मंदसौर में आयोजित नेशनल लोक अदालत में कुल 1831 प्रकरणों का निराकरण कर 7 करोड़ 36 लाख रूपये के अवार्ड पारित 

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मंदसौर में आयोजित नेशनल लोक अदालत में कुल 1831 प्रकरणों का निराकरण कर 7 करोड़ 36 लाख रूपये के अवार्ड पारित 

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट 

मंदसौर / राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के निर्देशानुसार व कार्यवाहक प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मंदसौर श्री सिद्धार्थ तिवारी के मार्गदर्शन में शनिवार को नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय मंदसौर एवं तहसील न्यायालय गरोठ, भानपुरा, नारायणगढ़, सीतामऊ में भी किया गया।

जिला न्यायालय परिसर स्थित ए.डी.आर. सेंटर भवन के सभागृह में प्रभारी प्रधान जिला न्यायाधीश श्री सिद्धार्थ तिवारी द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। शुभारंभ कार्यक्रम में प्रभारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मंदसौर श्री सिद्धार्थ तिवारी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायाल श्रीमती प्रिया शर्मा, न्यायमूर्ति श्री जी.डी. सक्सेना (सेवानिवृत्त), सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश श्री रघुवीर सिंह चुण्डावत, जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष श्री रघुवीर सिंह पंवार ने सम्बोधित कर अपने विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम में आभार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव श्री सुधीर सिंह निगवाल द्वारा व्यक्त किया गया, संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी अपर्णा लोधी द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश श्री आसिफ अब्दुल्लाह, श्रीमती शिल्पा तिवारी, श्री विवेक बुखारिया, श्रीमती मंजू सिंह, श्री आलोक प्रताप सिंह, श्री मुनेन्द्र सिंह वर्मा, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री अतुल बिल्लोरे, न्यायाधीशगण श्रीमती रोहिणी तिवारी, श्री राजकुमार त्रिपाठी, श्री चिराग अरोरा, श्रीमती प्राची पाण्डेय माटा, डाॅ श्रीमती रूचि पटेरिया अरोरा, सुश्री श्वेता सिंह, सुश्री पूर्वी गुप्ता, श्री काशिष माटा, अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी एवं अधिवक्तागण, न्यायिक कर्मचारीगण, विभिन्न बैंक, बीमा कम्पनियां, विद्युत विभाग एवं विभिन्न विभागों के अधिकारीगण, खण्डपीठ सदस्यगण इत्यादि उपस्थित रहे।

शनिवार की नेशनल लोक अदालत के आयोजन हेतु जिले में कुल 25 न्यायिक खण्डपीठों का गठन किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ के पश्चात नेशनल लोक अदालत की कार्यवाही गठित खंडपीठों में शाम तक चली, जिसमें राजीनामे के माध्यम से जिले भर के 1831 प्रकरणों का निराकरण किया गया।

लोक अदालत में कोर्ट में लंबित 1207 मामले निराकरण के लिए रखे गए थे जिसमें से कुल 1047 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिसमें कुल 6,53,97,375/-का अवार्ड पारित किया गया। इसी प्रकार कुल 7124 प्रीलिटिगेशन के रखे प्रकरण में से 784 प्रकरणों का निराकरण किया गया जिसमें 82,17,658/- राशि की वसूली की गई। मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के 22 प्रकरण निराकृत किए गए, जिसमें कुल राशि 91,26,032/- का अवार्ड पारित किया गया। इस लोक अदालत में धारा 138 के अंतर्गत चैक बाउंस के 363 प्रकरण निराकृत किए गए जिसमें कुल राशि रू. 4,59,74,000/- का अवार्ड पारित किया गया। कुल 225 आपराधिक शमनीय मामलें एवं कुल 140 पारिवारिक विवादों का निराकरण भी किया गया। इस नेशनल लोक अदालत के माध्यम से प्रकार कुल 3305 व्यक्ति लाभान्वित हुये।

नेशनल लोक अदालत में कुछ विशेष मामलों का निराकरण भी हुआ।

लोक अदालत में विभिन्न् पारिवारिक विवादों का भी समाधान हुआ, जिसके अन्तर्गत 13 मामलों में विवाद के चलते अलग रह रहे पति-पत्नी, समझाईश उपरांत एक साथ घर गए।

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*पारिवारिक विवादों से संबंधित तीन प्रमुख मामले का निराकरण हुआ*

*प्रथम मामला*

प्रकरण में पति पत्नी लगभग 9 वर्षों से अलग-अलग जीवन यापन कर रहे थे। दोनों पक्षकारों के बीच मतभेद इतने गहरे थे कि कुल 11 मामले न्यायालयों में लंबित थे, जिनमें अलग-अलग विवादों का निबटारा होना शेष था।

इन लंबित मामलों को सुलझाने हेतु कुटुंब न्यायालय, मंदसौर की प्रधान न्यायाधीश श्रीमती प्रिया शर्मा एवं समर्पित अधिवक्ताओं के अथक प्रयासों से दोनों पक्षकारों के बीच मध्यस्थता प्रक्रिया पूरी की गई।

परिणामस्वरूप, पति पत्नी दोनों ने आपसी सहमति से सभी विवादों का समाधान कर समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह प्रक्रिया केवल न्याय का निर्वहन नहीं थी, बल्कि दोनों परिवारों के बीच शांति और सामंजस्य की पुनः स्थापना भी थी।

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इस सफल मध्यस्थता के माध्यम से कुल 11 मामले एक साथ निराकृत किए गए, जिससे दोनों पक्षों को न्याय प्रक्रिया में तेजी और आर्थिक बचत का लाभ मिला।

*द्वितीय मामला*

एक विशेष और प्रेरणादायक सफलता की कहानी कुटुंब न्यायालय, मंदसौर की लोक अदालत से जुड़ी है।

इस मामलंे मे पत्नी की उम्र वर्तमान में 80 वर्ष है, जबकि उनके पति की उम्र 82 वर्ष है।

विवाह के प्रारंभिक वर्षों में संतान नहीं होने के कारण, पत्नी ने, अपने पति की दूसरी शादी करवाने में पहल की। इसके परिणामस्वरूप पति को दूसरी पत्नी से कुल 6 संतानें हुईं।

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समय के साथ-साथ पहली पत्नी एवं उनके पति में विवाद गहराता गया। इसके कारण, दोनों पक्ष लगभग 30 वर्षों से प्रथक जीवन व्यतीत कर रहे थे।

यह विवाद कुटुंब न्यायालय में लंबित था, परंतु लोक अदालत के माध्यम से इसका समाधान किया गया।

 

कुटुंब न्यायालय, मंदसौर की प्रधान न्यायाधीश श्रीमती प्रिया शर्मा एवं दोनों पक्षों के अधिवक्ता अज़ीज़ क़ुरैशी एवं ए के मंसूरी के कुशल मध्यस्थता प्रयासों से प्रथम बैठक में ही आपसी सहमति बनी। समझौते के अंतर्गत, पति ने पहली पत्नी के नाम कुछ ज़मीन एवं मकान का हस्तांतरण स्वीकार किया।

इस समझौते से सभी विवादित मुद्दे समाप्त हुए और दोनों पक्षों ने अपने मतभेदों को समाप्त करते हुए एक सकारात्मक समाधान पर सहमति व्यक्त की।

इस प्रक्रिया ने न केवल दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से चल रहे कलह को समाप्त किया, बल्कि दोनों परिवारों में सामाजिक शांति और आर्थिक सुरक्षा का नया मार्ग भी प्रशस्त किया।

*तृतीय मामला*

करीब 92 वर्षिय महिला के बेटे उसका भरण-पोषण एवं देखभाल नही कर रहे थे, महिला ने अपने बेटों के विरूद्ध भरण-पोषण हेतु वाद संस्थित किया था। मामला लोक अदालत के समक्ष आने पर, समझाईश उपरांत महिला के बेटे भरण-पोषण के जिए राजी हुये।मंदसौर द्वारा आयोजित नेशनल लोक अदालत में कुल 1831 प्रकरणों का निराकरण कर 7,36,15,033/- रूपये के अवार्ड पारित किया गया।