धार्मिक पर्यटन में अलग पहचान बनाएंगे नर्मदा तट के यह दो भव्य मंदिर…

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हरदा से 20 किलोमीटर दूर स्थित नेमावर और हंडिया मां नर्मदा के दो तटों पर स्थित प्रसिद्ध स्थान हैं। वैसे तो नर्मदा नदी का भव्य स्वरूप ही आम जनमानस का मन मोह लेता है। और हंडिया-नेमावर में भी नर्मदा के तट पर प्राचीन मंदिर भी आस्था के बड़े केंद्र हैं। पर इन दिनों यहां के दो भव्य मंदिर आगामी समय में देश के पर्यटन नक्शे पर विशेष स्थान बनाने वाले हैं। यह हैं नेमावर नर्मदा तट पर बन रहा सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र और हंडिया में नर्मदा तट पर बना शिव करुणाधाम।

मध्य प्रदेश में देवास जिले के नेमावर में नर्मदा किनारे जैन मंदिर बनकर पूरा होने के करीब है। अभी इसमें मुख्य मंदिर के निकट स्थित छह मंदिरों में 25 साल पहले लगाए गए लाल पत्थर की जगह पीला पत्थर लगाया जा रहा है।  1997 में आचार्य विद्यासागर जी महाराज की मौजूदगी में इसकी बुनियाद रखी गई थी। यहां त्रिकाल चौबीसी, पंचबालयती और सहस्रकूट के कुल 26 मंदिर बनाए गए हैं। यह पूरा परिसर 21 एकड़ में फैला है। इसमें से 17 एकड़ में मंदिर बने हैं। इन्हें बनाने में राजस्थान के बंशीपुर पहाड़ के गुलाबी-लाल पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यहां सीमेंट और सरिए का इस्तेमाल नहीं किया गया है। बिल्वा (बेल) का फल, गुड़ और चूने का इस्तेमाल हुआ है। पत्थरों के जोड़ चिपकाने का यह प्राचीन तरीका है। यह मंदिर देखकर देश-दुनिया में बने सैकड़ों भव्य मंदिर याद आ जाते हैं। पर यह दावा किया जा सकता है कि जब यह सिद्धोदय क्षेत्र पूर्ण रूप से आकार लेगा, तब इसकी भव्यता पर्यटकों को अचरज में डाल देगी। इसे एशिया का सबसे बड़ा जैन मंदिर कहा जा रहा है, तो नर्मदा तट पर यह सबसे बड़ा मंदिर हो जाएगा। त्रिकाल चौबीसी के जिनालय में दो लाइन में 12-12 मंदिर, यानी कुल 24 मंदिर बनाए गए हैं। इनमें जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की भूत, भविष्य और वर्तमान के तीनों स्वरूप की कुल 72 प्रतिमाएं स्थापित होनी है, इनमें से बहुत प्रतिमाएं स्थापित हो गईं हैं। ये प्रतिमाएं तांबे से ही बनाई गई हैं। हर प्रतिमा का वजन 650 किलो है। पंचबालयती के एक मंदिर में 5 तीर्थंकरों की शुद्ध तांबे से बनी पद्मासन प्रतिमाएं हैं। हर प्रतिमा का वजन एक टन, यानी 1000 किलो है। इस मंदिर के सबसे ऊंचे शिखर की ऊंचाई 151 फीट है। 26वां मंदिर 131 फीट ऊंचा सहस्रकूट जिनालय है। यह पीले पत्थरों से बना है। इसमें अष्टधातु की 1008 प्रतिमाएं विराजित की जाएंगी। पीले पत्थरों से ही संत निवास भी बना है। जब यह बनकर पूरा होगा, तब नर्मदा किनारे धर्मप्रेमी भक्तों को अद्भुत अनुभुति होना तय है।

दूसरा स्थान शिवकरुणा धाम हंडिया में नर्मदा तट पर धर्म, अध्यात्म और प्रकृति का अद्भुत संगम है। एक बार मंदिर की बनावट देखकर यह झलक मिलती है कि सोमनाथ मंदिर में खड़े हों। जब हमने पूछा तो स्वामी राघवेंद्रानंद जी ने बताया सोमनाथ मंदिर जिस आर्किटेक्ट ने बनाया, उनके पोते ही अयोध्या के राम मंदिर के आर्किटेक्ट हैं और उन्होंने ही हंडिया स्थित शिव करुणाधाम का निर्माण किया है। सोमनाथ मंदिर में समुद्र हिलोरें मारता है तो शिव करुणाधाम मंदिर से मां नर्मदा के दर्शन मन को शांति से भर देते हैं। मंदिर ऊंंचाई पर बना है तो मंदिर परिसर में नीचे प्राचीन वट-पीपल के वृक्ष मन को आस्था से भरकर तपस्थली का अनुभव कराते हैं। 14 मई को मंदिर में पट खोले गए हैं। श्री शिव करुणा धाम के श्री पंचायती महा निर्वाणी अखाड़ा से महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री वियोगानन्द जी सरस्वती महाराज के मार्गदर्शन में राजस्थान के बंशी पहाडपूर के पत्थरों पर राजस्थान के कलाकारों ने आकर्षक नक्काशी की है। राजस्थानी शैली पर आधारित इस मंदिर में श्री शिव परिवार, श्री राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मां और श्री हनुमान जी महाराज की मूर्तियां मन मोह लेती हैं।

यह दोनों ही स्थान नर्मदा नदी के दो तटों पर स्थित धर्म-अध्यात्म और धार्मिक पर्यटन को समृद्ध करेंगे और मध्यप्रदेश का नाम देश-दुनिया में दर्ज कराएंगे। श्री शिव करुणाधाम बनकर तैयार है तो सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र 2025 तक बनकर तैयार होगा। यहां आने वाले श्रद्धालु निश्चित तौर पर दूसरी बार आने की आकांक्षा से ओतप्रोत रहेंगे।