उज्जैन में सिंहस्थ के लिए 100 वर्ष का मास्टर प्लान बनाना चाहिये-डॉ.अवधेशपुरी जी महाराज

डॉ अवधेशपुरी जी महाराज ने लिखा प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र

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उज्जैन में सिंहस्थ के लिए 100 वर्ष का मास्टर प्लान बनाना चाहिये-डॉ.अवधेशपुरी जी महाराज

उज्जैन से मुकेश भीष्म की रिपोर्ट

उज्जैन: सिंहस्थ भूमि एवं सिंहस्थ परम्परा के संरक्षण तथा सिंहस्थ क्षेत्र का दूरगामी स्थाई मास्टर प्लान लागू करने के लिए स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर क्रांतिकारी संत परमहंस डॉ अवधेशपुरीजी महाराज ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

अवधेशपुरी महाराज ने पत्र में लिखा कि सनातन धर्म एवं संस्कृति में आयोजित होने वाले विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेला सिंहस्थ (कुंभ) का इतिहास अति प्राचीन है। इसकी अवधारणा पौराणिक इतिहास पर आधारित है। इसी अवधारणा के अनुसार सिंहस्थ महापर्व के अवसर पर करोड़ों की संख्या में सन्त, महात्मा एवं श्रद्धालु पवित्र माँ क्षिप्रा में स्नान कर अपने आप को कृतार्थ करते हैं। वर्तमान समय में बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहस्थ की इस महनीय परम्परा पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, क्योंकि सिंहस्थ क्षेत्र में अतिक्रमण एवं सिंहस्थ का दूरगामी स्थाई मास्टर प्लान नहीं है। यक्ष प्रश्न है कि क्षिप्रा के किनारे सिंहस्थ क्षेत्र में कॉलोनी कटेंगी तो सिंहस्थ मेला कहाँ लगेगा? क्योंकि सिंहस्थ का मूल आधार ही क्षिप्रा है। दूसरे दो बड़े प्रश्न ये भी हैं कि भविष्य में निरन्तर रूप से सदैव लगने वाले सिंहस्थ मेला का मास्टर प्लान 2035 तक का ही क्यों? आखिर कम से कम आने वाले 100 वर्ष का क्यों नहीं? सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उपरांत भी सिंहस्थ क्षेत्र आवासीय क्यों? उसमें अतिक्रमण क्यों? सम्बन्धित प्रशासनिक अधिकारियों पर कभी भी कोई कार्यवाही क्यों नहीं?

अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि सिंहस्थ परम्परा के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु एक चिंतनशील सन्त होने के नाते मेरा सुझाव है कि सिंहस्थ परम्परा के संरक्षण के लिए सिंहस्थ का मास्टर प्लान कम से कम आगामी 100 वर्ष को लक्ष्य कर बनाया जाय। सिंहस्थ भूमि के संरक्षण के लिए क्षिप्रा के पश्चिमी किनारे पर कम से कम 5 किलोमीटर की परिधि में इंदौर रोड से कालियादेह महल तक की भूमि को भविष्य के लिए सिंहस्थ क्षेत्र के लिए संरक्षित किया जाए। सिंहस्थ बाय पास के दोनों ओर सांवराखेड़ी की तरह जीवन खेड़ी, दाऊदखेड़ी तथा उज्जैन कस्बा की भूमि को भी आवासीय से कृषि भूमि घोषित किया जाए।

संरक्षित सिंहस्थ भूमि के संरक्षण के लिए सम्बंधित प्रशासनिक अधिकारियों व अतिक्रमणकर्ताओं के लिए सख्त कानून बनाकर, सख्ती से पालन कराया जाये। क्षिप्रा के पूर्व की ओर आगर रोड़ से इन्दौर रोड़ के बीच उज्जैन के विकास का मास्टर प्लान बनाया जाए। सिंहस्थ क्षेत्र से अवैध कालोनियां एवं ढाबे आदि को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। संरक्षित सिंहस्थ भूमि का सीमांकन हर 100 मीटर पर एरन पत्थर के खंभे बनाकर सिंहस्थ भूमि के बोर्ड लगाए जाएं। 2016 से पूर्व में बसी कालोनियों को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त कर दिया जाये। सिंहस्थ भूमि को कृषि भूमि घोषित कर भूमि स्वामियों को एक निश्चित क्षेत्र में अस्थाई निर्माण की अनुमति प्रदान की जाए।

स्वामी जी ने कहा कि यदि वर्तमान समय में हमने सिंहस्थ क्षेत्र व क्षिप्रा के लिए जागरूकता एवं गंभीरता का परिचय प्रदान नहीं किया तो निश्चित रूप से हम महनीय सिंहस्थ परम्परा के साथ न्याय नहीं कर पाएँगे एवं आने वाली पीढ़ियां हमें कोसेंगी।