CM की फटकार बेअसर, सड़कों की 20 हजार शिकायतें

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Shivraj Singh Chouhan

 

CM की फटकार बेअसर, सड़कों की 20 हजार शिकायतें

 

भोपाल: सड़कों की दुर्गति को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नगर निगम भोपाल और लोक निर्माण विभाग के अफसरों को फटकार लगाने के बाद भी प्रदेश में सड़कों की हालत में सुधार नहीं हो रहा है। शहरी और ग्रामीण इलाकों की खस्ताहाल सड़कों की मरम्मत के मामले में नगरीय निकायों, लोक निर्माण विभाग तथा अन्य निर्माण एजेंसियों के अफसर इससे बेफिक्र हैं और इसका खामियाजा सड़क पर से गुजरने वाले लोगों को उठाना पड़ रहा है। प्रदेश में सड़कों के गड्ढे नहीं भरने, मरम्मत नहीं करने और सड़क सुधार नहीं किए जाने के बीस हजार से अधिक मामले अफसरों के पास शिकायत के रूप में पहुंचे हैं जिन पर एक्शन नहीं हो पा रहा है। बारिश के बाद उखड़ी सड़कों की सबसे अधिक खराब हालत शहरी क्षेत्रों की ही है जहां न तो निकायों के इंजीनियर पहुंच रहे हैं और न मानिटरिंग करने वाले अफसरों द्वारा कोई एक्शन लिया जा रहा है।

लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आने वाली सड़कों की बात करें तो पता चलता है कि प्रदेश में 1100 मामले विभाग की सड़कों की खस्ता हालत को लेकर शासन के पास शिकायत के रूप में दर्ज है। इसमें एमपी रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन की सड़कों के कम्प्लेन के मामले भी शामिल हैं। यह सभी मामले जुलाई से अक्टूबर के बीच के ही हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में खराब निर्माण कार्य, काम चालू नहीं होने और अधूरे छोड़ने से संबंधित 1574 मामलों में कार्रवाई नहीं की गई गई है। इसमें मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की खराब हुई सड़कें भी शामिल हैं। ग्रामीण इलाकों में सड़कों की संधारण और मरम्मत करने वाली एक अन्य इकाई ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के पास भी 1108 मामले पेंडिंग हैं।

शहरी सड़कों की शिकायतों पर एक नजर

सड़कों के निर्माण, मरम्मत की विभाग वार जानकारी जुटाने पर पता चला है कि बारिश के दौरान जुलाई से लेकर अक्टूबर के अंत तक सड़कों की खस्ता हालत को निर्माण एजेंसियों के घटिया निर्माण और अफसरों की क्वालिटी से समझौते की पोल भी खोलती है। इस अवधि में सबसे अधिक कम्प्लेन नगरीय निकायों की हैं। इसमें नगरपालिका, नगरपरिषदों में सड़कों के सुधार, गड्ढे भरने, मरम्मत करने और टूटे डिवाइडरों को ठीक करने को लेकर प्रदेश के सभी जिलों में 5057 शिकायतें की जा चुकी हैं। इसके साथ ही नगर निगमों से संबंधित 3098 मामले दर्ज हुए हैं जबकि असलियत यह है कि हजारों कालोनियों में उखड़ी सड़कों से होकर लोग गुजरते हैं और कम्प्लेन नहीं करते। अगर ऐसे भी मामले शामिल होते तो यह आंकड़ा काफी अधिक होता। निकायों सड़क अधोसंरचना विकास और सड़कों पर नाले-नालियों से संबंधित 4701 शिकायतों पर भी अमल नहीं किया जा सका है।