Garba or Love Jihad : गरबा खेलने जाएं तो पहचान पत्र साथ रखें, मंत्री की नसीहत!
Bhopal : अब मध्यप्रदेश में गरबा पंडालों में प्रवेश के लिए पहचान पत्र दिखाना जरूरी होगा। बिना पहचान पत्र गरबा पंडालों में प्रवेश नहीं मिल सकेगा। लव जिहाद के मामले रोकने के लिए यह भाजपा सरकार की मंत्री का इशारा है। प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने ग्वालियर में दिए बयान में कहा कि गरबा पंडाल लव जिहाद का बड़ा माध्यम बन चुके थे। अब सभी गरबा आयोजक सतर्क और सजग रहें।
गरबा पंडाल में जो भी आए, अपना ID कार्ड लेकर आएं। बगैर पहचान के गरबा पंडाल में कोई प्रवेश कर नहीं सकता। ये सबके लिए सलाह भी है और नसीहत भी। मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि हमारे लोग और सहयोगी संगठन सभी जागरूक हैं। क्योंकि, गरबा पंडाल लव जिहाद का बड़ा माध्यम बन गए थे। इसलिए अब जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान छुपाकर गरबा पंडाल में न आए। उन्होंने कहा कि देखा जा रहा है कि कुछ समुदाय सामाजिक कार्यक्रम को टारगेट कर रहे हैं इसके साथ ही गरबा पंडाल के माध्यम से लव जिहाद के कई मामले सामने आ रहे हैं। इसे रोकने की जरूरत है।
*आठ साल पुरानी बात*
गरबा कार्यक्रमों में गैर हिंदू युवकों के प्रवेश के खिलाफ 2014 में भाजपा की इस महिला विधायक उषा ठाकुर ने इस तरह की अपील की थी! लेकिन, तब उनकी बातों को नजर अंदाज कर दिया गया था। महिला विधायक की इस बात पर भाजपा के तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वर्गीय नंदकुमार सिंह चौहान ने इंदौर में कहा था कि वह इन कार्यक्रमों में शामिल होने की चाह रखने वाले मुस्लिमों का स्वागत करते हैं। लेकिन, इन आयोजनों में प्रवेश के लिए पहचान पत्र की अनिवार्यता जरूरी है, ताकि प्रतिबंधित संगठन सिमी के संदिग्धों और असामाजिक तत्वों के गरबा कार्यक्रमों में घुसने की आशंका को खत्म किया जा सके।
पार्टी अध्यक्ष यह भी कहा था कि अगर गरबा कार्यक्रमों में मेरे मुस्लिम भाई-बहन आना चाहते हैं, तो मैं उनका स्वागत करता हूं। लेकिन, आयोजकों को पहचान पत्र की जांच के जरिए यह देखने का अधिकार तो होना ही चाहिए कि हजारों लोगों की मौजूदगी वाले इन कार्यक्रमों में जो लोग आ रहे हैं, वे कौन हैं। उन्होंने कहा कि सिमी के संदिग्ध और असामाजिक तत्व गरबा कार्यक्रमों में घुसकर माहौल बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में गरबा पंडालों में प्रवेश करने वाले लोगों से आयोजकों द्वारा पहचान पत्र मांगा जाना गलत नहीं है।
प्रदेश भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष एक सवाल के जवाब में यह भी कहा था कि मुस्लिम एकेश्वरवादी होते हैं। उनके मजहब में अल्लाह के अलावा किसी दूसरे ईश्वर की इबादत पर प्रतिबंध है। गरबा नृत्य के जरिए दुर्गा देवी की आराधना की जाती है। लिहाजा अपनी धार्मिक मान्यताओं के चलते कोई भी सामान्य मुस्लिम इस नृत्य में शामिल नहीं होता।