भोपाल. मध्यप्रदेश के किसानो और भूस्वामियों के लिए अच्छी खबर है। अभी तक प्रदेश में खसरा, खतौनी और नक्शे ही ऑनलाईन मिलते थे अब ऋण पुस्तिका भी ऑनलाईन मिल सकेगी। आयुक्त भू अभिलेख इसके लिए एक सॉफ्टवेयर डेवलप कर रहा है उसके बाद इसे पोर्टल के जरिए, एप के जरिए आम नागरिक आम नागरिक अब घर बैठे कितनी ही बार ऋण पुस्तिका डाउनलोड कर सकेगा।
अभी किसानों को जमीन की ऋण पुस्तिका लेने के लिए तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारी के चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। लोक सेवा केन्द्र से तीस रुपए जमाकर इसके लिए आवेदन किया जा सकता है। पटवारी, तहसीलदार तीस दिन की समयसीमा के भीतर इसे जारी करते है। नई व्यवस्था में आयुक्त भू-अभिलेख के एप के जरिए ऑनलाईन आवेदन कर कोई भी व्यक्ति इसे सीधे डाउनलोड कर सकेगा। इसके लिए आयुक्त भू-अभिलेख के सर्वर से जुड़े डाटा का उपयोग किया जाएगा। इस पर सारी जानकारी पहले से ही अपडेट रुप से उपलब्ध होगी। उसे आम नागरिक सीधे डाउनलोड कर सकेंगे।
खसरा-खतौनी, नक्शे ऑनलाइन मिल रहे-
अभी प्रदेश में जमीन के खसरे-खतौनी और नक्शे ऑनलाइन उपलब्ध है। डिजिटल प्लेटफार्म पर इन दस्तावेज के ऑनलाईन मिलने से किसानों और आम नागरिको को काफी सहूलियत हो गई है। अब जमीन का नक्शा, देखने या खसरा निकलवाने के लिए लोगों को तहसील या पटवारी के चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। फिलहाल भू-अधिकार ऋण पुस्तिका प्राप्त करने के लिए पटवारी, राजस्व निरीक्षक के पास आवेदन देना होता है। इसमें भी तीस दिन का समय लगता है। इसीलिए आयुक्त भू अभिलेख अब इस दस्तावेज को भी ऑनलाईन करने जा रहे है। अब किसानों को इसके लिए राजस्व विभाग के अमले पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
जमानत की भी होगी ऑनलाईन एंट्री-
ऋण पुस्तिका का उपयोग अभी थाने में जमानत के लिए भी किया जाता है। नई व्यवस्था जो होंने जा रही है उसमें अब किसी ऋण पुस्तिका पर जमानत लिए जाने पर ऑनलाईन उसकी एंट्री ऋण पुस्तिका में हो जाएगी। इससे जमीन खरीदने वाले को इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी। विधि विभाग ने भी इसके लिए सहमति दे दी है।
राजस्व विभाग किसानों की सुविधा के लिए खसरे-खतौनी और नक्शा ऑनलाईन देने की शुरुआत कर चुका है। अब एक और सुविधा हम ऑनलाईन देने जा रहे है। इसके तहत ऋण पुस्तिका का भी डिजिटलाईजेशन किया जा रहा है। किसान आयुक्त भू अभिलेख की पोर्टल अथवा एमपी ऑनलाईन से इसे डाउनलोड कर सकेगा। कोर्ट में भी इसकी ऑनलाईन एंट्री करने की व्यवस्था की जाएगी।
-ज्ञानेश्वर पाटिल, आयुक्त भू अभिलेख