राजनीति अर्थात ‘मैं चाहे जो करुं मेरी मर्जी…’

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राजनीति अर्थात ‘मैं चाहे जो करुं मेरी मर्जी…’

लोकतंत्र में राजनीति का अर्थ सत्ता के जरिए सुशासन लाना सबसे अहम माना गया लेकिन अब ज्यादातर सियासत और सत्ता में मनमानियां ज्यादा हो गई है कह सकते हैं जो राजनीति में महत्वपूर्ण पद पर है वह चाहे कुछ भी करें उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता। एक भाजपा कार्यकर्ता ने नए साल की शुभकामना देते हुए बड़ी सहजता से सोशल मीडिया पर मशहूर फिल्मी नगमे का प्रयोग किया है। जिसकी पंक्ति है ‘ मैं चाहे ये करुं मैं चाहे वो करुं मेरी मर्जी’…दिल्ली से भोपाल तक भाजपा कांग्रेस जैसी राजनीतिक पार्टियों के चाल चलन और घटनाक्रम को देखें तो यह गाना बड़ा मुफीद सा लग भी रहा है। जिम्मेदारों को शायद यह गलत भी लगे और वह इससे असहमत भी हों मगर जमीनी हालात तो यही बताते हैं। मर्ज ठीक करने के जो भी जतन किए जा रहे हैं वे नाकाफी लगते दिख रहे हैं।

RahulGandhi Sept7

भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी कहते हैं मैं लिख कर देता हूं अगले चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन रही है। इस पर शिवराज सरकार के मंत्री विश्वास सारंग का बयान आया कि यह तो राहुल गांधी के ख्याली पुलाव हैं और वे मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं। कांग्रेस नेता के तौर पर राहुल गांधी का बयान बाजी हो सकता है लेकिन यह पार्टी में किसी पद पर नहीं है और पूरी कांग्रेस उनकी भारत में यात्रा में लगी हुई है बिना किसी पद के नेता यात्रा में पार्टी का लग जाना और उस नेता का विधानसभा चुनाव से संबंधित राज्य में नहीं जाना लेकिन उनका पार्टी के महत्वपूर्ण निर्णय में दखल रखना बताता है कि मैं चाहे जो करूं मेरी मर्जी…

भाजपा को ही देख लें…

मध्य प्रदेश भाजपा में अजब गजब चल रहा है। कुछ स्थानों पर स्थानीय निकायों के चुनाव होने और यहां जिन प्रभारियों की सूची जारी हुई है उनमें एक नेताजी तो ऐसे हैं जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे पार्टी ने उन्हें प्रभारी की सूची में डाल दिया है। यहां प्रदेश कार्यसमिति की बैठक कब पदाधिकारियों की विस्तारित बैठक हो जाती है पता नहीं चलता। पिछले दिनों कटनी बैठक में ऐसा हो चुका है। लेकिन इस पर किसी ने कितना ध्यान दिया कुछ पता नही। लेकिन कार्यकारणी के सदस्य और कार्यकर्ताओं की इन सब क्रियाकलापों पर नजर है। इसलिए कहा जा रहा है मैं चाहे जो करूं मेरी मर्जी…

BJP's New Ticket Formula

भोपाल में मंडल अध्यक्ष के खिलाफ पद से हटाने की जो कार्रवाई की वह भी खासी दिलचस्प है। यह मंडल भी ऐसा वैसा नही है बल्कि इसमें प्रदेश भाजपा ऑफिस से लेकर प्रदेश का संघ मुख्यालय समिधा भी आता है। वाक्या यह है कि एक प्रदेश स्तर की महिला नेता ने सत्ता संगठन के सुरूर में मंडल अध्यक्ष की क्लास ले ली। वजह थी उन्हें मंडल के कार्यक्रमों में क्यो नही बुलाया जाता। यह उस आयोजन से जुड़ा मामला है जिसमे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी शिरकत की थी। इस पर मंडल के नेता ने जो सफाई दी वह उन्हें नागवार गुजरी। इस मसले की शिकायत मंडल के नेता ने प्रदेश नेतृत्व से की। कहा जाता है अपनी सफाई में छोटे नेता ने अपनी बात की तस्दीक कुछ अन्य नेताओं से करा दी। इसके बाद उन्हें संरक्षण के बजाए पद से रुखसत कर दिया गया। खास बात यह है कि चर्चाओं में आई एक महिला नेता और जिला भाजपा के एक बड़े भोपाल मध्य से विधायक बनने की जमावट कर रहे हैं। हटाए गए मंडल अध्यक्ष यहां के पूर्व विधायक के निकट हैं और यही निकटता पद से रुखसती की वजह बनी। पार्टी में अंदर खाने चर्चा है यह विवाद अभी थमने वाला नही है। इस जैसे मामलों की धमक दिल्ली तक सुनाई देगी।

अध्यक्ष को मानहानि का नोटिस..!

मध्यप्रदेश में एक नगरपालिका के उपाध्यक्ष और उनकी पत्नी द्वारा भाजपा के बड़े नेता को मानहानि का नोटिस देने की सनसनीखेज खबर चल रही है। कारण है पार्टी नेतृत्व ने उन्हें निष्कासित कर दिया है। इसके पहले भी नेताओं का निष्कासन हुआ है और आगे भी होते रहेंगे लेकिन पीड़ित नेताओं द्वारा मानहानि का नोटिस देने जैसा कदम थोड़ा हैरत में डालने वाला जिम्मेदारों पर सवाल खड़ा करने वाला है। पता नही नेता और संगठन इसे कितनी गम्भीरत से लेते हैं। लेकिन ये निर्णय के खिलाफ एक ऐसा कदम है जिसने संगठन शास्त्र के जानकारों को चकित जरूर करेगा।

लीजिए अब हाथों हाथ कलेक्टर भी …

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नौकरशाही को ठीक करने के लिए पिछले कुछ महीनों से कठोर स्वास्थ्य का अभियान चलाए हुए हैं। गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों मंच से निलंबन उन्हें जनता में एक महानायक का दर्जा दे रहा है कांग्रेस के एक विधायक ने टिप्पणी की थी मुख्यमंत्री कलेक्टर जैसे बड़े अवसर पर कार्यवाही करें तो बात बने।

Rewa Rape Case

अभी कल की बात है मुख्यमंत्री चौहान ने शिकायत मिलने पर निवाड़ी के कलेक्टर और तहसीलदार का तबादला कर दिया। अब तक उनके एंग्री सीएम के तौर पर अधिकारियों के खिलाफ की गई यह एक बड़ी कार्रवाई थी। अधिकारियों में इसे लेकर चाहे जो प्रतिक्रिया हो मगर जनता के बीच सीएम शिवराज लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। अलग बात है कि हटाए गए कलेक्टर कभी पुरस्कृत भी हुए थे लेकिन अभी तो वे अवकाश पर चले गए हैं…

और अंत में -अपन तो यही कहेंगे जाने कैसे ऐसे वैसे हो गए और ऐसे वैसे जाने कैसे कैसे हो गए…