
आखिर कौन है बेचारा…!
कौशल किशोर चतुर्वेदी
संसद के बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर दी गई सोनिया गांधी की प्रतिक्रिया के बाद छिड़ा विवाद गहराता जा रहा है। बीजेपी सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने इस देश के भविष्य, इस देश का किस तरह विकास हो रहा है, इसका लेखा-जोखा हम सबके समक्ष रखा है। दुखद है कि माननीय सोनिया गांधी जी, जो कि पूर्व अध्यक्ष हैं कांग्रेस पार्टी की, जिस प्रकार का कमेंट उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति के लिए किया है वह बिल्कुल उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी अपने पूरे भाषण में थक गई थीं। उन्होंने कहा पुअर थिंग। अगर मैं इसे हिंदी में ट्रांसलेट करूं तो मतलब बनता है बेचारी। स्पष्ट रूप से हम कहना चाहेंगे कि महामहिम राष्ट्रपति कदाचित बेचारी नहीं हो सकती हैं।” और प्रियंका गांधी ने इस विवाद पर कहा, “मेरी मां एक 78 साल की महिला है। उन्होंने बस ये कहा कि राष्ट्रपति इतना लंबा भाषण पढ़कर थक गई होंगी, ये ठीक नहीं है। वो राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करती हैं। मुझे लगता है कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया इस तरह से चीज़ों को तोड़-मरोड़ रही है। ये दोनों ही दो सम्मानजनक लोग हैं और उम्र में हमसे बड़े हैं। ये साफ है कि वो अपमान नहीं करना चाहती थीं।”
आगे देखते हैं कि पूरा मामला क्या है?राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से वहां मौजूद रिपोर्टरों ने इस पर प्रतिक्रिया देने को कहा। सोनिया गांधी के साथ इस दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद थे। फिर राहुल गांधी ने सोनिया से पूछा कि आप अभिभाषण के बारे में क्या सोचती हैं तो सोनिया ने कहा, “वैसा ही, झूठे वादे।” इसके बाद राहुल गांधी ने पूछा, “नो कमेंट?” इस पर सोनिया गांधी ने कहा, “नहीं बेचारी महिला, राष्ट्रपति आखिर तक बहुत थक गई थीं।” फिर राहुल गांधी ने पूछा, “एक ही बात बार-बार दोहरा रही थीं?” तब सोनिया गांधी ने कहा, “नहीं, वो बहुत मुश्किल से बोल पा रही थीं। ये ठीक नहीं है।” बाद में प्रियंका गांधी ने अभिभाषण पर कहा कि पीएम मोदी जनता के मुद्दों पर बात नहीं करते हैं। सरकार संसद में चर्चा से बचती है।
यहां तक सबने सब कुछ कह दिया। दरअसल फिर एक बार समझते हैं।राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद संसद परिसर में गांधी परिवार (राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी) गाड़ी का इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान संसद भवन परिसर में राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म अपने अभिभाषण में एक ही बात का बार-बार जिक्र कर रहीं थीं। इसके बाद सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रपति अपने अभिभाषण के अंत में काफी थक चुकी थीं। पुअर थिंग, मुझे उनके बारे में काफी बुरा लगा।
यहां पुअर थिंग का मतलब बेचारी से निकाला गया। और मीडिया ने बस जस का तस सामने रख दिया। फिर इस पूरे मामले पर अब राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से प्रतिक्रिया आई है, जिसमें बिना नाम लिए सोनिया गांधी के बयान को सर्वोच्च पद के गरिमा को नुक़सान पहुंचाने वाला बताया गया। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “संसद में माननीय राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने ऐसी टिप्पणियां की जो स्पष्ट तौर पर इस सर्वोच्च पद की गरिमा को नुकसान पहुंचाते हैं। “इसलिए ये बयान अस्वीकार्य हैं। इन नेताओं ने ये कहा कि राष्ट्रपति भाषण के अंत में थक गई थीं और वह मुश्किल से बोल पा रही थीं।” “राष्ट्रपति भवन ये स्पष्ट करना चाहता है कि इस बयान में कोई सच्चाई नहीं है। राष्ट्रपति किसी भी पल थकी नहीं थीं। बल्कि वह हमेशा ये मानती रही हैं कि हाशिये पर रहने वाले समुदायों, महिलाओं और किसानों के लिए बोलना, जैसा कि वह अपने भाषण के दौरान बोल रही थीं, कभी भी थकाने वाला नहीं हो सकता।” “राष्ट्रपति कार्यालय को लगता है कि इन नेताओं को हिंदी जैसी भारतीय भाषा में इस्तेमाल होने वाले मुहावरों की जानकारी नहीं है, इसलिए उन्होंने गलत तरीके से प्रतिक्रिया दी। कुछ भी हो, इस तरह के बयान बेकार, दुर्भाग्यपूर्ण हैं जिनसे बिल्कुल बचा जा सकता है।”
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का शाही परिवार राष्ट्रपति के अपमान पर उतर आया है। दिल्ली में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बयान की आयोचना की है। नरेंद्र मोदी ने कहा, “शाही परिवार के एक सदस्य ने कहा कि आदिवासी बेटी ने बोरिंग भाषण दिया। दूसरी सदस्य तो इससे भी एक क़दम आगे बढ़ गईं। उन्होंने राष्ट्रपति को पुअर थिंग कहा। ग़रीब कहा। थकी हुई कहा। ये देश के 10 करोड़ आदिवासी भाई बहनों का अपमान है। ये देश के हर ग़रीब का अपमान है। जो लोग ज़मीन से उठकर आते हैं उनको कांग्रेस का शाही परिवार बिलकुल पसंद नहीं करता।”
वहीं भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स पर लिखा, “मैं और बीजेपी का हर कार्यकर्ता सोनिया गांधी की ओर से माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी के लिए ‘बेचारी महिला’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल करने की कड़ी निंदा करते हैं। जानबूझकर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना कांग्रेस की अभिजात्य वर्ग वाली, गरीब-विरोधी, आदिवासी-विरोधी प्रकृति को दिखाता है। मैं कांग्रेस पार्टी से मांग करता हूं कि वह माननीय राष्ट्रपति और भारत के आदिवासीय समुदायों से बिना शर्त माफ़ी मांगे।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बजट सत्र 2025-26 की शुरुआत के मौके पर दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा, ” सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन और वक़्फ़ बोर्ड जैसे मुद्दों पर बड़े कदम बढ़ाए हैं। सरकार ने एक दशक में ‘विकसित भारत’ की यात्रा को नई ऊर्जा दी है।” राष्ट्रपति ने कहा, ”आज कई वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत जैसी ट्रेनें संचालित हो रही हैं। पिछले छह माह में 17 नई वंदे भारत और एक नमो भारत ट्रेन को जोड़ा गया है।”
बाकी सब ठीक है। राजनैतिक दलों के नेताओं के बयान ठीक हैं। मीडिया ने सोनिया गांधी के बयान को जस का तस आगे परोस दिया। यह भी ठीक है। और आगे उस बयान पर तगड़ी भिडंत हो गई। बयान की चीरफाड़ भी नेताओं ने ही की। और निहितार्थ भी नेताओं ने निकाले। यहां तक भी सब ठीक है। राष्ट्रपति कार्यालय ने लंबा-चौड़ा शोक जता दिया। मोदी ने चुनावी सभा में शाही परिवार पर निशाना साध दिया। और जिस-जिसने चाहा इस बयान पर अपनी-अपनी आहुति डाल दी। यहां तक भी सब ठीक है। पर अंत में पहली बार की सांसद प्रियंका गांधी ने पूरा ठीकरा मीडिया के सिर पर फोड़ दिया। प्रियंका गांधी ने इस विवाद पर कहा, “मेरी मां एक 78 साल की महिला है। उन्होंने बस ये कहा कि राष्ट्रपति इतना लंबा भाषण पढ़कर थक गई होंगी, ये ठीक नहीं है। वो राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करती हैं। मुझे लगता है कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया इस तरह से चीज़ों को तोड़-मरोड़ रही है। ये दोनों ही दो सम्मानजनक लोग हैं और उम्र में हमसे बड़े हैं। ये साफ है कि वो अपमान नहीं करना चाहती थीं।”
तो यहां बयान देने वाली सोनिया गांधी सम्मानजनक हैं। बयान पर राष्ट्रपति कार्यालय ने प्रतिक्रिया दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी सम्मानजनक हैं। मोदी सहित पक्ष-विपक्ष के सभी नेता भी सम्मानजनक हैं। पर दुर्भाग्य अगर किसी के साथ बंधा है तो वह मीडिया है। 21वीं सदी में अगर अभिशप्त सा नजर आ रहा है तो वह मीडिया है। जब जिसका मन आए, मीडिया पर ठीकरा फोड़ दे। अब इस सादे से बयान में मीडिया के पास कुछ भी तोड़ने-मरोड़ने की गुंजाइश नहीं थी। पर प्रियंका गांधी ने मीडिया पर आरोप लगाकर पल्ला झाड़ लिया। अब इस पूरे एपीसोड में ‘पुअर थिंग’ यानि बेचारा कौन है। यदि कोई बेचारा है तो वह मीडिया है। जिसके पक्ष में बोलने वाला कोई नहीं है। यह दुर्भाग्यजनक ही है कि बाकी सभी सम्मानजनक हैं, सम्मानितों के बयान सामने लाने वाला मीडिया बेचारा है। तीन स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सम्मानजनक हैं और कथित चौथा स्तंभ मीडिया बेचारा है…।





