Cracker Business : पटाखा कारोबार सजा, इस साल पटाखे 40% तक महंगे!
Indore : शहर में पटाखा बाजार सजने लगा है। धनतेरस से शहर के कुछ इलाकों में प्रशासन की देखरेख में दुकानें सज जाएंगी। दशहरा मैदान पर कई दुकानें लग गई। दशहरा मैदान में 127 दुकानों की लॉटरी के जरिए अनुमति दी गई। इस साल पटाखे ज्यादा महंगे लग रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार पटाखे 40% महंगे हैं।
इंदौर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक दीपावली को लेकर अस्थाई पटाखा बाजार के लिए जिला प्रशासन ने एक सप्ताह के लिए लाइसेंस जारी किए हैं। राऊ, दशहरा मैदान, नगर निगम के समीप शांति पथ, विजयनगर और अन्य क्षेत्रों सहित अस्थाई पटाखा दुकानों के लिए आज से तैयारी शुरू हो गई। कल धनतेरस से पटाखों की बिक्री शुरू हो जाएगी। शहर के विभिन्न बाजारों के लिए प्रशासन ने लगभग 3000 अस्थाई लाइसेंस जारी किए हैं। इसके अलावा रीजनल पार्क, राजेंद्र नगर रेती मंडी और निरंजनपुर क्षेत्र में थोक विक्रय के लिए भी लाइसेंस दिए गए।
किराए के लाइसेंस का धंधा
दीपावली पर पटाखे के लिए लाइसेंस बनवाने के बाद उन्हें किराए पर देने का चलन पुराना है। एक सप्ताह के लिए मिलने वाले लाइसेंस का किराया 10 से 15 हजार तक होता है। जबकि, 20 दिन तक थोक दुकान के लिए बनने वाले लाइसेंस की कीमत दो लाख रुपए तक वसूली जाती है। खुदरा पटाखा बाजार में लगभग 25 प्रतिशत लाइसेंस किराए पर चलने की जानकारी है।
पटाखा कारोबार का गढ़
इंदौर लम्बे समय से पटाखा कारोबार का गढ़ रहा है। यहां के कई पटाखा निर्माता देशभर में अपना कारोबार करते रहे हैं। लेकिन, धीरे-धीरे ज्यादातर इकाइयों ने अपना कामकाज समेत लिया। पहले रानीपुरा, उसके बाद नवलखा और अब रीजनल पार्क के सामने पटाखे का थोक व्यापार चलता है। इंदौर मालवा और निमाड़ के साथ-साथ थोक पटाखा बाजार का गढ़ रहा है।
यहां पूरे साल ही पटाखों का व्यापार होता है। दिवाली के अलावा शादी-ब्याह के लिए भी बड़ी मात्रा में यहां पटाखों का व्यापार होता है। अधिकांश थोक व्यापार सैम्पलों के माध्यम से किया जाता है और फिर गोदाम से डिलीवरी कर दी जाती है।
पहले पटाखा व्यापारियों के गोदाम शहर में हुआ करते थे। लेकिन, रानीपुरा में हुए अग्निकांड के बाद इन्हें बाहर कर दिया गया था। इन्हें पहले नवलखा में इंदिरा काम्प्लेक्स के नीचे शिफ्ट किया गया, लेकिन अब दशहरे से लेकर दिवाली तक इन्हें रीजनल पार्क के सामने खाली पड़े मैदान में पटाखे बेचने की इजाजत दी गई।
स्थाई पटाखा व्यापारी सिर्फ 32
इंदौर में मात्र 32 स्थाई थोक पटाखा व्यापारी हैं, बाकी अस्थायी रूप से थोक कारोबार करते हैं। जीएसटी छापे के दौरान यह बात सामने आई कि ज्यादातर कामकाज जीएसटी बचाकर कच्ची चिट्ठी पर माल बेचा जाता है। अधिकांश व्यापारी इसी तरह पटाखे बेचते हैं। पटाखों के मामले में कहा जाता है कि उस पर एमआरपी दो से तीन गुना लिखी होती है, उसी हिसाब से अगर जीएसटी की गणना की जाए तो काफी होती है। सरकार ने पटाखों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा रखा है। हालांकि शुरुआत में 28 प्रतिशत थी। पिछले दिनों 13 बड़े व्यापारियों पर सरकार ने जीएसटी की कार्रवाई की। जबकि, कई व्यापारियों का कहना है कि फैक्ट्रियों से ही टैक्स चुकाकर माल लाते हैं।