Aadipurush : ‘आदिपुरुष’ में राम की मर्यादा के साथ असहनीय खिलवाड़!

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Aadipurush : ‘आदिपुरुष’ में राम की मर्यादा के साथ असहनीय खिलवाड़!

वरिष्ठ पत्रकार अनुराग तागड़े की टिप्पणी

Indore : फिल्म ‘आदिपुरुष’ की रिलीज से पहले दर्शकों में जो उत्सुकताएं थी, सब धूमिल हो गई। क्योंकि, इस फिल्म में राम की छवि को जिस तरह प्रदर्शित किया गया, वो दर्शकों के गले नहीं उतर रहा। जो प्रतिक्रियाएं युवाओं की और से आ रही है वे अपने आप में यह साबित करती है प्रभु श्री राम के प्रति उनकी जो भावनाएं है उनसे खिलवाड़ न किया जाए।

‘आदिपुरुष’ कैसी फिल्म है या उसका वीएफएक्स कैसा है, यह बात दरकिनार करते हुए प्रभु श्री राम और हनुमान जी को लेकर आम भारतीयों के मन में जो भावना है उसके विपरीत कुछ उन्हें देखने को मिला। हम रामानंद सागर के सीरियल ‘रामायण’ की छवि से कभी बाहर नहीं निकल सकते। क्योंकि, उन्होंने सीरियल बनाने से पहले जितना शोध किया था, उसके मुताबिक केवल प्रभु श्री राम मुस्कुराते कैसे होंगे इस पर ही वे कई दिनों तक विचार करते रहे। इसके बाद अरुण गोविल को राम जी का चरित्र निभाने के लिए चुना गया।

अरुण गोविल आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में क्या एयरपोर्ट पर भी किसी को दिखाई दे जाते हैं, तो तो लोग उनके पैर पड़ते है! इसलिए कि ‘रामायण’ केवल राम रावण युद्ध नहीं है। रामायण यानी एक पुत्र का पिता के प्रति सम्मान है, एक पत्नी का पति के प्रति प्रेम है, भाईयों का आपसी स्नेह है। इसके अलावा इसमें भक्ति, श्रद्धा, त्याग और संबंधों के प्रति समर्पण है। रामायण के लिए जितनी बात की जाए कम है। क्योंकि, वह हमारे सनातन का आदर्श है।

फिल्म निर्माताओं को यह समझना होगा कि श्रीराम हमारे आराध्य है और सही मायने में हर घर में रामायण होती है पढ़ी जाती है। आम व्यक्ति की यही सोच थी कि ‘आदिपुरुष’ में राम को तो वैसा ही बताया जाएगा। वीएफएक्स के कारण हमें कुछ गहराई में महल, वन आदि का चित्रण देखने को मिल जाएगा। परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ।

आम जनता के मन में राम जी की जो छवि है, उससे ही छेडछाड़ की गई जो दर्शकों को बिल्कुल अच्छी नहीं लगी। जहां तक अन्य किरदारों का सवाल है, तो राम और उनके अनन्य भक्त हनुमान को लेकर भी फिल्म सही नहीं उतर पाई। अन्य किरदारों की बात करना ही बेमानी है। फिल्म के कई संवादों पर आपको यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि यह किसने लिख दिए!

मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की इस फिल्म में संवादों में भी मर्यादा नहीं रखी गई। यह देखकर भी अच्छा नहीं लगा कि प्रभु श्री राम और हनुमान जी को लेकर युवाओं कें कितनी अगाध श्रद्धा है। अपनी श्रद्धा से वे छेड़छाड़ कतई मंजूर नहीं करेंगे। भविष्य में भी वे ऐसी कोई हरकत सहन नहीं करेंगे। क्योंकि, इस फिल्म में प्रभु श्री राम को आयरनमैन, स्पाइडरमैन जैसी फ्रेंचाइजी जैसा दिखाने का प्रयत्न किया गया है जो कि एक गलत निर्णय था।