MP News: सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया बदली

मंत्रिपरिषद समिति को देना होगा प्रशासकीय विभाग और विधि विभाग के अभिमत का तुलनात्मक विवरण

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MP News: सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया बदली

 

भोपाल: राज्य सरकार ने शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया में संशोधन किया है। अब स्वीकृति के लिए मंत्रिपरिषद समित के समक्ष प्रशासकीय विभाग और विधि एवं विधाई कार्य विभाग के अभिमत का तुलनात्मक विवरण भी देना होगा।

सामान्य प्रशासन विभाग ने शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति आदेश जारी करने की प्रक्रिया तय की गई है। इसमें यह प्रावधान है कि पुनर्विचार पश्चात भी प्रशासकीय विभाग के निष्कर्ष एवं विधि और विधायी कार्य विभाग के अभिमत भिन्न होंने की दशा में प्रशासकीय विभाग प्रकरण संक्षेपिका की बीस प्रतियोें के साथ पंद्रह दिन के अंदर सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से मंत्रिपरिषद समिति के विचारार्थ भेजेगा। प्रशासकीय विभाग मंत्रिपरिषद समिति के निर्णय के अनुसार आदेश जारी करने की कार्यवाही करेगा।

लेकिन यह देखा जा रहा था कि विभिन्न विभाग मंत्रिपरिषद समिति के समक्ष भेजे गए प्रकरण में संक्षेपिका की बीस प्रतियां नहीं भेज रहे है। संक्षेपिका स्पष्ट भी नहीं होती है। इसलिए अब मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत होंने वाले प्रकरणों के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने नियम तय कर दिए है।

 

*अब यह जानकारी देना होगा-*

संक्षेपिका में अपचारी अधिकारी कौन है। उनके वर्तमान और तत्समय का पदनाम तथा अपचारी अधिकारी पर कौन से अधिनियमों के तहत किस धारा में प्रकरण प्रस्तुत किया गय है इसका स्पष्ट उल्लेख किया जाए। अब संक्षेपिका में निर्णय का प्रारुप मय सुसंगत अधिनियम, नियमों की धाराओं का स्पष्ट उल्लेख करते हुए प्रस्तुत करना होगा। प्रशासकीय विभाग और विधि एवं विधायी कार्य विभग के अभिमत का प्रकरण में तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करने हेतु प्रकरण में सारी जानकारी और संदर्भित पत्रों द्वारा जारी निर्देशों का पालन करते हुए ही भेजा जाए। सामान्य प्रशासन विभाग इसके बाद ही प्रकरण को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित मंत्रिपरिषद  समिति के विचारार्थ प्रस्तुत करेगा और उस पर निर्णय  लिया जाएगा।

इसके साथ जांच एजेंसी का नाम, प्रकरण क्रमांक , अपचारी अधिकारी के विरुद्ध आरोपित आरोप एवं संबंधित अधिनियम, नियम की धाराओं का ब्यौरा,प्रशासकीय विभाग और विधि विभाग के मत , लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की जिन अधिनियम, नियम के अंतर्गत धाराओं में प्रकरण बनाया है उनके प्रतिवेदन की छाया प्रति भी देना होगा।