवाज हुसैन की अपील को अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने पर राजी जरूर हो गया।

एक महिला की शिकायत पर हाईकोर्ट ने शाहनवाज हुसैन के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि निचली अदालत के 2018 के उस आदेश में कोई त्रुटि नहीं है, जिसमें प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही, हाई कोर्ट ने इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने संबंधी अपने अंतरिम आदेशों को निष्प्रभावी कर दिया।

जीवन पर कलंक लग जाएगा

बीजेपी नेता के वकील मोहित पॉल ने चीफ जस्टिस एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि अब अगर प्राथमिकी दर्ज की जाती है, तो मेरी एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) निष्फल हो जाएगी। वकील मोहित पॉल ने कहा कि मेरा 30 साल का बेदाग सार्वजनिक जीवन है और यह कलंकित हो जाएगा।

उन्होंने सुनवाई के लिए याचिका को जल्दी सूचीबद्ध करने का और हाई कोर्ट के फैसले के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया। पीठ ने याचिका को अगले हफ्ते सूचीबद्ध करने को कहा। पीठ में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल थे।

जांच पूरी करने का निर्देश

हाई कोर्ट ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि मौजूदा याचिका सुनवाई किए जाने योग्य नहीं है। याचिका खारिज की जाती है। अंतरिम आदेश निष्प्रभावी समझा जाए। तत्काल प्राथमिकी दर्ज की जाए। जांच पूरी की जाए और CRPC (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 173 के तहत विस्तृत रिपोर्ट तीन महीने के भीतर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की जाए।

केस दर्ज का आदेश

दिल्ली की एक महिला ने 2018 में निचली अदालत का रुख कर बलात्कार के अपने आरोप को लेकर हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया था। एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सात जुलाई 2018 को हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा था कि महिला की शिकायत के आधार पर एक संज्ञेय अपराध का मामला बनता है। बीजेपी नेता ने अदालत के आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी थी, जिसने उनकी याचिका खारिज कर दी।