न्यायालय ने उठाये जांच अधिकारी की भूमिका पर सवाल, दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई के दिए निर्देश

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न्यायालय ने उठाये जांच अधिकारी की भूमिका पर सवाल, दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई के दिए निर्देश

इटारसी से चंद्रकांत अग्रवाल की रिपोर्ट

इटारसी। शासकीय रेल पुलिस जीआरपी की कार्यप्रणाली को लेकर प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (First Additional Sessions Judge) हर्ष भदौरिया ने नाराजी व्यक्त की है। जहरखुरानी के एक मामले में तत्कालीन विवेचना अधिकारी दर्शन सिंह एवं अन्य अफसरों की भूमिका एवं विवेचना में लापरवाही को लेकर डीजी रेल एवं पुलिस अधीक्षक रेल को ईमेल के जरिए फैसले की प्रति भेजकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं।दरअसल विवेचना अधिकारी ने जहरखुरानी का शिकार हुए यात्री से चोरी गई अंगूठी एवं आरोपियों की शिनाख्त कराए बिना ही न्यायालय में अभियोग पत्र पेश कर दिया। अंगूठी पर लिखे अंग्रेजी शब्द बदलने के फेर में जहरखुरानी के आरोपियों को फायदा मिला, और तीनों आरोपी बरी हो गए।

न्यायालय ने फैसले पर सख्त टिप्पणी देकर ऐसे लापरवाह विवेचना अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई एवं अन्वेषण के लिए पुलिस अधिकारियों को समय-समय पर प्रशिक्षण देने की नसीहत भी दी है, जिससे गंभीर मामलों में दोषियों को इसका लाभ न मिले।

ज्ञात रहे कि 19 मार्च 2015 को दादर-वाराणसी सुपरफास्ट ट्रेन में कुर्ला से वाराणसी जा रहे यात्री गिरीश कुमार के साथ जनरल कोच में आरोपी इमाम अली पिता अली हैदर, दिलशेर पिता निसार अहमद एवं रिजवान पिता जमाल अख्तर ने नशीला बिस्किट खिलाकर 15 हजार रुपये नकदी, एटीएम, एक सोने की अंगूठी चोरी की थी। बेहोश हुआ यात्री 21 मार्च को किसी तरह घर पहुंचा, उसने वाराणसी जीआरपी में मुकदमा दर्ज कराया। डायरी इटारसी आने पर जांच अधिकारी दर्शन सिंह ने आरोपियों एवं सोने की अंगूठी की शिनाख्त नहीं कराई। न्यायालय ने इस चूक पर दर्शन सिंह एवं तत्कालीन अफसरों की भूमिका पर सवाल खड़े हुए कहा कि जीआरपी इटारसी यात्रियों की सुरक्षा में घोर लापरवाह है, इनकी लापरवाही से आरोपियों को दोषमुक्त होने का फायदा मिला।

न्यायालय ने कहा कि पुलिस की विवेचना में ऐसी गंभीर चूक के कारण अपराधी आज समाज में बेखौफ घूम रहे हैं, जीआरपी लगभग हर मामले में विवेचना की खानापूर्ति की इस प्रवृत्ति को अपना रही है।

न्यायाधीश हर्ष भदौरिया ने डीजीपी रेल एवं अन्य अफसरों को ईमेल से आर्डर की प्रति भेजकर कड़ी कार्रवाई को कहा है, साथ ही पुलिस अधिकारियों को ऐसे मामलों की विवेचना के लिए समय-समय पर अन्वेषण प्रशिक्षण देने की बात कही है। शासकीय अधिवक्ता राजीव शुक्ला एवं भूरे सिंह भदोरिया ने बताया कि न्यायालय ने तर्क किए कि इस प्रकरण में विवेचना अधिकारी की घोर लापरवाही के कारण आरोपियों को इसका लाभ मिला है, इसके परिणामस्वरूप लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।