UGC’s New Guide Lines : पीएचडी के महिलाओं को अब ज्यादा समय मिलेगा!

पीएचडी के लिए UGC ने नई गाइडलाइन जारी की!

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UGC’s New Guide Lines : पीएचडी के महिलाओं को अब ज्यादा समय मिलेगा!

Indore : यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) और से पीएचडी के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई। नए नियमों के तहत पीएचडी डिग्री कोर्स में एडमिशन डेट से 6 साल तक का समय दिया जाएगा। कहा जा रहा है कि महिलाओं को 2 साल की छूट दी जा सकती है। इस मामले में यूजीसी का मानना है कि नए नियम से अच्छे स्टूडेंट को फायदा होगा।
महिलाओं और दिव्यांगों को 2 साल की छूट दी जाएगी। नौकरी कर रहे कर्मचारी या अध्यापक पार्टटाइम पीएचडी कर सकेंगे। पहले इन्हें पीएचडी करने के लिए स्टडी लीव लेना पड़ता था। नए नियम के तहत अगर कोई पीएचडी रिसर्चर री-रजिस्ट्रेशन कराता है। तब ऐसी स्थिति में ज्यादा से ज्यादा दो साल का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। इसके लिए शर्त ये होगी कि पीएचडी कार्यक्रम पूरा करने की कुल अवधि पीएचडी के एडमिशन डेट से 8 साल से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

6 साल की समय सीमा का नियम
यूजीसी ने पीएचडी के लिए नए नियम बनाए है वे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने वर्ष 2018 में ही लागू कर दिया था। देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय (DAVV) के अधिकारियों ने बताया कि पीएचडी में 6 वर्ष का नियम 25 अक्टूबर 2017 को कोऑर्डिनेशन कमिटी ने पारित कर दिया था। इसके बाद 4 दिसंबर 2017 को कार्यपरिषद की बैठक कर इसे लागू कर दिया। इस नियम के तहत यह भी प्रावधान था, कि यदि कोई विद्यार्थी किन्ही कारणों से डीआरसी में सम्मिलित नहीं हो पाता है तो पुनः 6 महीने के अंदर डीआरसी की बैठक बुलाकर शोध विषय स्वीकृत किया जाए।

महिलाओं को मिली ये सुविधा
यूजीसी के नए नियमों के तहत महिलाओं को काफी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। पीएचडी कर रही महिला की अगर शादी हो जाती है और वो किसी दूसरे शहर में चली जाती हैं। तब ऐसी स्थिति में किसी भी संस्थान से पीएचडी कोर्स जारी रख सकती हैं। इसके लिए उन्हें अनुमति दी जाएगी। उन्हें बार-बार पीएचडी कोर्स पूरा करने के लिए अपने शहर नहीं भागना पड़ेगा। पीएचडी कराने वाले अध्यापकों के लिए कुछ नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के तहत अगर परमानेंट अध्यापक, जिनके रिटायरमेंट के 3 साल बचे हैं। वो नया रिसर्च के लिए नया रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकते हैं। हालांकि वो को-गाइड के तौर पर 70 साल तक पीएचडी करा सकते हैं।