
बालक की सेल्फी के साथ एक कलेक्टर का मार्मिक पत्र सोशल मीडिया पर
यह सोशल मीडिया पत्र टीकमगढ़ के कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय का है, जिसमें उन्होंने अनुसूचित जाति के एक छात्र से हुई चर्चा का मार्मिक और रोचक वर्णन किया है। हम यहां सोशल मीडिया की यह पोस्ट जस की तस दे रहे हैं:
जून माह में शाम को दफ़्तर में जनसुनवाई के दौरान यह बालक अपने पिता के साथ मेरे पास आया। उसके पिता ने बताया कि इस बच्चे का चयन एक्सिलेंस विद्यालय में हो चुका है और पिछला स्कूल TC नहीं दे रहा है। मैंने उन्हें ध्यान से सुना। लड़के से उसका नाम पूछा। उसने बताया अंशुल अहिरवार, किस कक्षा में पढ़ते हो ? उसने कहा -आठवी उत्तीर्ण की है। कौन सा विषय पसंद है ? उसने कहा -अंग्रेज़ी, मैंने कहा यहाँ जो और ग्रामीण जन आए हुए हैं, उन्हें अंग्रेज़ी में कुछ सुना पाओगे – बेझिझक आत्मविश्वास के साथ उसने सबको My name is … My father’s name is .. सुनाया। लड़के के आत्मविश्वास और उसकी आँखो में सच्चाई से मैं प्रभावित हो ही रहा था कि मैंने उससे पूछा बड़े होकर क्या बनोगे – यह प्रश्न मैंने सैकड़ों बार बच्चों से पूछा है। इंजीनियर, डॉक्टर, व्यवसायी, डिजाइनर, साइंटिस्ट, कलाकार और खिलाड़ी सामान्यतः यही जवाब मिलते आए थे। किन्तु अंशुल का जवाब था – मैं टीचर बनूंगा! आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता के साथ मैंने उसे बुलाया, उसके साथ सेल्फी ली और तुरंत वो फोटो संबंधित तहसीलदार को भेजी कि यह लड़का कल मिलेगा, जिसका काम तुरंत कराना, उसका काम हुआ भी।
अन्य शासकीय सेवकों की तरह टीचर की ज़िम्मेदारी मात्र एक नौकरी करने तक सीमित नहीं है, बल्कि छात्रों के भीतर डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी, डिज़ाइनर, साइंटिस्ट, कलाकार और खिलाड़ी की प्राण प्रतिष्ठा करने की है। शिक्षक की पाठशाला से एक दिन की अनुपस्थिति का एक दिन जो बच्चों के जीवन से मिस हो जाता है वो दोबारा कभी नहीं आता।
मैंने अंशुल को सफल शिक्षक बनने की शुभकामनाएं दी।





