Dusshera In Ujjain: इस बार मात्र एक स्थान दशहरा मैदान पर ही यह परंपरागत आयोजन, CM शिवराज होंगे शामिल
(उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट)
उज्जैन । उज्जैन में 5 अक्टूबर को 59वां दशहरा पर्व स्व.लाला अमरनाथ स्मृति, दशहरा उत्सव समिति द्वारा रावण दहन एवं आतिशबाजी के साथ मनाया जाएगा । उज्जैन शहर में इस बार मात्र एक स्थान दशहरा मैदान पर ही यह परंपरागत आयोजन होगा । आयोजन समिति ने पत्रकार वार्ता में बताया कि इस आयोजन में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी सहित भाजपा कांग्रेस के कई मंत्री एवं नेतागण सम्मिलित होंगे ।
गौरतलब है कि इस वर्ष शहर में 5 अक्टूबर को दशहरा महोत्सव सिर्फ दशहरा मैदान पर ही आयोजित हो रहा है। रावण दहन के इस पारंपरिक आयोजन में दशहरा मैदान की ‘सीमित’ जगह पर पूरे शहर की जनता को आमंत्रित किया गया है । ऐसे में उज्जैन शहर की 10 लाख जनता कैसे आयोजन का हिस्सा बन पाएगी इस पर प्रश्न (?) चिन्ह लगा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उज्जैन में 11 अक्टूबर को बाबा महाकाल मंदिर के विस्तारित परिसर “महाकाल लोक” का लोकार्पण समारोह एवं जनसभा होना प्रस्तावित है। उसी की तैयारियों के चलते कार्तिक मेला ग्राउंड पर होने वाले दशहरा उत्सव को निरस्त कर दिया गया है । उज्जैन शहर में दशहरे के दिन परंपरागत रूप से 2 जगहों पर (नए शहर में) दशहरा मैदान एवं पुराने शहर में (क्षिप्रा तट स्तिथ) कार्तिक मैला ग्राउंड पर रावण दहन का कार्यक्रम होता आया है । इन दोनों जगह पर भारी संख्या में नागरिकगण परंपरागत उत्सव मनाने आते है।
इस आयोजन में बच्चों की भागीदारी हमेशा से सर्वाधिक रही है । प्रधानमंत्री की जनसभा के लिए बन रहे डोम एवं वहां चल रही तैयारियों के कारण पुराने शहर के कार्तिक मेला ग्राउंड पर होने वाले आयोजन को पूर्व महापौर स्व. प्रेमनारायण यादव दशहरा उत्सव समिति द्वारा निरस्त किया गया है । इस वर्ष दोनों दशहरा उत्सव समितियों ने मिलकर दशहरा मैदान पर उज्जैन नगर की समस्त जनता को रावण दहन हेतु आमंत्रित किया है । उल्लेखनीय है कि परम्परा अनुसार दशहरे के दिन बाबा महाकाल की सवारी वर्ष में एक बार नए शहर स्थित दशहरा मैदान पहुँचती है। इस वर्ष इस सवारी एवं आयोजन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल होंगे ऐसे में क्राउड मैनेजमेंट, व पार्किंग पुलिस व प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती साबित होगा ।
वही नगर की जनता में कौतूहल है कि उन्हें इस पारंपरिक आयोजन में शामिल होने के लिए किन्ही परेशानियों का सामना करना पड़ेगा अथवा व्यवस्थित तरीके से हम लोग त्योहार मना पायेगें अब यह तो काल के गर्भ में है।