उल्टा ट्रेंड ; 11.3 लाख छात्र प्राइवेट स्कूल छोड़ सरकारी में चले गए
शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकसित करने वाली प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया उसे समाज में एक वयस्क की भूमिका निभाने के लिए समाजीकृत करती है तथा समाज के सदस्य एवं एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए व्यक्ति को आवश्यक ज्ञान तथा कौशल उपलब्ध कराती है। शिक्षा किसी समाज में एक निश्चित समय तथा निश्चित स्थानों (विद्यालय, महाविद्यालय) में सुनियोजित ढंग से चलने वाली एक सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा विद्यार्थी निश्चित पाठ्यक्रम को पढ़कर संबंधित परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना सीखता है।जहां पैरेंट्स अपने बच्चे को अच्छे से अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते माता-पिता प्राइवेट स्कूलों से अपने बच्चों के नाम कटाकर उनका दाखिला Sarkari Schools में करवा रहे हैं.
ऐसा हम नहीं, Gujarat एजुकेशन डिपार्टमेंट के आंकड़े बता रहे हैं. गुजरात शिक्षा विभाग की फाइलों में दर्ज आंकड़ों के अनुसार, बीते 4 साल में राज्य में 11.3 लाख छात्र छात्राओं ने प्राइवेट छोड़कर वहां के सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले लिया.
शिक्षा विभाग के डाटा के अनुसार, ‘ये स्टूडेंट्स क्लास 1 से 8वीं तक के हैं. Private Schools से सरकारी की ओर ये पलायन सबसे ज्यादा कोरोना काल में हुआ है.’ आंकड़े बताते हैं कि Covid 19 महामारी के दौरान साल 2020-21 में 2.85 लाख और 2021-22 में 3.49 लाख स्टूडेंट्स ने प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूल में एडमिशन ले लिया.
प्राइवेट छोड़ सरकारी स्कूलों में क्यों जा रहे छात्र?
ये आंकड़े हैरान करने वाले हैं. लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है, इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया जा रहा है. लोग अलग-अलग कारण दे रहे हैं. कुछ का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान कई परिवारों की आय कम होने के कारण ये शिफ्ट देखने को मिला है.
वहीं, गुजरात सरकार के मुख्य शिक्षा सचिव विनोद राव का कहना है कि ‘ये ट्रेंड करीब 5 साल पहले शुरू हुआ था. पैरेंट्स द्वारा अपने बच्चों का एडमिशन प्राइवेट से हटाकर सरकारी स्कूलों में कराने की ये उल्टी बयार बताती है कि इन गवर्नमेंट स्कूल्स की क्वालिटी बेहतर हुई है.’
प्रिंसिपल एजुकेशन सेक्रेटरी Vinod Rao ने इसके लिए राज्य की शिक्षा प्रणाली में हुए बदलावों को क्रेडिट दिया है. जैसे- स्टूडेंट्स और टीचर्स दोनों की ऑनलाइन अटेंडेंस, 60 हजार स्मार्ट क्लास, हर सप्ताह छात्रों का सेंट्रलाइज्ड असेसमेंट, विद्या समीक्षा केंद्र एजुकेशन कमांड द्वारा स्टूडेंट वाइज और सब्जेक्ट वाइज रिपोर्ट कार्ड, कंट्रोल सेंटर की मदद से लर्निंग कैप की पहचान.
पैरेंट्स कर रहे सरकारी स्कूलों की तारीफ!
प्राइवेट छुड़ाकर बच्चे का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराने वाले एक पैरेंट शहनाज अंसारी ने TOI को बताया कि ‘मेरा बेटा प्राइवेट स्कूल में पढ़ता था. क्लास 3 पास कर चुका था लेकिन गुजराती भी नहीं लिख पाता था. मैं हर महीने 500 रुपये फीस देती थी. थक चुकी थी. फिर मैंने उसका एडमिशन Municipal School में करवा दिया. वहां वो बेहतर कर रहा है. पढ़ना लिखना सीख रहा है.’