Advisory Scam : गड़बड़ी करने वाली कई एडवाइज़री कंपनियां निशाने पर

एक हजार करोड़ के घोटाले के प्रमाण सामने आए 

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Advisory Scam : गड़बड़ी करने वाली कई एडवाइज़री कंपनियां निशाने पर

Indore : एडवाइजरी कंपनियों के माध्यम से पिछले करीब 5 साल में शेयर बाजार की खरीदी बिक्री का गैंग चलाकर करीब एक हजार करोड़ की ब्लैक मनी को व्हाइट करने का खेल हुआ। SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड) की जांच के दौरान कई कंपनियों की संदिग्ध खरीदी की बात सामने आई है। आयकर विभाग ने भी यह गड़बड़ी पकड़ी है।

जिन कंपनियों के जरिए खरीदी हुई उनमें से अधिकांश लापता भी हो गई है। SEBI अब इन कंपनियों का जांच कर रही है, कुछ को सुनवाई के लिए भी बुलाया गया है। SEBI ने पिछले दिनों कैपिटल बर्थ रिसर्च हाउस, फ्लेकिंग रिसर्च एंड इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी कंपनी को नोटिस जारी कर 3 व 4 अक्टूबर को सुनवाई के लिए बुलाया। इसके लिए सार्वजनिक सूचना जारी की गई है। इसके अलावा भी करीब 50 कंपनियों को और सूचना जारी कर सुनवाई के लिए बुलाया है।

SEBI सेबी ने जिन कंपनियों की सूची बनाई है उसमें से अधिकांश अपने बताए हुए पते पर उपलब्ध नहीं है। अलग अलग पते दिए गए लेकिन कंपनियां नहीं मिली तो सार्वजनिक सूचना जारी की जा रही है।

 

टैक्स चोरी का बड़ा खेल

विशेषज्ञों के मुताबिक, कई एडवाइजरी कंपनियों ने पिछले करीब पांच साल में जमकर गड़बड़ी की, कंपनियों का इस्तेमाल ब्लैक मनी को वाइट करने में किया गया। किसी के पास बेहिसाब नकद राशि है, तो उसे कैपिटल गेन (पूंजीगत लाभ) दर्शाने पर करीब 30% टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। इसके विपरीत अगर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन दर्शाया गया तो यह टैक्स घटकर 10% रह जाता है। सेबी ने कंपनियों की जांच की तो गड़बड़ी सामने आई।

शेयर बाजार के जानकारों के मुताबिक, कंपनियां टैक्स बचाने का काम करती है। दो व्यक्ति अथवा दो कंपनियों की लिस्टिंग की जाती है। एक कंपनी के शेयर खरीदी बिक्री एक ही समय में की जाती है। बेचने वाले को शेयर लिस्टिंग के लिए कहां जाता है और खरीदार को भी तैयार रखते है। इधर शेयर बेचने की लिस्टिंग होती है और इधर खरीदी हो जाती है। एक सेकेंड के अंदर दोनों पक्ष खरीदी बिक्री कर लेते है। ऐसे में 10 शेयर का शेयर 100 रुपए का हो जाता है तो खरीदार को 90 रुपए का फायदा होता है।

एक करोड़ का शेयर 10 करोड़ का होना पर इस प्रक्रिया में 90 लाख का टैक्स लगता है। जबकि, अगर वह सीधे आय घोषित करता तो उसे 2 करोड़ 70 का टैक्स देना होता। सेबी और आयकर के पास सभी कंपनियों की खरीदी बिक्री का पूरा रिकॉर्ड आया तो जांच की। एक ही सेकंड में आपस में कई बार खरीदी-बिक्री का रिकॉर्ड सामने आया, जिससे साफ हो गया कि गैंग की तरह काम करते टैक्स बचाने का खेल हुआ है। पांच साल में एक हजार करोड़ की गड़बड़ी की आशंका सामने आई है जिसके बाद सेबी ने जांच शुरू कर दी है।