Raigaon Byelection: SC और OBC पर टिका जीत-हार का गणित, जुगल किशोर बागरी की परम्परागत सीट पर कांग्रेस की जागी आस

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Prithvipur Assembly

भोपाल:सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर हमेशा की तरह इस बार भी जीत-हार का गणित SC और OBC के मतदाताओं पर टिका हुआ है। दोनों की वर्ग के मतदाताओं को जहां ज्यादा रूझान होगा उस पार्टी का उम्मीदवार विधानसभा तक पहुंच सकता है।

इस सीट पर कांग्रेस को 31 साल से जीत नहीं मिली है, लेकिन इस बार उसके लिए राहत की बात यह है कि उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा ) मैदान में नहीं हैं।

कई सुमदाय पर दोनों ही दल लगा रहे जोर
रैगांव सीट 1977 से अस्तित्व में आई तब से ही इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग के मतदाता प्रमुख भूमिका में रहे हैं। यहां अनुसूचित जाति वर्ग में चौधरी, कोरी और बागरी समुदाय के सबसे ज्यादा वोटर हैं। जिन पर दोनों ही दलों की नजर लगी हुई है। भाजपा ने इसलिए ही बागरी परिवार से प्रतिमा बागरी को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने चौधरी समुदाय से कल्पना वर्मा को उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही दल अनुसूचित जाति वर्ग के ज्यादा से ज्यादा वोट पाने के लिए हर समीकरण पर काम कर रहे हैं। वहीं ओबीसी वर्ग से कुशवाहा और पटेल समुदाय के मतदाता अहम माने जाते हैं। ये दो समुदाय भी चुनाव नतीजों को प्रभावित करते रहे हैं। वहीं यहां के ठाकुर भी खासे प्रभाव वाले माने जाते हैं, उनका असर अन्य समुदाये के मतदाताओं पर भी है।

जुगल किशोर बागरी की परम्परागत सीट
यह सीट भाजपा के जुगल किशोर बागरी की परम्परागत सीट रही है। वे 1993 से इस सीट पर कोई चुनाव नहीं हारे, बीच में भाजपा ने वर्ष 2013 में जुगल किशोर बागरी की जगह पर उनके बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट दिया था, लेकिन पुष्पराज बागरी चुनाव नहीं जीत सके थे। इसके बाद 2018 में जुगल किशोर बागरी को फिर से टिकट दिया और वे एक बार फिर इस सीट से चुनाव जीत गए थे। हालांकि जुगल किशोर बागरी यहां पर वर्ष 1980, 1985 और 1990 का चुनाव हार चुके हैं, लेकिन एक बार जीत दर्ज करने के बाद वे इस सीट पर अजय ही रहे।

बसपा के नहीं होने से कांग्रेस की उम्मीद जागी
बीएसपी के चुनाव मैदान में नहीं होने से कांग्रेस में उम्मीद जगी है। कांग्रेस इस सीट पर 31 साल से नहीं जीती। कांग्रेस की हालत इस सीट पर 1990 से बहुत खराब रही है। वह तीसरे नंबर पर आती रही। लंबे अरसे बाद इस सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर आई थी। यहां पर बसपा दूसरे नंबर पर आती रही है, जबकि वर्ष 2013 में बसपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।