Rajwada-2-Residency: शिवराज को अभयदान, सिंधिया का कदमताल
राजनीतिक पंडित भी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उज्जैन यात्रा और गृहमंत्री अमित शाह की ग्वालियर यात्रा किसके लिए फायदे और किसके लिए नुकसान का सौदा रही।
मोटे तौर पर जो आकलन सामने आ रहा है, वह तो यही संकेत दे रहा है कि ये यात्राएं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फिलहाल अभयदान दे गई और ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद भी बढ़ा गई। हां, यह जरूर हुआ कि जो महत्व मोदी और शाह ने सिंधिया को दिया, वह आने वाले समय में उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित होने वाला है। यह कैसे, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।
खांटी भाजपा बनाम सैलानी भाजपा
– इन दिनों भाजपा में एक नई चर्चा है, खांटी भाजपा बनाम सैलानी भाजपा। चर्चा का मुद्दा इसलिए है कि पार्टी के कई स्थापित नेता अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं के सामने अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
इन नेताओं का मानना है कि सिंधिया समर्थकों को चाहे वे मंत्री हों या विधायक या फिर निगम, मंडल के अध्यक्ष, न जाने किस भय के चलते वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है, जबकि खांटी भाजपाइयों को कई जगह नीचा देखना पड़ रहा है। सरकार और संगठन दोनों में यही हाल है। यह अच्छा संकेत नहीं है।
मैदान में सक्रिय दलाल और मंत्रियों की बढ़ती परेशानी
– मंत्रियों के दलालों की इन दिनों बड़ी चर्चा है। शिवराज मंत्रिमंडल में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे मंत्री हैं, जिनके यहां बिना दलाल के काम ही नहीं चल रहा है। इन दलालों ने मंत्रियों के परिजनों को भी पीछे छोड़ दिया है। पिछले दिनों जब सरकार ने तबादलों पर से रोक हटाई तो इन दलालों की चांदी हो गई और इन्होंने मंत्रियों के बंगलों से ही यह कहते हुए फोन घनघनाना शुरू कर दिए कि आपका नाम लिस्ट में है, आकर मिल लो नहीं तो बड़ा नुकसान हो जाएगा। इनकी बात का समर्थन मंत्रियों के स्टॉफ ने भी किया और इसके बाद तो जो कुछ हुआ उसे जानकर तो सत्ता के शीर्ष भी भौचक्क रह गए।
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कमलनाथ हेडमास्टर और जिला प्रभारी मास्टर
-कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मास्टर स्ट्रोक खेल चुके कमलनाथ 230 में से कई विधानसभा क्षेत्रों के टिकट लगभग तय कर चुके हैं। जो नाम कमलनाथ की लिस्ट में है, उन पर वे अपने भरोसेमंद लोगों के माध्यम से फीडबैक ले रहे हैं। इस मामले में जिला प्रभारियों की भूमिका भी बड़ी अहम हो गई है।
चूंकि अध्यक्ष का पूरा भरोसा है, इसलिए प्रभारी भी पूरी जिम्मेदारी से मैदान संभाले हुए हैं। यह ठीक हेडमास्टर और मास्टर जैसी स्थिति है। जिसमें समय-समय पर हेडमास्टर मास्टरों से रिपोर्ट लेता रहता है।
काम लेना तो विजयवर्गीय को आता है
– अपने अलग अंदाज के कारण कैलाश विजयवर्गीय फिर सबकी नजर में आ गए हैं। पिछले दिनों अपने तीन दिन के उत्तराखंड दौरे के दौरान जिस अंदाज में विजयवर्गीय सत्ता और संगठन के लोगों से रूबरू हुए उससे यह तो अहसास हो ही गया कि चाहे सत्ता हो या संगठन, काम लेने का तरीका उन्हें आता है।
विजयवर्गीय के इस अंदाज से पार्टी के उन तमाम दिग्गजों को भी सबक लेना चाहिए, जो अपने प्रभार के राज्यों में जाते हैं और सत्ता व संगठन की चकाचौंध में फंसकर महज खानापूर्ति के बाद वापस लौट जाते हैं।
मध्य प्रदेश काडर और प्रमोद फलणीकर
– मध्यप्रदेश कॉडर के बहुत ही योग्य, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी प्रमोद श्रीपाद फलणीकर इसी माह के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इन दिनों केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के अपर पुलिस महानिदेशक के नाते फलणीकर देशभर के विमानतलों की सुरक्षा के प्रभारी हैं। इस काबिल अफसर का इंदौर से भी बहुत गहरा नाता रहा है। एएसपी और डीआईजी के रूप में उनका कार्यकाल आज भी लोगों को याद है। सेवानिवृत्ति के पहले फलणीकर ने म.प्र. कॉडर में काम करने के सौंदर्य को लेकर जो लेख लिखा है, उसकी देशभर के पुलिस अफसरों के बीच काफी चर्चा है।
इंदौर से गहरा रिश्ता है सुलेमान और अनुराग जैन का
– मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव की दौड़ में अभी तक तो सबसे आगे दो ही नाम हैं, अनुराग जैन और मोहम्मद सुलेमान। दोनों का इंदौर से गहरा रिश्ता है। सुलेमान सालों पहले इंदौर में कलेक्टर रहे और बेहद लोकप्रिय भी रहे। इंदौर में उनकी एक मजबूत लॉबी भी है।
जैन इंदौर में तो कभी पदस्थ नहीं रहे, लेकिन उनकी बड़ी बहन डॉ. रेणु जैन अभी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति हैं। बहन के यहां जैन का आना-जाना चलता रहता है और इंदौर के हालचाल भी मालुम पड़ते रहते हैं। दोनों में से कोई भी सीएस बने, इंदौर का तो भला ही होना है। चाहे इस रास्ते, चाहे उस रास्ते।
चलते-चलते
मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में सफल पारी खेलने वाले अभिलाष खांडेकर आने वाले समय में यदि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएं तो चौंकने की जरूरत नहीं है। खांडेकर अब बीसीसीआई में एमपीसीए का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और वहां भी रणनीतिकार की भूमिका में आ गए हैं।
पुछल्ला
यह कोई समझ नहीं पा रहा है कि आखिर इंदौर क्राईम ब्रांच से हटाकर निलंबित किए गए टीआई धनेन्द्रसिंह भदौरिया के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इतने तीखे तेवर क्यों दिखाए। पुलिस वाले तो कह रहे हैं कि माईक टू यानि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से नजदीकी का प्रपोगंडा भदौरिया को भारी पड़ गया।
अब बात मीडिया की
– मध्य प्रदेश सरकार और दैनिक भास्कर के बीच अबोलापन अब खत्म हो गया है। दोनों के बीच दूरियां काफी बढ़ गई थी। इसी का नतीजा है कि अब भास्कर में सरकारी विज्ञापन नजर आने लगे हैं और सत्ता और संगठन से जुड़ी खबरों में भी सकारात्मकता आई है।
– इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले इंदौर के युवा पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव अब दूरदर्शन के सीनियर कंसल्टिंग एडिटर हो गए हैं।
वह वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर प्रतीक श्रीवास्तव के अनुज है। प्रखर देश के कई न्यूज़ चैनल इंडिया टीवी, ज़ी टीवी, आज तक और एनडीटीवी में अहम पदों पर रह चुके हैं। राष्ट्रवाद से जुड़े उनके व्याख्यानों कि इन दिनों देश में बड़ी चर्चा है।
– श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के मौके पर नई दुनिया के विशेष परिशिष्ट की जबरजस्त तारीफ हुई। लेकिन जब इस परिशिष्ट के लिए काम करने वाली टीम के सम्मान का मौका आया तो जी तोड़ मेहनत करने वाले वरिष्ठ साथी गजेंद्र शर्मा को अनदेखा कर दिया गया। नाराज गजेंद्र भरी मीटिंग में स्टेट एडिटर पर बरस पड़े और बोले मुझे भविष्य में किसी भी स्पेशल प्रोजेक्ट की टीम में न लिया जाए।
– दैनिक भास्कर की संपादकीय टीम में 2 नए युवा पत्रकारों को शामिल किया गया है। अनुप्रिया ठाकुर की सिटी भास्कर में वापसी हुई है और राहुल दवे भास्कर डिजिटल की टीम में लिए गए हैं।
-नईदुनिया इंदौर से आने वाले समय में कुछ और विकेट गिर सकते हैं। हालात को देखते हुए यहां के कुछ अच्छे रिपोर्टर अपने लिए नई संभावनाएं तलाशने में लगे हैं।