वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में एक साथ 3 वन्यप्राणियों का अंगीकरण
भोपाल : वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में वन्यप्राणी योजना एक जनवरी 2009 को प्रारंभ की गई थी। इस योजना अंतर्गत वी.आई.टी. यूनिवर्सिटी भोपाल ने पर्यावरण तथा वन्यप्राणियों के संरक्षण के प्रति प्रेम की ओर अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुये एक साथ तीन वन्यप्राणियों जिनमें मादा बाघ “गौरी”, नर सिंह “सत्या” एवं नर तेंदुआ “जबलपुरिया” को दिनांक 27 फरवरी को एक वर्ष के लिये गोद लिया।
वीआईटी यूनिवर्सिटी भोपाल की असस्टिेंट वाईस प्रेसीडेंट सुश्री कादम्बरी एस. विश्वनाथन ने वन विहार की संचालक श्रीमती पदमाप्रिया बालाकृष्णन को अंगीकरण के लिये वन्यप्राणियों की आवश्यक राशि 5 लाख रूपये चैक के माध्यम से प्रदान की। श्री एस.के. सिन्हा, सहाय क संचालक वन विहार एवं वीआईटी यूनिवर्सिटी भोपाल के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। वन विहार की संचालक श्रीमती पदमाप्रिया बालकृष्णन द्वारा वीआईटी यूनिवर्सिटी भोपाल की असिस्डेंट वाईस प्रसीडेंट मिस कादम्बरी एस. विश्वनाथन को तीनों वन्यप्राणियों मादा बाघ “गौरी”, नर सिंह “सत्या” एवं नर तेंदुआ “जबलपुरिया” के अंगीकरण संबंधी प्रमाण-पत्र प्रदाय किये।
वन्यप्राणियों की गोद लेने की यह योजना जन-जन में वन्यप्राणियों के संरक्षण के प्रति सदभावना के लिये प्रारंभ की गई है। इसमें व्यक्तिगत, संस्था, कारपोरेट सेक्टर, म.प्र. शासन के उपक्रम , पब्लिक सेक्टर के विभिन्न वर्गों की भागीदारी योजना को सही आयाम प्रदान करती है। कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था वन विहार के सूची में दर्शित किसी भी वन्यप्राणी को मासिक, त्रैमासिक, अर्ध वार्षिक तथा वार्षिक आधार पर गोद ले सकता है। इसके लिये नियत राशि “म.प्र. टाइगर फाउंडेशन सोसायटी” के नाम भोपाल में देय चैक अथवा ड्राफ्ट के माध्यम से जमा कर निर्धारित प्रारूप पर आवेदन करना होता है। गोद लेने के लिये भुगतान की गई राशि आयकर की धारा 80 जी (एस) के प्रावधानों के अंतर्गत छूट के दायरे में आती है। संबंधित को प्रति सप्ताह अधिकतम छ: सदस्यों को एक वाहन के साथ नि:शुल्क प्रवेश की सुविधा प्रदान की जाती है। संबंधित के नाम की पट्टिका गोद लिये गये वन्यप्राणी के बाड़े के समक्ष एवं दोनों प्रवेश द्वारों पर प्रदर्शित की जाती है।
इस योजना में अभी तक 93 वन्यप्राणियों को गोद लिया जा चुका है, जिसमें वन विहार के 77 लाख 47 हजार 180 रूपये की राशि प्राप्त हुई है।