उमा की उम्मीदों को पूरा करने पेसा दिला रहा भरोसा…
वैसे ओशो जैसा महान दार्शनिक तो अंधेरे और उजाले पर बोले तो पूरी उम्र भी कम पड़ जाए समझने में। पर कुछ वाक्य ही समझने की कोशिश करें तो भी बहुत है सामान्य जन के लिए। ओशो कहते हैं कि सौभाग्यशाली हो कि घना अंधकार मालूम हो रहा है। घने अंधकार के गर्भ में ही सुबह छिपी है,भोर छिपा है। वह कहते हैं कि गाओ! नाचो! गुनगुनाओ! आज अंधेरा है, कल यही अंधेरा रोशनी बनेगा। आज रात है, इसी रात से सुबह का जन्म होगा। यहां हम अंधेरे-उजाले को जोड़ रहे हैं प्रखर नेत्री, संयासी उमा भारती के शराबबंदी अभियान से। शराबबंदी की बात करें तो फिलहाल मध्यप्रदेश में घनघोर अंधेरे की स्थिति है। पता ही नहीं चल रहा है कि वह भोर कब आएगी जब कागजों पर ही सही शराबबंदी तो हो जाएगी। शराब की कोई दुकान तो मध्यप्रदेश में नहीं दिखेगी, यह बात और है कि शराब बिकेगी, तो कैसे-कैसे रास्ते बनाकर इठलाएगी, घूंघट भी होगा और पूरा चेहरा भी दिखाएगी, नाचेगी भी खुलकर और शरमाएगी भी। खैर बाद की बातों पर बाद में चर्चा। फिलहाल तो यही की शराबबंदी की रोशनी से मध्यप्रदेश कब नहाएगा और नशे के गहन अंधेरे से कब मुक्ति मिलेगी। तो रोशनी की एक किरण नया साल में नया संकल्प बनकर डिंडोरी में दिखी है। वहां भी आदिवासी महिलाओं ने पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभा में संकल्प पारित कर एक पंचायत में ही सही शराबबंदी में सफलता पा ली है। उमा भारती के लिए पेसा एक्ट प्रेरणा का स्रोत हो सकता है और अगर 89 आदिवासी ब्लॉक ही पहले चरण में शराबबंदी में सफल हो गए तो वनवासी राम भी मुस्कराकर अपनी खुशी का इजहार जरूर करेंगे कि आदिवासी स्त्री शक्ति ने वनवासी भाईयों का जीवन तो जहर से बचा ही लिया। तो उमा को नमन करते हुए भी कहेंगे कि उम्मीदों को कायम रखो, पेसा ने डिंडोरी से भरोसा दिलाया है, तो कल तुम्हारा ही आने वाला है शक्ति स्वरूपा उमा।
वैसे ओशो कहते हैं कि अंधकार दिखाई पड़ता हो तो एक बात सुनिश्चित हो गई कि तुम्हारे पास आंख है। और यह बड़ा सौभाग्य है! अंधेरा दिखाई पड़ रहा है तो प्रकाश भी दिखाई पड़ेगा, क्योंकि प्रकाश अंधकार का ही दूसरा पहलू है। जैसे जीवन मृत्यु का दूसरा पहलू है, ऐसे ही अंधकार और प्रकाश एक ही सिक्के से जुड़े हैं–इस तरफ अंधकार, उस तरफ प्रकाश। प्रकाश और अंधकार में कोई मौलिक भेद नहीं है; भेद है सापेक्ष। कम प्रकाश की अवस्था को हम अंधकार कहते हैं; कम अंधकार की अवस्था को हम प्रकाश कहते हैं। मात्रा का भेद है, गुण का भेद नहीं है। तो अच्छी बात यही है कि अंधेरा नजर आ रहा है और रोशनी भी दिखना शुरू हो गई है। चाहे बात शराबबंदी की हो या फिर दूसरी कुरीतियों की। शराब को लेकर उमा भारती का हाल ही का ट्वीट है कि मैं तो जैसे किसी अलौकिक जगत में थी, सवेरे बैतूल से निकलने के पहले प्रकल्प के श्री मोहन नागर जी के साथ एक अत्यधिक सुंदर गाय ‘बंशी’ की आरती की एवं ‘बंशी’ दीदी का आशीर्वाद लिया फिर भोपाल के लिए रवाना हुई। फिर लिखा कि मैं सभी शराब पीने वालों से अपील करती हूं कि शराब नहीं देशी गाय का दूध पियो, स्वस्थ एवं प्रसन्न रहो। तो उन्हीं के ट्वीट हैं कि मैंने कल 1 जनवरी 2023 को नागपुर में बाबा जुमदेवजी के कार्यक्रम में भाग लिया और मुझे आश्चर्यपूर्ण प्रसन्नता हुई कि एक महान क्रांतिकारी सामाजिक परिवर्तन का काम इतनी शांति से चल रहा है। कल बालाघाट में थी, आज नागपुर पहुँची । महापुरुष बाबा जुमदेव जी के कार्यक्रम में भाग लिया। दहेज, व्यसन, शराब से, सामाजिक बुराइयों से मुक्ति का यह एक विशाल अभियान है जो बाबा जुमदेव ने चलाया। शांतिपूर्ण तरीक़े से क्रान्ति करने का यह एक अनोखा प्रयास है। मैंने आज उस प्रयास में भागीदारी की। तो चाहे जुमदेव जी के बहाने हो या मोहन नागर के बहाने, उमा के मन में शराब व्यसन के अंधेरे से मुक्ति की लौ ही जल रही है।
कलेक्टर डिंडोरी का ट्वीट है कि नया वर्ष, नया संकल्प। “पेसा नियम” के दिख रहे असर। जनजातीय समाज को पेसा नियम के तहत प्रदान किए गए अपने ग्राम से संबंधित अधिकारों के बेहतर परिणाम दिख रहे हैं। डिंडौरी जिले के ग्राम जल्दा मुड़िया में ग्राम सभा ने गांव में पूर्ण रूप से शराब निषेध प्रस्ताव पारित कर अहम पहल शुरू की है। महिला सदस्यों के नेतृत्व में बनी इस समिति के सभी सदस्यों और ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक ग्राम सभा की बैठक में भाग लिया और एक स्वर में गांव में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया।
है न अच्छी सुकून देने वाली बात शराबबंदी को लेकर। यहां के कलेक्टर विकास मिश्रा हैं, जिनकी तारीफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में निवाड़ी जिले में मंच से की थी। तो उम्मीद यही कि शराब पर पूर्ण प्रतिबंध का असर पहले सभी आदिवासी ब्लॉक में नजर आ जाए और फिर इसका असर पूरे मध्यप्रदेश में हो जाए ताकि उमा के जीवन का लक्ष्य हासिल हो सके और शराबबंदी का अंधेरा छंटे और नशामुक्ति की रोशनी हर घर तक पहुंचे। उमा की उम्मीदों को पूरा करने का भरोसा पेसा दिला तो रहा है…।