Swami Swaroopanand : गौधुली बेला में आज स्वामी स्वरूपानंद जी को समाधि दी जाएगी
साईं बाबा की पूजा का विरोध जैसे बयानों से हमेशा चर्चा में बने रहे
Narsinghpur : शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती रविवार को ब्रह्मलीन हो गए। आज गौधुली बेला में उन्हें समाधि दी जाएगी, जिसके लिए खास तौर पर तैयारियां की गई हैं। उनकी इच्छा के मुताबिक उन्हें आश्रम में ही समाधि दी जाएगी। उन्हें चंदन के सिंहासन पर बैठाकर सात फ़ीट के गड्ढे में बैठी मुद्रा में समाधि दी जाएगी। गड्ढे में चंदन और नमक डाला जाएगा। समाधि से पहले सिंहासन पर बैठाकर उन्हें आश्रम की परिक्रमा कराई जाएगी। कई विशिष्ठ व्यक्ति इस अवसर पर नरसिंहपुर पहुंच रहे हैं। वे कई दिनों से बीमार थे। नरसिंहपुर के झोतेश्वर के परमहंसी गंगा आश्रम में रविवार दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली।
बयानों से हमेशा चर्चा में रहे
9 साल की उम्र में घर छोड़कर वैराग्य धारण करने वाले स्वरूपानंद सरस्वती को 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली थी। स्वामी स्वरूपानंद गुस्सैल स्वभाव के थे, इसलिए कई बार उन्होंने विवादास्पद बयान भी दिए। उनके शिर्डी साईं बाबा पर दिए बयान पर भी काफी बवाल हुआ था। जून 2014 को हुई धर्म संसद में शंकराचार्य ने साईं बाबा पर विवादित बयान दिया था, जिसका साईं भक्तों ने विरोध किया है। उन्होंने साईं पूजा को हिंदू विरोधी बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि साईं भक्तों को श्रीराम की पूजा, गंगा में स्नान और हर-हर महादेव का जाप करने का अधिकार नहीं है। धर्म संसद में साईं पूजा का बहिष्कार करने की भी घोषणा की गई थी। उन्होंने साईं को अमंगलकारी करार दिया था। इसके बाद स्वामी स्वरूपानंद ने 2016 में कहा था कि महाराष्ट्र में सूखा इसलिए पड़ा क्योंकि यहां साईं की पूजा होती है। जब भी ऐसे लोगों की पूजा होती है ऐसी आपदाएं आती है।
शनि शिंगणापुर मंदिर में
शंकराचार्य ने महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश का भी विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि महिलाओं को शनि के दर्शन नहीं करना चाहिए, शनि की पूजा से उनका अनिष्ट हो सकता है। शनि दर्शन से महिलाओं का हित नहीं होगा। इससे उनके साथ अप्रिय घटनाएं बढ़ेंगीं।
केदारनाथ त्रासदी के लिए भी स्वामीजी ने तीर्थयात्रियों को दोषी बताया था। 2016 में बैसाखी और अर्धकुंभ मेला स्नान के अवसर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने तीर्थ यात्रियों पर बयान देकर नए विवाद को जन्म दे दिया था। उन्होंने केदारनाथ और उत्तराखंड में आई आपदा के कारणों पर बात करते हुए कहा था कि गंगा में लगातार बनाए जा रहे बांध, अलकनंदा नदी में बांध बनाकर धारी देवी के मंदिर को डुबो देना और तीर्थ यात्रियों का पवित्र स्थल पर आकर होटलों में भोग-विलास करना त्रासदी के प्रमुख कारण हैं।
स्वामी स्वरूपानंद ने 2019 में ममता बैनर्जी का समर्थन करके भाजपा का खुला विरोध किया था। पश्चिम बंगाल में ‘जय श्री राम’ के नारों पर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की आक्रोशित प्रतिक्रिया पर उनका बचाव करते हुए कहा था कि वे राम का नहीं बल्कि भाजपा का विरोध कर रही हैं। उन्होंने इस दौरान केंद्र सरकार पर अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर जनता को मूर्ख बनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अब हमने किसी और स्थान पर मंदिर बनाने का फैसला कर लिया है। इस बयान के बाद स्वामी स्वरूपानंद विवादों में आ गए थे।