Itarasi News: जिले के गौरव,कर्मयोगी कक्का जी की कृति पर हुई समीक्षा-चर्चा

857

इटारसी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला नर्मदापुरम ने लेखक मिलिंद रौंघे द्वारा हाल ही में लिखित बहुचर्चित पुस्तक शीर्षक धर्मनिष्ठ एवं विधिवेत्ता, शिक्षाविद् पंडित रामलाल शर्मा पर समीक्षा चर्चा का आयोजन किया।
सांईं कृष्णा रिसोर्ट के सभागार में जिले भर के बुद्धिजीवियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न हुआ ।

मुख्य अतिथि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भवानी शंकर शर्मा, मुख्य श्रोता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व क्षेत्रीय विधायक डा. सीतासरन शर्मा रहे। अध्यक्षता एम.जी. एम. कालेज के पूर्व प्राचार्य/शिक्षाविद् डॉ के. एस. उप्पल ने की। प्रमुख वक्ताओं में वरिष्ठ साहित्यकार व समीक्षाकार चंद्रकांत अग्रवाल,जिला पत्रकार संघ अध्यक्ष प्रमोद पगारे, कन्या महाविद्यालय प्राचार्य डॉ आर. एस. मेहरा, कन्या हायर सेकंडरी शाला प्राचार्य अखिलेश शुक्ला, मंचासीन थे। अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम आरंभ हुआ। सर्वप्रथम कन्या शाला प्राचार्य अखिलेश शुक्ल ने कहा कि पुस्तक में लेखक ने बताया कि किस तरह श्री शर्मा ने शिक्षा में पिछड़े जिले नर्मदापुरम को आगे बढ़ाने के लिए किस तरह प्रतिकूल हालात में नर्मदा शिक्षा समिति का गठन कर कई शालाओं एवं एक ऐसे महाविद्यालय की स्थापना की जिसके चलते जिले,प्रदेश व अन्य प्रदेशों के हजारों छात्र छात्राओं के लिए भी उच्च शिक्षा के द्वार खुले। फिर वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद पगारे ने कहा की कक्का जी कालजयी पुरुष थे। व्यक्ति का अस्तित्व जीते जी तो जीवित रहता है लेकिन जो मृत्यु के उपरांत जीवित रहे उसका नाम रामलाल शर्मा है। जो जीवन भर संघर्षों से जूझता है उसका नाम रामलाल शर्मा है। मिलिंद रौंघे ने कक्काजी के जीवन भर की विविधता को कथा तत्व में गूंथकर, पठनीय पुस्तक का स्वरूप दिया है। जिस पर एक अच्छा टी वी सीरियल भी बनाया जा सकता है।

कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य आर. एस.मेहरा ने कहा कि कक्का जी का जीवन भय एवं आतंक से मुक्त था। समाज के कल्याण के लिए वे जीवन के हर क्षेत्र में सदैव तत्पर रहे। अब नर्मदापुरम जिले में पं रामलाल शर्मा शोध संस्थान की स्थापना होनी चाहिए।

वरिष्ठ साहित्यकार व मुख्य समीक्षाकार चंद्रकांत अग्रवाल ने 40 मिनिट के अपने उद्बोधन में कहा कि मिलिंद रौंघे ने सत्य व कथ्य के संयोग से कक्का जी की जीवनी को किस्सागोई के रूप में लोक मंगल के भाव से लिखी है जिससे वह सबके लिए रूचि पूर्ण बन गई है। कक्का जी का स्पष्ट मत था कि छात्र छात्राओं के जीवन का प्रमुख उद्देश्य सिर्फ शिक्षा प्राप्ति ही होना चाहिए। अतः उन्होंने छात्र संघ चुनाव बंद करा दिए थे। काव्यात्मक अंदाज में श्री अग्रवाल ने कहा कि उनके लिए धर्म वास्तव में हमारे अधिकारों एवं कर्तव्यों के मध्य संतुलन का ही रूप है। उन्होंने कहा कि कक्का जी की स्मृति में हर साल एक आध्यात्मिक कवि सम्मेलन होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाशचंद्र सेठी द्वारा एक विधानसभा चुनाव में यह धमकी देने पर कि राजनीति करना भुला दूंगा,स्कूल , कॉलेज चला लो या राजनीति कर लो। अन्यथा सबको शासन द्वारा अधिग्रहित करवा दूंगा। कक्काजी ने इस धमकी के खिलाफ तब जिला न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक स्वयं संबंधित मामले की पैरवी कर श्री सेठी को गवाही देने के लिए मजबूर कर दिया था। कक्का जी ने 1957 के उस दौर में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा, जब कोई कांग्रेस का विरोध करने की हिम्मत नहीं करता था।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भवानी शंकर शर्मा ने कहा कि कक्का जी ने हमें सदैव सत्य के पक्ष में खड़े रहने के संस्कार दिए हैं। पिताजी को लोक कल्याण के भाव से चुनाव लड़ने का बड़ा शौक था। उन्होंने कक्का जी के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को श्रोता गणों के समक्ष रूचिकर रूप में रखकर कहा कि शर्मा परिवार आगामी वर्ष से जून माह में एक आध्यात्मिक कवि सम्मेलन के आयोजन में पूरा सहयोग करेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शिक्षाविद डॉ के. एस.उप्पल ने कहा कि पुस्तक के लेखक मिलिंद रौंघे ने इतिहास की पृष्ठभूमि में काका जी को खड़ा किया है । उस काल के इतिहास को समझना हो तो यह पुस्तक पढ़ना चाहिए। सत्ता से किस तरह संघर्ष कर किसी जनहितैषी संस्था की स्थापना करनी पड़ती थी कि जानकारी पुस्तक देती है। कक्का जी के महामना व्यक्तित्व का अनुसरण करना उनके पुत्रों के समक्ष आज एक चुनौती के रूप में है। दुनिया में विरले ही मनुष्य होते हैं जो भय, लोभ और मोह को त्याग कर मानवता की सच्ची सेवा करते हैं। वे गंभीर रूप से स्वस्थ होने पर भी लोकतंत्र के सबसे बड़े दान मतदान करने के लिए सबके मना करने पर भी चुपचाप घर से पैदल निकलकर मतदान केंद्र तक पहुंचे व उसके तुरंत बाद ही देवलोक गमन कर गए।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे वरिष्ठ कवि एवं परिषद के संभागीय अध्यक्ष कवि बी. के.पटेल ने कहा कि इस पुस्तक के लिखे जाने से पूर्व उनको नर्मदांचल के किसी अन्य विशिष्ट व्यक्तित्व पर कोई जीवनी लिखने की जानकारी नहीं है। यह पुस्तक कालजयी है एवं जन कल्याण हेतु शोध का विषय हो सकती है।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने कालजयी पुस्तक लेखन पर मंचासीन अतिथि गण ने लेखक मिलिंद रौंघे का सम्मान किया। परिषद के जिला अध्यक्ष राजकुमार दुबे ने आभार जताया।

कार्यक्रम में विधायक डॉ सीता सरन शर्मा,मप्र तैराकी संघ अध्यक्ष पीयूष शर्मा, विधायक प्रतिनिधि जगदीश मालवीय,जयकिशोर चौधरी ,डॉ नीरज जैन, पत्रकार बसंत चौहान, डॉ ज्ञानेंद्र पांडे रामकिशोर नाविक, विनोद कुशवाहा रामचरण नामदेव सुरेंद्र तोमर सहित शहर के वरिष्ठ गणमान्यनागरिकों,साहित्यकारों एवं शिक्षाविदों की भारी संख्या में उपस्थिति रही।

कार्यक्रम को सफल बनाने में परिषद के भगवानदास बेधड़क, संदीप राजेश व्यास, विनय चौरे ,सौरम दुबे, राजेंद्र दुबे आदि का सराहनीय योगदान रहा।