सुदेश गौड़ की विशेष रिपोर्ट
भोपाल। भारत ने आज अंतरराष्ट्रीय महत्व के पांच नए आर्द्रभूमि स्थल नामित किए हैं, जिनमें एक मध्य प्रदेश में है। आज इस सूची में शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान में स्थित साख्य सागर को शामिल किया गया है।
साख्य सागर के साथ अब प्रदेश में दो रामसर साइट हो गई हैं। इसके पहले तक भोज वेटलैंड ही मप्र में एकमात्र रामसर साइट थी।
साख्य सागर झील को 1918 में मनीय्यर नदी से बनाया गया था। यह झील माधव राष्ट्रीय पार्क के पास में ही स्थित है। यह झील माधव राष्ट्रीय पार्क के आसपास की जैव विविधता को बनाए रखती है। यह पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जहां कई वन्यजीव और चिड़ियाँ व सरीसृप सौहार्दपूर्वक रहते हैं।
आज जिन पांच नई रामसर साइट घोषित की गई हैं उनमें तमिलनाडु में तीन आर्द्रभूमि स्थल (करीकिली पक्षी अभयारण्य, पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट और पिचवरम मैंग्रोव), मिजोरम में एक (पाला आर्द्रभूमि) और मध्य प्रदेश में एक आर्द्रभूमि स्थल साख्य सागर शामिल हैं। इस प्रकार, देश में रामसर स्थलों की कुल संख्या 49 से बढ़कर 54 हो गयी है।
इस अवसर पर केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट में लिखा कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पर्यावरण संरक्षण और संरक्षण पर जो जोर दिया है, उसी के कारण भारत में आर्द्रभूमि के साथ व्यवहार में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 5 और भारतीय आर्द्रभूमियों को रामसर की अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता मिली है।
The emphasis PM Shri @narendramodi ji has put on environmental protection and conservation has led to a marked improvement in how India treats its wetlands.
Delighted to inform that 5 more Indian wetlands have got Ramsar recognition as wetlands of international importance. pic.twitter.com/VZDQfiIZN8
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) July 26, 2022
उल्लेखनीय है कि पिछले कई साल से प्रदेश के आठ और वेटलैंड को बायोडायवर्सिटी और अन्य पर्यावरणीय विशेषताओं के आधार पर रामसर साइट घोषित करने की कवायद शुरू हो गई थी।
एप्को के माध्यम से पिछले कुछ सालों से प्रदेश सरकार जिन 8 वेटलैंड को रामसर साइट घोषित कराने के लिए प्रयासरत थी उनमें इंदौर के सिरपुर और यशवंत सागर भी शामिल थे।
रामसर साइट का दर्जा मिलने पर इन जलस्रोतों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल जाती है।
इसके बाद इन जलस्रोतों और इनके कैचमेंट के पूरे पर्यावरण के संरक्षण के लिए किए जाने वाले प्रयासों की जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रामसर ऑर्गनाइजेशन को देना होती है।
बायोडायवर्सिटी के कारण भोज वेटलैंड को 2002 में रामसर साइट का दर्जा मिला था। 2005 की सेप्ट रिपोर्ट के अनुसार यहां जलीय जीव, जंतु और पौधों आदि को गिना जाए तो उनकी संख्या 805 होती है। दरअसल रामसर एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। 1971 में ईरान के रामसर शहर में आयोजित सम्मेलन में विभिन्न देशों ने वेटलैंड के संरक्षण के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
मध्य प्रदेश में जिन स्थलों को कई वर्षों से रामसर साइट का दर्जा दिलाने की कवायद चल रही थी, उनमें गांधी सागर- वाइल्डलाइफ सेंचुअरी, साख्य सागर- माधव नेशनल पार्क,रातापानी तालाब – रातापानी सेंचुअरी, तवा डैम- सतपुड़ा नेशनल पार्क, सिरपुर तालाब – इंदौर, यशवंत सागर – इंदौर, वारना डैम, हलाली डैम थे। साख्य सागर को रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद अब अन्य सात स्थानों के लिए प्रदेश सरकार नए सिरे से कवायद करेगी।
केंद्र सरकार ने राज्यों को अपने वेटलैंड का संरक्षण कर उन्हें रामसर साइट का दर्जा दिलाने के प्रयास करने को कहा था। उसी के तहत यह प्रक्रिया शुरू की गई थी।