रंग लाएगा विश्वास का यह प्रयास …

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चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने आत्महत्या को रोकने की दिशा में एक कदम बढ़ाकर सराहनीय कार्य किया है। आत्महत्या यानि वह मानसिक स्थिति जब कोई व्यक्ति पूरी तरह से डिप्रेशन की बाहों में जकड़ चुका हो। मानसिक तनाव से पार पाना असंभव लग रहा हो। चारों तरफ निराशा ही निराशा और अंधकार ही अंधकार नजर आ रहा हो। कुंठा की पराकाष्ठा ने सांस लेना दूभर कर दिया हो। धमकियों और डर ने असुरक्षा की भावना का इतना विस्तार कर दिया हो कि जिंदगी और उजालों से वितृष्णा हो जाए और दुनिया से दूर जाना ही सबसे सुरक्षित लगे। मानसिक विकृति की ऐसी अवस्था में व्यक्ति आत्महत्या का दरवाजा खटखटाता है और फिर पीछे मुड़कर देखे बिना ही मौत को गले लगा लेता है। अगर सच्ची भावना के साथ ऐसी रणनीति बन पाती है, जो प्रदेश को आत्महत्या मुक्त बनाने या आत्महत्या की दर कम करने में मददगार साबित हो सके…तब ही मंत्री का यह नवाचार रंग ला पाएगा।
वैसे यह कहावत है कि अच्छी शुरुआत से मंजिल तक पहुंच आसान हो जाती है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने आत्महत्या रोकथाम रणनीति तैयार करने के साथ आत्महत्या के रोकथाम को जन-आंदोलन के रूप में आगे ले जाने का प्रयास करने की बात कही है। इस जन-आंदोलन में सामाजिक संगठनों, शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संगठित-असंगठित क्षेत्र तथा उद्योग क्षेत्रों के प्रमुखों को शामिल करने पर विचार हो रहा है। मध्यप्रदेश का चिकित्सा शिक्षा विभाग आत्महत्या रोकथाम की रणनीति तैयार करेगा। एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन कर इस दिशा में पहला कदम आगे बढ़ाया गया है। निश्चित तौर पर आत्महत्या की रोकथाम करना एक बड़ी चुनौती है। मंत्री को विश्वास है कि आत्महत्या रोकथाम रणनीति का एक विस्तृत डॉक्यूमेंट तैयार करने में इस समस्या के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाएगा, जो सामाजिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए आगे आने वाले समय में इस समस्या की रोकथाम के लिए मील का पत्थर साबित होगा। तो वहीं ऐसा कर आत्महत्या रोकथाम रणनीति बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा इस निमित्त गठित उच्च स्तरीय टास्क फोर्स में देश के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक, कानूनी जानकार, समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले विशिष्ट नागरिक शामिल हैं। टास्क फोर्स से दो माह में रिपोर्ट अपेक्षित है, जिससे विस्तृत दस्तावेज तैयार होगा।
यही उम्मीद कर सकते हैं कि राज्य सरकार का यह अभिनव कदम और नवाचार समाज में फैल रही इस बड़ी समस्या के निराकरण के लिए मददगार साबित हो। विशेषज्ञों को सम्मिलित कर सरकार ने इस समस्या के निदान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। इसको रोकने के लिये ठोस कदम उठाया जाना आज की आवश्यकता है। क्योंकि जब यह समाचार कान तक पहुंचता है कि मासूम बच्चों सहित परिवार ने आत्महत्या कर ली है, तब निश्चित तौर से दिल टुकड़े-टुकड़े होकर बिखरने लगता है। या इकलौता चिराग फांसी के फंदे पर झूलता है तो पूरा परिवार जिंदा ही मरने को मजबूर हो जाता है। तो बस इसी उम्मीद के साथ इंतजार करते हैं कि मध्यप्रदेश केवल आत्महत्या को रोकने के लिए रणनीति लागू करने वाला पहला प्रदेश नहीं बनेगा…बल्कि आत्महत्या मुक्त मध्यप्रदेश बनकर विश्वास के प्रयास के प्रति न केवल भरोसा जगाएगा बल्कि खुशियों की सौगात पाकर विश्वास के इस प्रयास का ऋणी रहेगा…। यही उम्मीद है कि आत्महत्या को रोकने का विश्वास का प्रयास रंग लाएगा और लाखों लोगों को जीवनदान मिलेगा। वहीं परिवारों की खुशियां जिंदा रहेंगीं।