ACS फायनेंस का विभागों को फरमान: AG की आपत्तियों के निराकरण के लिए एक माह में गठित करें समिति

AG की आपत्तियों पर जवाब देने विभागों ने अब तक नहीं बनाई समितियां, नहीं मिल रहा गड़बड़ियों पर जवाब

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ACS फायनेंस का विभागों को फरमान: AG की आपत्तियों के निराकरण के लिए एक माह में गठित करें समिति

भोपाल: प्रदेश के सरकारी विभागों के खातों के आडिट में प्रमुख महालेखाकार द्वारा उठाई गई अंकेक्षण आपत्तियों का निराकरण नहीं किया जा रहा है। वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव मनीष रस्तोगी ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिवों को निर्देशित किया है कि अंकेक्षण आपत्तियों के निराकरण के लिए विभागों 1में एक माह के भीतर समिति गठित करें और वित्त विभाग तथा महालेखकार को सूचित करें।

महालेखाकार कार्यालय ग्वालियर द्वारा प्रतिवर्ष राज्य के लेखों का अंके क्षण किया जाता है। अंकेक्षण प्रतिवेदन में संवैधानिक प्रावधानों के अधीन उठाई गई आपत्तियों के समयबद्ध निराकरण एवं इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए कार्यालय महालेखाकार के साथ हुई बैठक में यह तय किया गया था कि प्रत्येक विभाग में विभागीय आडिट समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति का मुख्य उद्देश्य लंबित आडिअ आपत्तियों जिनका विभाग में निचले स्तर पर निराकरण नहीं हो पा रहा है उनका प्रभावी पुनराविलोकन एवं त्वरित निराकरण किया जाएगा। इस समिति में विभाग के प्रमुख सचिव या सचिव को अध्यक्ष बनाया जाना है और संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष और वित्त विभाग के संबंधित बजट अनुभाग के अपर सचिव, उपसचिव को सदस्य तथा वरिष्ठ उपमहालेखाकार या उपमहालेखाकार को सदस्य सचिव बनाया जाना था। इन विभागीय समितियों की बैठक प्रत्येक तीन माह में कम से कम एक बार आयोजित की जाना जरुरी है।

विभागीय समिति गठन के बाद प्रमुख महालेखाकार सिविल और वाणिज्यिक अंकेक्षण को सूचना देना है ताकि वरिष्ठ उपमहालेखाकार विभाग से संपर्क कर बैठकों का आयोजन करा सकें। लेकिन देखने में यह आ रहा है कि इस वर्ष कई विभागों ने इन समितियों का गठन ही नहीं किया है जिसके चलते आडिट आपत्तियों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। विभागों के जवाब नहीं आ पा रहे है। इससे गड़बड़ियों पर अंकुश लगाना कठिन हो रहा है।

वित्त विभाग के एसीएस ने सभी अधिकारियों को कहा है कि उनके विभागों में समिति गठन करने हेतु आदेश जारी नहीं होंने की दशा में एक माह के भीतर समिति गठित कर प्रतिलिपि महालेखाकार को भेजे।