मृतका के वैध वारिस को एक लाख रूपये एक माह में दें- मानव अधिकार आयोग

अस्पतालों में स्वतंत्र व सक्षम शिकायत निवारण प्रणाली बनाई जाये

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मृतका के वैध वारिस को एक लाख रूपये एक माह में दें- मानव अधिकार आयोग

Bhopal: मप्र मानव अधिकार आयोग ने *मुरैना जिले के एक मामले में* अहम अनुशंसाएं की है। आयोग ने राज्य सरकार को हायर ट्रीटमेंट सेंटर एवं शासकीय अस्पतालों में मरीजों के अधिकारों के हित में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा अनुशंसित सक्षम शिकायत निवारण प्रणाली बनाने को कहा है। शिकायत निवारण की व्यवस्था अस्पतालों के मुख्य सूचना पटल पर, जहां सभी मरीज पढ़ सकें, पर प्रदर्शित होनी चाहिए।
आयोग ने यह भी कहा है कि चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासकीय चिकित्सकों/शल्यज्ञों की निजी चिकित्सालयों में की जा रही प्रायवेट प्रैक्टिस की अनुमति संबंधित नियमों को मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965, मध्यप्रदेश उपचर्या गृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनायें (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 तथा मप्र उपचर्या गृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनायें (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) नियम, 1997 के अनुसार सख्ती से विनियमित (रेग्यूलेट) किया जाये।

इस मामले में पीड़िता श्रीमती पुष्पादेवी के परिजनों को 25 अगस्त 2019 को शासकीय हमीदिया चिकित्सालय, भोपाल के कार्डियो थोरेसिक एवं वेस्कुलर सर्जरी विभाग (सीटीवीएस) में पहुंचने पर, उसके जीवन जीने के अधिकार, स्वास्थ्य के अधिकार एवं गरिमा के अधिकार की उपेक्षा करते हुए, आर्थिक लाभ की लालसा से निजी एलबीएस अस्पताल, भोपाल में जाने के लिए सीटीवीएस विभाग के चिकित्सक द्वारा प्रेरित किया गया। ऐसा करने और शासकीय हमीदिया चिकित्सालय, भोपाल के ही उसी चिकित्सक द्वारा उसका इलाज निजी एलबीएस अस्पताल में किए जाने के कारण पीड़िता की मृत्यु हो गयी। अतः राज्य शासन मृतका के वैध वारिस को एक लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि अगले एक माह में भुगतान कर दे।

उल्लेखनीय है कि आयोग के *प्रकरण क्र. 8421/मुरैना/2019 में* आवेदक ने आरोप लगाये थे कि उसकी माताजी को हमीदिया चिकित्सालय, भोपाल के शासकीय चिकित्सकों/शल्यज्ञों द्वारा इसी शासकीय चिकित्सालय में इलाज न कर, उसे अच्छे एवं जल्द उपचार हेतु प्राइवेट हास्पिटल में इलाज कराने के लिये प्रेरित किया गया। आवेदन मिलने पर आयोग द्वारा मामले की गहन जांच कराने पर आवेदक के आरोप सही पाए गए। निरंतर सुनवाई उपरांत आयोग ने राज्य शासन से शासकीय चिकित्सकों द्वारा शासकीय सेवा के साथ-साथ प्रायवेट हास्पिटल्स में की जा रही प्रायवेट प्रैक्टिस के सख्ती से विनियमन (रेग्यूलेशन) के संबंध में तथा पेशेन्ट राईट्स के संरक्षण के मद्देनजर, स्वतंत्र एवं सक्षम शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने की यह अनुशंसा की है।