कोविड से अनाथ हुए एक हजार 370 बच्चे गायब, अब तलाश में जुटा स्कूल शिक्षा विभाग

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कोविड से अनाथ हुए एक हजार 370 बच्चे गायब, अब तलाश में जुटा स्कूल शिक्षा विभाग

भोपाल: प्रदेश में कोरोना महामारी से माता-पिता या दोनो खोने वाले एक हजार 370 बच्चे अनाथ हो गए है। सीएम कोविड बाल सेवा योजना के तहत इन्हें नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाना है। लेकिन शिक्षा विभाग के पास यह जानकारी ही नहीं है कि किस जिले के किस स्कूल में कितने ऐसे बच्चे अध्ययनरत है। इसके चलते महिला बाल विकास विभाग से बजट प्राप्त नहीं किया जा सका है। अब स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से इन बच्चों को ट्रेस कर जानकारी देने को कहा है।

 

कोरोना में माता-पिता खोने वाले बच्चे जो आरटीई से कवर नहीं है ऐसे कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों के लिए सीएम कोविड बाल सेवा योजना के तहत महिला बाल विकास विभाग द्वारा राशि प्रदान की जाना है। लेकिन अब तक शिक्षा विभाग को यह पता ही नहीं है कि कहां कितने ऐसे बच्चे अध्ययन कर रहे है। स्कूल शिक्षा विभाग अब तक जिला शिक्षा अधिकारियों को तीन बार पत्र भेजकर यह जानकारी मांग चुका है। लेकिन जिलों से यह जानकारी ही नहीं भेजी जा रही है। इसके चलते महिला बाल विकास विभाग की बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग बजट की मांग नहीं कर पा रहा है। जो बच्चे सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत नहीं है उनके बारे में कलेक्टरों को जानकारी दी जाना है ताकि कलेक्टर के माध्यम से उनकी पढ़ाई की व्यवस्था हो सके। सुप्रीम कोर्ट भी इसको लेकर सख्त है। हाईकोर्ट की समिति भी इसे रिव्यू कर रही है। वे इसे लगातार मानीटर कर रहे है। इसलिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से इन्हें ट्रेस करने और उनकी जानकारी भेजने को कहा गया है। इसमें बच्चों का नाम, स्कूल, कक्षा की जानकारी जिलेवार मांगी गई है।

 

*सत्रह माह पहले एमपी में शुरु हुई थी योजना-*

कोविड से माता-पिता को खोने वाले बच्चों की शिक्षा, आर्थिक सहायता तथा खाद्य सुरक्षा के लिए प्रदेश के महिला बाल विकास विभाग ने पिछले वर्ष 21 मई 2021 को मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना शुरु की थी। इस योजना में कोविड से माता अथवा पिता या बच्चों के वैध अभिभावकों के निधन पर उन पर आश्रित 21 वर्ष से कम आयु के और स्नातक में अध्ययनरत 24 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए यह योजना शुरु की गई थी। योजना का लाभ 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 के बीच मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी माता-पिता की कोविड से मृत्यु होंने पर दिया जाना था। योजना में प्रत्येक बाल हितग्राही को हर माह पांच हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाना थी। खाद्यान्न सुरक्षा के रुप में ऐसे परिवारों को नि:शुल्क मासिक राशन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दिया जाना है। इसके अलावा स्कूल शिक्षा विभाग के जरिए शासकीय विद्यालयों में बाल हितग्राही को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाना थी। निजी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों का शुल्क संबंधित स्कूलों को दिया जाना था। शासकीय स्कूल में बाल हितग्राही को कक्षा 9 से 12 तक के अध्ययन के लिए नि:शुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की जाना है। निजी स्कूल में अध्ययनरत बच्चों के लिए बाल हितग्राही को दस हजार रुपए प्रति वर्ष सहायता दी जाना है। इसके अलावा छात्रवृत्ति तथा अन्य शसकीय योजनाओं के लाभ पात्रतानुसार अलग से दिए जाने है। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए भी प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क सहित सभी वार्षिक शुल्क, मेस शुल्क सहित राशि की प्रतिपूर्ति भी शासन द्वारा की जाना है।तकनीकी शिक्षा के लिए 75 हजार रुपए वार्षिक, इंजीनियरिंग के लिए डेढ़ लाख रुपए सालाना, मेडिकल पढ़ाई के लिए सरकारी कॉलेज में दस लाख तथा प्राइवेट कॉलेज के लिए 25 लाख रुपए तक राशि दी जाना है। अन्य उच्च शिक्षा के लिए भी राशि दी जाना है। योजना शुरु हुए सत्रह माह हो गए है और अभी तक स्कूलों में यह तय नहीं हो पाया है कि कितने बच्चों को इस योजना के तहत लाभ दिया जाना है।