नाबालिगों को अवैध रुप से लॉकअप में रखा तो टीआई पर FIR

किशोर न्याय बोर्ड करेगा कारवाई

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भोपाल: आपराधिक मामलों में लिप्त पाए गए और गुमशुदा बालकों को यदि पुलिस लॉक अप में या पुलिस थाने में अवैध रुप से रखा गया तो किशोर न्याय बोर्ड ऐसे पुलिस थाने के प्रभारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराएगा।

राज्य सरकार ने किशोर न्याय बालकों की देख रेख और संरक्षण अधिनियम के तहत तैयार राज्य के नये नियमों में यह प्रावधान किया है। हर जिले में किशोर न्याय बोर्ड और अतिरिक्त बोर्ड का गठन किया जाएगा। बोर्ड मेें एक महानगर मजिस्ट्रेट या न्यायिक श्रेणी का एक न्यायिक मजिस्ट्रेट जिसे कम से कम तीन वर्ष का अनुभव हो उसे बोर्ड का प्रधान मजिस्ट्रेट बनाया जाएगा। इसके अलावा दो सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य होंगे। इनमें से एक महिला होगी। इस प्रकार पीठ का गठन किया जाएगा। बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट की नियुक्ति उच्च न्यायालय द्वारा पांच वर्ष के लिए की जाएगी। सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष होगा।

बोर्ड अपनी बैठकें किसी संप्रेक्षण गृह में अथवा उसके निकट अथवा विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के लिए अधिनियम के तहत चलाई जा रही किसी संस्था के उपयुक्त परिसर में करेगा। किसी भी हालत में बोर्ड किसी न्यायालय या कारागार परिसर में अपनी बैठकें नहीं करेगा। मामले की सुनवाई के दौरान कमरे में मामले से असंबधित व्यक्ति नही रहेगा। जिनकी उपस्थिति में बालक सहज महसूस करे वे ही सुनवाई के दौरान उपस्थित रह सकेंगेक। पीड़ित बालक के साक्ष्य के समय परिवार के सदस्य, अभिभावक, मित्र, रिश्तेदार या जिस पर बालक को भरोसा हो या बाल कल्याण समिति द्वारा नियुक्त सहायक व्यक्ति की उपस्थिति में लिए जाएंगे। पीड़ित बालक से बात करते समय बोर्ड बालकों के अनुकूल दृष्टिकोण रखेगा। दोषारोपरण या अभियोगात्मक शब्दों का प्रयोग नहीं करेगा जो बालक के आत्मसम्मान या गरिमा को दुष्प्रभावित करता हो। बोर्ड के सदस्यों के आसन उंचे मंच पर नहीं होंगे। बोर्ड और बालक के मध्य साक्षियों के कटघरे जैसी बाधाएं नहीं होंगी।

बोर्ड के परिसरों में किसी प्रमुख स्थान पर सुझाव पेटिका रखी जाएगी ताकि बालकों और व्यस्कों सभी को अपने सुझाव और प्रतिक्रिया देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इन पेटिकाओं का प्रचालन प्रधान मजिस्ट्रेट या उनके द्वारा लिखित में मनोनीत बोर्ड सदस्य के द्वारा किया जाएगा। विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के लिए चलाई जा रही बाल देखरेख संस्थाओं में बाल समितियों का सहज कार्यकरण सुनिश्चित किया जाएगा। नि:शुल्क विधिक सहायता की उपलब्धता बालकों को कराई जाएगी।