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विज्ञापन द्वारा मार्केटिंग के दौर में और गिफ्ट बांटने के दौर में हर कंपनी मुनाफे के लिए विज्ञापन के जरिए आपको भ्रमित करती है। जैसे पहले कहते थे फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट अच्छा है। अब कहते है फ्लोराइड नहीं होना चाहिए, आयोडीन वाला नमक होना चाहिए।
अब कहते हैं सिर्फ सेंधा नमक वापरे। इसी तरह साबुन, शैंपू ,फेस क्रीम ,बॉडी क्रीम, परफ्यूम आदि कई प्रोडक्ट आपको भ्रमित करते हैं।
फुंसियों का इलाज वाले क्रीम और फेस क्रीम के जरिए स्किन का कलर बदलने वाले विज्ञापन। हेयर ऑयल कंपनियां दावा करती बाल लंबे हो जाएंगे, कई कंपनियां व्यापार के लिए कितना गलत बोलती है एक तरह से यह सब धोखा है।
व्यक्ति के सेंटीमेंट्स और दिमाग को पढ़कर ऐसे विज्ञापन बनाते हैं कि आदमी वही प्रोडक्ट खरीदता है चाहे दवाई, कपड़े या कॉस्मेटिक हो, फास्ट फूड और पेक्ड फूड नहीं खाना चाहिए ऐसा मेडिकल साइंस कहता है परंतु टीवी पर इन्हीं के विज्ञापन ज्यादा मिलेंगे।
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अब यह सर्वमान्य सिद्ध हो गया कि आपका शरीर स्वयं सक्षम है। उसमें सभी बातों का इलाज है। पहले के जमाने में राख से या कोयले से बने मंजन उंगली से करते थे तब कभी बरसो दांत खराब नहीं होते थे। जब से टूथपेस्ट आया दांतों की बीमारी बढ़ गई। दांत साफ करने के लिए आपको पेस्ट की जरूरत नहीं है आप खाली ब्रस दांतो पर रगड़ कर उसकी सफाई कर सकते हैं। इसी प्रकार नहाने के लिए आपको केमिकल युक्त साबुन शैंपू की आवश्यकता नहीं है। अपने प्राकृतिक तौर पर मिट्टी एलोवेरा बेसन आदि कई तरीकों से शरीर की सफाई कर सकते हैं। हर्बल और आयुर्वेद विधि से निर्मित प्रोडक्ट वापरे।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)
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अशोक मेहता
इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)