A Helpless Cow of Bhopal: भोपाल की लाचार गाय, सरकार से कर रही है सहायता की गुहार!

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A Helpless Cow of Bhopal: भोपाल की लाचार गाय, सरकार से कर रही है सहायता की गुहार !

भारतीय मूल के सभी धर्म गोरक्षा का समर्थन करते हैं,गोरक्षा आन्दोलन हुए है ,गाय को लेकर लोग मरने मारने को उतारू हो जाते है लेकिन सड़क पर असहाय लाचार गायों के लिए कौन चिंता करें?  उनकी भी सहायता ,संभाल की जाय इसके लिए क्या प्रावधान है यह शायद किसी को नहीं मालूम. यह अपने समर्थकों और आन्दोलन कर्ताओं और सरकार से सहायता चाहती है कोटरा सुल्तानाबाद की यह गाय   – सम्पादक 

कहने को गौ माता है. ना पालने वाले को चिंता, ना गौ रक्षक कहलवाने वालों को….

आज भोपाल में सुबह-सुबह एक दुकान से नाश्ता लेते समय एक गाय पर नजर पड़ी, जो थी तो तंदुरुस्त पर लंगड़ा कर चल रही थी. गौर से देखने पर ज्ञात हुआ की गाय के दोनों आगे के पैर के नाखून इतने बढ़ गए थे कि उसे चलने में दिक्कत हो रही थी.

मैंने नाश्ता वाले दुकानदार से पूछा कि यह गाय किसकी है. उन्होंने बताया साहेब किसकी है यह तो नहीं पता, पर इतना जानते हैं कि लावारिस जैसी घूमती रहती है. वह तो भला हो कॉलोनी में रहने वाली महिलाओं का जो गाय को रोटी देती रहती है. मैंने पूछा और गौ रक्षक, तो दुकानदार खामोश हो गया.
मुझे एकाएक बड़वानी का स्मरण हो आया. जहां आज से 10-11 साल पहले हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में मुझे जाने का अवसर मिला वहां पर भी मैंने देखा कि एक गाय लंगड़ा कर चल रही है. मैंने उसकी वीडियो बनाकर वेटरनरी डॉक्टर प्रवेश भारद्वाज को भेजा और उनसे अनुरोध किया कि यह गाय क्यों लंगड़ा कर चल रही है. डॉक्टर साहब ने तत्काल जवाब दिया कि इसके आगे के खुर लंबे हो गए हैं अगर उसे काट दिया जाए तो यह सही हो जाएगी.
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इस जवाब के पश्चात में वेटरनरी अस्पताल पहुंचा एवं डॉक्टर साहब से मुलाकात करके अनुरोध किया कि वह गाय का खुर काट दे. डॉक्टर साहब ने जवाब दिया यह इतना सरल नहीं है, गाय को गिराना पड़ेगा और उसके चारों पैरों को बांधना पड़ेंगा. फिर वह गाय खुल्ली घूम रही है हमें उसका स्वभाव भी नहीं पता. शासकीय सेवा में होने के दम पर मैंने डॉक्टर साहब से कहा क्या डॉक्टर साहब गाय से डर रहे हो, तीन चार लोग चलते हैं पड़कर काट देंगे. डॉक्टर साहब ने कहा और कभी गाय का मालिक आ गया तो, तो मैंने हंसते हुए कहा पकड़ कर उसे भी बांध देंगे कि, क्यों गाय की देखरेख नहीं करता. हम लोगों ने तय किया कि कल सुबह-सुबह उस मोहल्ले में जाकर गाय को पकड़ते हैं और उसके खुर को काटते हैं.

कोटरा सुल्तानाबाद में है यह गाय

तय अनुसार हम लोग मोटरसाइकिल से उस मोहल्ले में पहुंचे, हमारी टीम में दो डॉक्टर एक उनका सहायक था. गाय देखने में छोटी एवं पतली जरूर थी, किंतु जब उसे पकड़ने गए तब समझ में आया कि इतना सरल नहीं है गाय को पकड़ना. पर जैसे तैसे डॉक्टर एवं उनके सहायक ने गाय को पकड़ ही लिया. और गले में रस्सी बांधकर उसे पीठ पर से घूमाते हुए पांव में लपेटकर जब खींचा तो गाय एक तरफ को बैठ गई. वेटरनरी के विशेषज्ञों ने जल्दी से गाय के चारों पैर बांध दिए एवं पीछे के पैर से उसकी पूछ को अंदर निकाल कर मुझे पकडने को कहा. उसकी गंदी पूछ को मैं पकड़ना नहीं चाहता था, किंतु फिर भी मैंने उसे पकड़ लिया. डॉक्टर ने कहा कि सर दुम को अच्छी तरह से खींच कर रखिए और गाय के पीठ के पीछे खड़े होकर यह कार्य करिए. जिससे गाय कभी हलचल करें तो आपको उसकी टांग लगने ना पाए. एक सहायक ने गाय का सर पकड़ कर उसकी आंखों को बंद कर रखा था वही एक डॉक्टर ने गाय के चारों पैर को पकड़ा, दूसरे डॉक्टर साहब ने कटर से उसके खुर काटना प्रारंभ किया. काफी मशक्कत के पश्चात गाय का खुर आखिर कट ही गया. डॉक्टर साहब ने खुर काटने के पश्चात उसमें कोई दवा लगाई जिससे उसको इन्फेक्शन ना होने पाए.
सबसे पहले डॉक्टर साहब ने मुझसे गाय की पूछ छुड़वाई उसके पश्चात सर पकड़ कर बैठे सहायक से गाय की आंखें खुलवाई जो गाय के कान से ही ढककर बंद की गई थी. इसके पश्चात दोनों डॉक्टरों ने मिलकर गाय के बंधे हुए पैरो को खोला. कुछ देर तक गाय बैठी रही, फिर एका एक उठकर खड़ी हो गई और हमसे तेजी से दूर भाग गई. इस दौरान मैंने देखा कि गाय अभी भी कुछ लंगड़ा रही है पर पहले से बेहतर थी. मैंने डॉक्टर साहब का ध्यान इस और आकर्षित किया. डॉक्टर साहब ने बताया सर, गाय लंगड़ा कर चलने की अभ्यस्त हो गई थी इसलिए वह ऐसा कर रही है. एक-दो दिन में जब उसे एहसास होगा कि उसके खुर कट गए हैं तो वह खुद ही सही चलने लगेगी. कुछ दिनों पश्चात मैंने जाकर देखा, सही में गाय सही हो गई थी,और सही तरीके से चलने लगी थी.
मैं भोपाल में भी गाय के साथ ऐसा ही करवाना चाहता था. किंतु सेवानिवृत्ति के कारण भोपाल में मेरी कोई पहचान नहीं है. जिससे मैं चाह कर भी ऐसा नहीं करवा पाया. किंतु मैंने दुकानदार से इतना अनुरोध अवश्य किया कि यदि इसका मालिक कभी भूले बिसरे मिल जाए तो उससे बोलना कि भाई, गाय का खुर कटवा दो, तो गाय सही हो जाएगी.
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स्वदेश सिलावट की फेसबुक वाल से 

सेवानिवृत जनसम्पर्क अधिकारी, भोपाल