आखिर बदले से क्यों नजर आ रहे शिवराज !

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Chief Minister Shivraj Singh Chouhan

आखिर बदले से क्यों नजर आ रहे शिवराज सिंह!

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ महीनों से अलग मूड में नजर आ रहे हैं। कभी वे देर रात तक अफसरों से मीटिंग करते हैं, तो अलसुबह उठकर अधिकारियों की क्लास लेते दिखाई देते हैं। सरकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करना और अफसरों को खिंचाई करना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। सिर्फ उनका मूड ही नहीं बदला, उनके व्यवहार में भी बदलाव नजर आ गया। कुछ महीने के दौरान सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात रही, अफसरों के प्रति उनकी सख्ती! भाषा में भी और कार्रवाई में भी। वे अब लापरवाहियों को अनदेखी नहीं कर रहे, बल्कि उसके जिम्मेदारों को सामने लाने की कोशिश में है। लेकिन, इसका कारण खोजने की कोशिश नहीं हो रही! जबकि, जिस तरह शिवराज सिंह समस्याओं को इंगित कर रहे हैं, साफ़ लग रहा है कि अफसर घोर लापरवाही कर रहे!

शिवराज सिंह चौहान इन दिनों ऐंग्री यंगमैन की भूमिका में आ गए। कभी वे मंत्रियों से सवाल जवाब रहे हैं, तो कभी अफसरों से डांट फटकार रहे हैं। ये उनकी नई पहचान बन गई! सौम्य, सहज और मिलनसार स्वभाव वाले शिवराज का ये नया चेहरा समझ से परे है। इस बार एक्शन वाले रोल में हैं। इसलिए सब कह रहे हैं कि सरकार बदली-बदली सी नज़र आ रही है। सत्ता के गलियारों में यही चर्चा है, कि ‘साहेब’ कड़क हो गए। उनके ऐसे मिजाज से सब हैरान भी हैं। आख़िर वे क्यों बदलते जा रहे हैं, फिलहाल ये यक्ष प्रश्न है?

18 सालों में मात्र सवा साल वे सत्ता से दूर रहे! लेकिन, कभी किसी ने उन्हें ऐसे मूड में नहीं देखा! इस वजह से सबको लग रहा है कि कहीं तो कुछ ऐसा हो रहा, जो उन्हें रास नहीं आ रहा है। शिवराज खुद भी बार-बार कह रहे हैं कि वे ख़तरनाक मूड में हैं। एक मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा था ‘सुन लो माफिया, मध्य प्रदेश छोड़ दो, नहीं तो ज़मीन में दस फ़ीट गाड़ देंगे!’ उनका यह भाषण भी खूब वायरल हुआ था। इसलिए कहा जा रहा है कि शिवराज चौहान के सिर्फ़ वचन ही नहीं बदले, उनकी छवि भी बदलाव के रास्ते पर है।

ये स्थिति आज या कल की नहीं है! साल भर से धीरे-धीरे उनमें बदलाव आ रहा है। पिछले साल उनका एक वीडियो खूब चर्चित हुआ था। मुख्यमंत्री ने मीटिंग के बीच में ही ग्वालियर नगर निगम के आईएएस कमिश्नर को फटकारा और कहा ‘बहुत हो गया, अब इनकी छुट्टी कर दीजिए!’ शाम होते होते-होते 2010 बैच के आईएएस संदीप माकिन को हटा दिया गया था। कुछ ऐसा ही अंदाज झाबुआ कलेक्टर और एसपी को हटाने के समय भी दिखाई दिया था। इसके बाद मंच से भी कार्रवाई होती दिखाई दी। लेकिन, इंदौर के IAS एडीएम पवन जैन को लेकर उनका रवैया अभी तक सबसे ज्यादा सख्त दिखाई दिया। एक विकलांग के साथ जनसुनवाई में बदसलूकी करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से इंदौर से हटा दिया गया। दरअसल, ये संकेत है कि यदि अफसरों ने अपनी शैली नहीं सुधारी तो नतीजा क्या होगा!

शिवराज चौहान का अंदाज बहुत कुछ नरेंद्र मोदी की तरह है। भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर शिवराज ने एक मंत्री के निजी सचिव को बर्खास्त कर दिया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने भी अपने मंत्रियों को लेकर ऐसा ही किया था। अब मुख्यमंत्री भी उसी फार्मूले पर चल रहे हैं। उन्होंने अपने मंत्रियों को दलालों से दूर रहने को कहा और सबको जनसेवा के नए-नए आयडियों पर काम करने की नसीहत दी। शिवराज ने यह भी कहा था कि वे जब भोपाल में रहेंगे, तो रोज किसी न किसी मंत्री के साथ चाय पर चर्चा करेंगे, उन्होंने यह किया भी और इसके नतीजे भी सामने आए!

शिवराज सिंह के बदले हुए व्यवहार के कारण क्या है, इसे लेकर अलग-अलग कारण गिनाए जा रहे हैं। एक साल बाद विधानसभा चुनाव होना है और शिवराज सिंह नहीं चाहते कि उनकी सरकार की कोई भी खामी जनता की नाराजी का कारण बने और उससे चुनाव नतीजे प्रभावित हों! वे अपनी इमेज जनता के मुख्यमंत्री के रूप में बनाना चाहते हैं, जो केंद्र में नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की बनी है। भाजपा शासित राज्यों की सरकारें भी बेहद आक्रामक तरीके से काम कर रही हैं। शिवराज सिंह भी पीछे नहीं रहना चाहते, जिसके चलते उन्होंने अपनी विनम्र छवि को त्याग दिया। कुछ हद तक वे खुद को हिंदूवादी नेता के रूप में स्थापित करने की भी कोशिश कर रहे हैं। ठीक उसी तरह जैसी उत्तर प्रदेश में योगी की है।

दो दिन पहले भोपाल की सड़कों को लेकर उन्हें नगर निगम और पीडब्लयूडी के अफसरों की नकेल कस दी। उन्होंने पूछ भी लिया कि इसका जिम्मेदार कौन है, उसे सामने लाया जाए! मुख्यमंत्री ने ग्वालियर की सड़कों की स्थिति पर भी नाखुशी जाहिर की। दरअसल, मुख्यमंत्री को इस स्थिति तक लाने के लिए वो हालात जिम्मेदार हैं, जो अफसरों ने पैदा किए हैं। जिस तरह की सख्ती शिवराज सिंह इन दिनों दिखा रहे हैं, उससे लगता है कि वे अफसरों की लापरवाहियों से बहुत ज्यादा परेशान हो गए। काफी हद तक ये सही भी है। यदि मुख्यमंत्री को राजधानी की सड़कों को लेकर बोलना पड़े, तो ये सही भी नहीं है। जनता की शिकायत पर मंच से अफसरों को सस्पेंड करने के निर्देश देना उन्हें फटकार लगाना, ये किसी मुख्यमंत्री के लिए आसान हालात नहीं है।

शिवराज सिंह खुद भी कई बार अफसरों को हिदायत दे चुके हैं कि आजकल अपन अलग मूड में हैं। अभी तक मुख्यमंत्री की छवि विनम्र शासक की रही। वे बच्चों के लिए मामाजी के नाम से लोकप्रिय हैं और उनके पास आने वाली हर शिकायत पर निर्देश देने में देर नहीं करते! लेकिन, अफसरों के प्रति उनके बयानों से उनके तेवर अलग ही लग रहे हैं। उनकी मॉर्निंग मीटिंग भी सामान्य नहीं होती! वे जिस जिले की समीक्षा करते हैं, पहले वहां की सारी चीरफाड़ कर चुके होते हैं। यही कारण है, कि इन वर्चुअल मीटिंग में कोई अफसर बच नहीं पाता और न झूठ बोलने की हिम्मत कर पाता है। कुछ दिनों पहले पन्ना जिले की समीक्षा में जब कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा अपने जिले की सही जानकारी नहीं दे पाए, तो शिवराज सिंह ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने साफ़ कहा कि पन्ना कलेक्टर ये बताएं कि अगर 4 महीने तक जियो टैगिंग चलती रहेगी, तो कैसे काम चलेगा। आपके पास या तो जानकारी नहीं हैं या आप बता नहीं पा रहे हो, ये बात ठीक नहीं है।

कई जिलों की समीक्षा के दौरान वे सरकारी योजनाओं की धीमी प्रगति से नाखुश हुए। उन्होंने अफसरों को जमकर फटकार लगाई। जल जीवन मिशन, सीएम हेल्पलाइन, बिजली आपूर्ति में गड़बड़ी और धीमी रफ्तार पर नाराजगी व्यक्त की। लेकिन, उनकी इस सख्ती से जनता खुश है। उसे अब लग रहा है कि कोई तो है, जो उनकी बात सुन और समझ रहा है। फिर इसके पीछे कारण कुछ भी हो, जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही का असर दिखाई दे रहा है! आने वाले दिनों में अफसरों पर और ज्यादा सख्ती दिखाई दे, तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए!