Death In 24 Hours After Suspension: अकाउंटेंट को कलेक्टर ने किया सस्पेंड, 24 घंटे में हुई मौत

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Death In 24 Hours After Suspension: अकाउंटेंट को कलेक्टर ने किया सस्पेंड, 24 घंटे में हुई मौत

Bhopal: मध्य प्रदेश के छतरपुर में कलेक्टर संदीप जीआर के द्वारा बीते दिन नौगांव जनपद में पदस्थ लेखापाल अनिल खरे को प्रथम दृष्टया दोषी मानकर निलंबित किया गया था। निलंबन के 24 घंटे ही पूरे नहीं हुए कि अनिल खरे का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते गुरूवार को कलेक्टर संदीप जीआर के द्वारा नौगांव जनपद में पदस्थ अनिल खरे को आदेश का पालन नहीं करने के दोष में निलंबित किया गया था। जनसंपर्क कार्यालय द्वारा जारी प्रेस नोट में उल्लेख किया गया था कि सांसद स्थानीय विकास योजना की प्रथम किस्त की राशि को आहरण करते हुए बैंक खाते में जमा करने हेतु अनिल खरे को आदेशित किया गया था, परन्तु उनके द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया था। जिस कारण प्रथम दृष्टया दोषी मानकर उनको निलंबित किया गया था। जिसकी सूचना सार्वजनिक रूप से जनसंपर्क कार्यालय छतरपुर के द्वारा ई-मेल व अधिकृत जनसंपर्क विभाग के व्हाटसप ग्रुप पर प्रेषित की गई थी।

परिवारजनों का कहना है कि वह निलंबन की खबर सुनकर ही बेहद तनाव महसूस करने लगे थे। शुक्रवार को वह अलीपुरा गांव से अपने घर नौगांव की ओर आ रहे थे कि पचबारा टोल प्लाजा पर उन्हें बेचैनी व घबराहट महसूस हुई जिस कारण उन्हें चक्कर आने लगे, नेशनल हाईवे में तैनात एंबुलेंस के द्वारा उनको नौगांव अस्पताल लाया गया जहां पर डॉक्टरों के द्वारा मृत घोषित कर दिया गया।

बीएमओ रविन्द्र पटेल के द्वारा बताया गया है कि वह मरणासन्न स्थिति में ही अस्पताल लाए गए थे और शुरुआती इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था।

डॉक्टर का कहना है कि यह प्रथम दृष्टया अटैक आने पर ही मृत हुए है।

●सामान्य प्रशासन विभाग की गाइड लाइन का कलेक्टर ने नहीं किया पालन..

सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा समय-समय पर शासकीय सेवकों के निलंबन संबंधी नियम व गाइड लाइन जारी किये जाते है। 30 अगस्त 2002 को सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल द्वारा जारी पत्र क्रमांक सी-6-6-2000-3 में शासन के समस्त विभाग, अध्यक्ष राजस्व मण्डल म.प्र. ग्वालियर, समस्त संभागीय आयुक्त, समस्त कलेक्टर को जारी आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि किसी ऐसे शासकीय सेवक जिसके विरूद्ध विभागीय जांच की जाना हो, सामान्यत: निलंबित नहीं किया जाना चाहिए।

जब आरोप गंभीर स्वरूप के हो या प्रशासनिक दृष्टि से या अन्य सुनिश्चित कारणों से ऐसा करना आवश्यक/अपरिहार्य हो तभी उसे निलंबित किया जाना चाहिए। निलंबन के पूर्व कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है।

बताया जा रहा है कि स्व. खरे को निलंबन के पूर्व किसी भी प्रकार का कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया था। इस पूरे मामले को जब कलेक्टर से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनके अधिकृृृत मोबाइल नंबर पर कई बार संपर्क किया गया परन्तु कॉल रिसीव ही नहीं किया गया।