पंच महाभूतों में पैदा हुए असंतुलन से उत्पन्न विकृतियों के संकट से उभरना होगा

जल का अनादर न हो, प्रकृति की सदैव पूजा करना चाहिये - डॉ. मोहनराव भागवत

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पंच महाभूतों में पैदा हुए असंतुलन से उत्पन्न विकृतियों के संकट से उभरना होगा

उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट 

उज्जैन । पंच महाभूत की अवधारणा पर पर्यावरण का देशज विमर्श स्थापित करने हेतु इन्दौर रोड स्थित मालगुड़ी डेज रिसोर्ट में अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के सारस्वत सत्र को सम्बोधित करते हुए सर-संघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि पंच महाभूतों में पैदा हुए असंतुलन से उत्पन्न विकृतियों के संकट से उभरना आवश्यक है। हमें किसी भी तरह जल का अनादर न करना चाहिये। हमारी प्रकृति का सम्मान हो और इसकी सदैव पूजा की जाना चाहिये। जल का विषय गंभीर है और हमें इस बात की प्रमाणिकता से लोगों को अवगत कराना होगा। अपनी-अपनी शक्ति अनुसार पंच महाभूतों पर अलग-अलग स्थानों पर कार्य करना आवश्यक है। हमारी भारतीय संस्कृति एकात्मवादी है। देश में जल के संकट होने से विचार-विमर्श करने हेतु संगोष्ठियां आयोजित की जा रही है। इस संकट से उबरने के लिये हमें अपने-अपने स्तर से उपाय ढूंढना जरूरी है।

मनुष्य ने प्रकृति पर विजय पाने की कोशिश करते रहने से पंच महाभूतों पर संकट आने लगा है। मनुष्य में अहंकार नहीं आना चाहिये। हमें पहले अपने आप में शुद्ध होकर प्रकृति को बचाने की हर प्रकार से कोशिश करना चाहिये। चाहे हमारी खेती के धंधे की पद्धति में बदलाव ही क्यों न करना पड़े। हमें अधिक से अधिक जैविक खेती करने की आवश्यकता है। प्रकृति का सम्मान करना आवश्यक है। इसका अंधाधुंध दोहन करें। पंच महाभूतों की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पूजा करना आवश्यक है। पंच महाभूतों पर नियंत्रण कर हमारे स्वभाव को बदलकर उनकी रक्षा की जाना चाहिये। हमें इस दिशा में प्रयत्न करना चाहिये। उन्होंने सतत शोधन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जल का भण्डारण अधिक से अधिक धरती पर किया जाये। हमारे आचरण में सुधार लाना जरूरी है। पंच महाभूत को भारतीय संस्कृति में एकात्मवादी होना आवश्यक है। पानी की खपत कैसे कम हो, कम पानी में हमारा काम हो, इस पर जोर देना जरूरी है।

इस अवसर पर जस्टिस आदर्श गोयल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिये । उन्होंने गंगा, यमुना आदि नदियों के प्रदूषण के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी और बताया कि प्रदूषण से नदियों में नहाना भी दूभर हो गया है। जब तक हमारी नदियां प्रवाहमान न होगी, तब तक नदियां हमारी प्रदूषित ही रहेगी। जिस गति से तापमान बढ़ रहा है, हमारे ग्लेशियर पिघल रहे हैं। समय-समय पर इस प्रकार की संगोष्ठियां होना आवश्यक है। धरातल पर पंच महाभूत पर अनिवार्य रूप से इसका क्रियान्वयन होना चाहिये। नदियों में मिलने वाले सीवेज को रोकना आवश्यक है और प्रदूषित पानी का ट्रीटमेंट करना जरूरी है।

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि हमारे देश में हमारी सभ्यता को बचाने के लिये ऋषि-मुनियों ने समय-समय पर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पंच महाभूत को धरातल पर लाने के लिये अलग-अलग देश में संगोष्ठियां आयोजित की जा रही है। जल का संचय, इसका उपयोग और उपभोग की पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पंच महाभूत को बचाने के लिये समय-समय पर सरकार तो अपना कार्य कर ही रही है, परन्तु इसमें सबकी जागरूकता और सबकी सहभागिता और जन-भागीदारी भी होना जरूरी है। हमारे व्यवहार में परिवर्तन लाना भी आवश्यक है। हमारी पहली पाठशाला हमारा परिवार है। इसके बाद शिक्षा पद्धति से भी व्यक्ति बहुत कुछ सीखता है। इसी के साथ धर्मगुरू, सामाजिक संस्थाएं भी अपने-अपने ढंग से पंच महाभूतों पर कार्य कर रही है। आने वाले समय में जल की उपलब्धता बाधित न हो, इस प्रकार से हम सब मिलकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि पंच महाभूतों की अवधारणा हमारे देश में ही विकसित हुई है।

इस अवसर पर पूर्व सर-कार्यवाह भैय्याजी जोशी, स्वामी अदृश्य कागसिद्धेश्वर महाराज, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल, सांसदगण वीडी शर्मा, अनिल फिरोजिया, विधायक बहादुरसिंह चौहान, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कमला कुंवर, जन अभियान परिषद के उपाध्यक्षद्वय विभाष उपाध्याय व जितेंद्र जामदार, महापौर मुकेश टटवाल, मप्र मेला विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष माखनसिंह चौहान, नगर निगम सभापति कलावती यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ.सत्यनारायण जटिया, वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय, विवेक जोशी, बहादुरसिंह बोरमुंडला, पूर्व सांसद प्रो.चिन्तामणी मालवीय, पूर्व विधायक सतीश मालवीय व राजेन्द्र भारती, विशाल राजौरिया, जनअभियान परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष प्रदीप पाण्डेय एवं गणमान्य अतिथिगण मौजूद थे।

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महाकाल मंदिर परिसर में डॉ.भागवत ने किया रजत जल स्तंभ का अनावरण 

संघ प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत उज्जैन पहुंचने के बाद सबसे पहले बाबा महाकाल के मंदिर पहुंचे व पूजन अर्चन किया। अंतर्राष्ट्रीय सुजलाम जल महोत्सव के अंतर्गत महाकाल मंदिर परिसर में चतुर्वेद पारायण अनुष्ठान की पूर्णहुति के साथ ही नवनिर्मित जल स्तंभ का अनावरण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहनराव भागवत द्वारा किया गया । इस अवसर पर श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष कलेक्टर अशीष सिंह द्वारा संघ प्रमुख का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया एवं महाकाल प्रवर समिति द्वारा उन्हें अभिनंदन पत्र प्रदान किया गया । करीब 60 किलो चांदी (रजत) से मंडित जल स्तंभ चारों वेदों की संस्कृत ऋचाऐं अंकित है।

रजत स्तंभ के अनावरण कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, जन अभियान परिषद के उपाध्याक्ष राज्य मंत्री विभाष उपाध्याय, विधायक पारस जैन, महापौर मुकेश टटवाल, निगम सभापति कलावती यादव आदि नेताओं सहितकलेक्टर आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार शुक्ल, मंदिर प्रशासक संदीप सोनी एवम् बड़ी संख्या में गणमान्य जन उपस्थित रहे ।