शिवराज का बदला अंदाज, फैसला ‘ऑन द स्पाट’….

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शिवराज का बदला अंदाज, फैसला ‘ऑन द स्पाट’….

– मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फुल चुनावी मोड में हैं। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के लिए 6 माह की सेवावृद्धि लेकर उन्होंने अपने नाम पर केंद्रीय नेतृत्व की मुहर लगवा ली है। अब उन्हें बदले जाने की अटकलों पर विराम लग जाना चाहिए। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के कारण कांग्रेस चर्चा में थी, समान नागरिक संहिता के लिए कमेटी बनाने की घोषणा कर शिवराज ने चर्चा का फोकस अपनी ओर मोड़ लिया। प्रदेश की राजनीतिक चौपाल में राहुल और शिवराज ही चर्चा के केंद्र में हैं। मुख्यमंत्री ने अचानक तेवर आक्रामक भी किए हैं। इससे अफसरों की नींद उड़ी है।

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शिकायत मिलने पर ‘आन द स्पाट’ फैसले की कार्यशैली काबिले-तारीफ है, इससे अफसरशाही सहम गई है। अब तक मुख्यमंत्री कार्यक्रमों में पहुंच कर मंच से अफसरों को निलंबित करने की घोषणा करते थे, अब उन्होंने औचक निरीक्षण का सिलसिला शुरू किया है। उनका हेलीकाप्टर भोपाल से उड़ेगा, कहां जा रहा है किसी को मालूम नहीं होगा। संबंधित जगह में उतरने से पहले कलेक्टर को जानकारी मिलेगी और शिवराज अचानक जा धमकेंगे, जैसे वे डिंडोरी जिले के शहपुरा पहुंचे और कई अफसरों को नाप दिया। काम की इस आक्रामक शैली से शिवराज लोगों के लिए नायक की भूमिका में हैं। उनकी शिकायतों पर कार्रवाई जो हो रही है।

राहुल की यात्रा को विवादित नहीं कर पाई भाजपा….

– राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा केरल सहित दक्षिण के राज्यों और महाराष्ट्र म जैसी सफल रही थी, वही उत्साह मध्यप्रदेश में भी देखने को मिला। हालांकि यात्रा के हिंदी भाषी राज्यों में पहुंचने पर सफलता को लेकर आशंका थी। ऐसा नहीं है कि मप्र में भारत जोड़ो यात्रा को विवादित करने की कोशिश नहीं हुई, पर लोगों के रिस्पांस को देखकर लगा कि भाजपा का कोई हथकंडा नहीं चला। जयराम रमेश ने कहा भी कि कई अड़चने डालने की कोशिश हुई। पोस्टर , बैनर निकाले गए, एफआईआर तक हुई, बावजूद इसके यात्रा सक्सेस रही। फिल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर, कन्हैया कुमार के यात्रा में शामिल होने पर विवाद खड़ा किया गया लेकिन लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा। ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ नारे वाले वायरल वीडियो को भी जनता ने तवज्जो नहीं दी।

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यात्रा में शामिल एक युवा ने हिंदुत्व की अपनी तरह से व्याख्या कर कहा कि यात्रा कुछ लोगों के उग्र एवं कुरूप हिंदुत्व के स्थान पर बंधुत्व, भाईचारे एवं सांप्रदायिक सद्भाव के लिए निकाली जा रही है। लिहाजा, हिंदुत्व को लेकर भी कांग्रेस को जमकर घेरा गया। खास बात यह है कि राहुल गांधी की सेहत पर किसी विवाद का कोई असर नहीं पड़ा। वे अपनी छवि बदलने और लोगों में कांग्रेस के प्रति उम्मीद जगाने में सफल होते दिखाई पड़े। यात्रा के प्रति लोगों का उत्साह देखकर तो यही लगता है।

 कमलनाथ जी! सेल्फ गोल दागना बंद करिए….

– कांग्रेस की समस्या यह है कि पार्टी को मुसीबत में डालने का काम वरिष्ठ नेता ही कर रहे हैं, जबकि जुबान फिसलने अथवा बिना सोचे समझे बोलने का खतरा नए ऊजार्वान नेताओं से ज्यादा होना चाहिए। कमलनाथ मप्र में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ एवं सर्व शक्तिमान नेता हैं। भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी को लेकर उन्होंने खुद पर ही गोल दाग दिया।

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प्रख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा से मुलाकात में कह बैठे कि हम सात दिन से मर रहे हैं। राहुल के महाकाल, ओंकारेश्वर एवं आदिवासी नायक टंट्या मामा के यहां जाने को लेकर भी टिप्पणी कर दी। बस क्या था, भाजपा ने घेर लिया। नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के जनजातीय प्रेम और धार्मिक आस्था पर सवाल खड़े कर दिए। राहुल गांधी से अपील कर डाली की अस्वस्थ लोगों को यात्रा में शामिल न करें। एक तरफ कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ नारे वाले वायरल वीडियो को लेकर भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी और इधर कमलनाथ ने भाजपा को क्लीनचिट दे डाली। इस पर भी नरोत्तम ने घेर लिया। कमलनाथ जी! आप तो सेल्फ गोल दागना बंद करिए। गुजरात में भी विवादित बयान देने वाले वरिष्ठ ही थे। मधुसूदन मिस्त्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को औकात बताने लगे। मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी की तुलना रावण से कर डाली। पहले मणिशंकर अय्यर ने ही मोदी को नीच कहा था।

‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ कहावत चरितार्थ….

– भाजपा ने पहाड़ खोदा या नहीं, यह पार्टी के नेता जाने लेकिन खबरों की सुर्खियां यही थीं कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के साथ मध्यप्रदेश में होंगे तो कांग्रेस के कई विधायक भाजपा में शामिल होंगे। एक दर्जन संख्या बताई गई। कांग्रेस के कई विधायकों के नाम चर्चा में रहे लेकिन कहावत चरितार्थ हुई, ‘खोदा पहाड़ और निकली चुहिया’ वाली। हाथ आए सिर्फ नरेंद्र सलूजा। सलूजा भाजपा में शामिल न होते तब माना जाता कि कांग्रेस को तोड़ने के प्रयास नहीं हुए। पर भाजपा की कोशिश सलूजा तक ही पहुंची, इसलिए भी क्योंकि इंदौर के खालसा कालेज के ताजा घटनाक्रम से कमलनाथ सलूजा से नाराज हो गए। हालांकि नाराजगी बेवजह और कांग्रेस के अंदर चल रही उठापटक का नतीजा थी। पर वजह कुछ भी हो, फायदा भाजपा ने उठाया और सलूजा भाजपा के पाले में चले गए। सलूजा को इवेंट बनाकर शामिल किया गया।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में खुद सलूजा को भाजपा की सदस्यता दिलाई। अन्य प्रवक्ताओं की तुलना में सलूजा का वजन कुछ इसलिए ज्यादा था क्योंकि वे प्रारंभ से कमलनाथ के साथ जुड़े थे। उनके लिए मीडिया का काम देख रहे थे। सलूजा न होते तो भाजपा हाथ मलती रह जाती, क्योंकि अब राहुल की यात्रा राजस्थान में प्रवेश कर चुकी।

 ‘भागवत कथा’ में भी भार्गव की अलग स्टाइल….

– प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री गोपाल भार्गव काम की अपनी अलग स्टाइल और क्षेत्र के प्रति लगाव के लिए जाने जाते हैं। लगातार मंत्री होने के बावजूद वे भोपाल की बजाय अपने गृह क्षेत्र में ज्यादा समय देना पसंद करते हैं। संभवत: इसीलिए वे अब तक अजेय हैं। इस समय भागवत कथाओं का दौर चल रहा है। नरोत्तम मिश्रा के क्षेत्र मे कथा हो चुकी है। कमल पटेल के क्षेत्र में 7 दिसंबर और भूपेंद्र सिंह के क्षेत्र में 9 दिसंबर से भागवत कथा का आयोजन होने वाला है।

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इससे पहले 5 दिसंबर को गोपाल भार्गव के क्षेत्र गढ़ाकोटा में कथा प्रारंभ हो रही है। यह कथा इस मायने में सबसे अलग है कि इसमें क्षेत्र के वे लोग भी कथा के यजमान बन सकेंगे, जो कमजोर हैं और कथा करा पाने में सक्षम नहीं हैं। भार्गव द्वारा ऐसे लोगों से अपील की गई है कि वे कार्यालय आकर मात्र सवा रुपए का संकल्प पत्र भरें और यजमान बन जाएं। इतना ही नहीं, आर्थिक रूप से कमजोर जो सज्जन अपने स्वर्गीय परिजनों को कथा सुनाना चाहते हैं, वे स्वर्गीय परिजन के चित्र के साथ कार्यालय में संपर्क करें। उनकी व्यवस्था भी की जाएगी। है न क्षेत्र के लोगों को खुद से जोड़े रखने का नायाब तरीका। संभवत: कथा कराने वाले किसी अन्य नेता ने क्षेत्र के कमजोर लोगों के लिए यह व्यवस्था नहीं की होगी। इसीलिए भार्गव अलग स्टाइल के नेता हैं।