देश-दुनिया में हिंदी के प्रति विश्वास जगाएगी प्रदेश की यह सौगात …

470

मध्यप्रदेश सफलता के नए-नए झंडे गाढ़ रहा है। प्रदेश को हाल ही में स्वच्छतम राज्य की उपलब्धि हासिल हुई है। तो 11 अक्टूबर को ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन आ रहे हैं। यह लोक श्रद्धालुओं को महालोक की दुनिया में लेकर जाएगा। इसकी भव्यता और आकर्षण देखते ही बनेगी। वहीं 16 अक्टूबर को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह भोपाल पहुंच रहे हैं। शाह के आने का मकसद मध्यप्रदेश की देश को समर्पित की जा रही एक और महत्वपूर्ण सौगात है, जो मातृभाषा हिंदी के प्रति हर हिंदुस्तानी में भरोसा जगाएगी।

एमबीबीएस वह सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा है, जिसकी पढ़ाई पूरी कर चिकित्सक के रूप में विद्यार्थी ‘दूसरे भगवान’ का दर्जा पाते हैं। अभी तक यह चिकित्सक अंग्रेजी में ही पढ़ाई करने को मजबूर थे, क्योंकि उनके पास दूसरी भाषा में पढ़ने का विकल्प नहीं था। किसी दूसरी भाषा में चिकित्सा शास्त्र की पुस्तकें उपलब्ध नहीं थी। पर अब मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने आजादी के अमृत महोत्सव में इस चुनौती पर विजय पा ली है। अब देश का चिकित्सक हिंदी में सोचने, हिंदी में पढ़ने, हिंदी माध्यम से परीक्षा देने और फिर हिंदी में बात कर हर हिंदुस्तानी का उपचार करने की उड़ान भर सकेगा। मातृभाषा हिंदी इस अमूल्य सौगात के लिए मध्यप्रदेश के प्रति स्नेह बरसाएगी, तो चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के प्रयासों को भी भुला नहीं पाएगी।

16 अक्टूबर वही खास दिन है, जब मोदी के मध्यप्रदेश दौरे के पांचवें दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एमबीबीएस की हिंदी पुस्तकों का विमोचन करने भोपाल आएंगे। भोपाल का लाल परेड ग्राउंड इसका साक्षी बनेगा। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को देते हैं। हालांकि यह कामयाबी विश्वास के प्रयास और परिश्रम के बिना संभव नहीं थी। आजादी के अमृत महोत्सव पर ‘हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई’, मध्यप्रदेश सरकार की ओर से देश को बड़ी सौगात है। मोदी के आह्वान पर शिवराज सिंह चौहान के फैसले से चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित समय सीमा में एमबीबीएस के हिंदी पाठ्यक्रम को तैयार करने की खुशी विश्वास के चेहरे पर भी देखी जा सकती है।

उपलब्धि यह भी है कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जो हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई का शुभारंभ करेगा। हिन्दी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का पायलेट प्रोजेक्ट गांधी चिकित्सा महाविद्यालय से प्रारंभ होगा। मध्य प्रदेश के सभी 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में वर्तमान सत्र से ही एमबीबीएस प्रथम वर्ष में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं बॉयो केमिस्ट्री की हिंदी में भी पढ़ाई कराई जाएगी। वहीं अगले सत्र में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष में भी इसे लागू किया जाएगा। हिंदी में पढ़ाई का मतलब समानांतर रूप से हिंदी माध्यम से पढ़े छात्रों को सहायता के तौर पर यह व्यवस्था की जा रही है। अंग्रेजी के साथ हिंदी की किताबें भी उपलब्ध कराई जाएंगीं।

यह सौगात निश्चित तौर पर विकल्प चुनने की आजादी के बावजूद उन सभी छात्रों के लिए बहुत काम की है, जो अंग्रेजी के बोझ से दबकर पांच साल की पढ़ाई पूरी करने में जीवन खपा देते थे। और कई छात्र तब भी चिकित्सक बनने का सपना पूरा नहीं कर पाते थे। तो दूसरी तरफ अब हिंदी में पढ़ने की आजादी मेडिकल छात्रों के दिल-दिमाग में हिंदी-अंग्रेजी मानसिकता का भूत भी पैदा कर सकती है। खास तौर से साक्षात्कार के दौरान यह फर्क अवश्य ही महसूस किया जाएगा। तो इस सौगात के साइड इफेक्ट के तौर पर दवाओं की दुनिया में भी हिंदी का प्रयोग अनिवार्य करना पड़ेगा। इसमें दवाओं और उन्हें तैयार करने वाले घटकों की जानकारी भी हिंदी में उपलब्ध कराना जरूरी होगा। तब ही हिंदी माध्यम से एमबीबीएस और स्नातकोत्तर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी जीवन में सफलता के प्रति आश्वस्त हो सकेंगे। जब मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कदम आगे बढ़ाए हैं, तो निश्चित तौर पर आगे की बाधाओं पर भी जीत की राह बनेगी। फिलहाल तो यह माना जा सकता है कि मंत्री विश्वास सारंग के प्रयासों की खुशबू 16 अक्टूबर को शाह की मौजूदगी में लाल परेड ग्राउंड से पूरे देश और दुनिया में फैलेगी। अंग्रेजी से दूर रहे विद्यार्थियों के लिए बड़ी काम की है विश्वास के प्रयासों से मिली यह सौगात …। प्रदेश की यह सौगात हिंदी के प्रति देश-दुनिया में विश्वास जगाएगी और सिर्फ हिंदी माध्यम से पढ़े लिखे छात्रों के लिए वरदान साबित होगी।