मंत्री सिलावट की नाराजगी के बाद जागे अफसर, नहरों और जलाशयों को अतिक्रमणमुक्त रखने चलेगा अभियान

नगरीकरण के चलते शहरी क्षेत्रों में अतिक्रमण के शिकार नहरें, जलाशय

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मंत्री सिलावट की नाराजगी के बाद जागे अफसर, नहरों और जलाशयों को अतिक्रमणमुक्त रखने चलेगा अभियान

भोपाल: नगरीकरण के चलते आबादी क्षेत्रों में सिचाई के लिए अनुपयोगी हो चुकी नहरे, जलाशय और जलसंरचनाओं अतिक्रमण की शिकार हो रही है। इस पर जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने नाराजगी के बाद विभाग नींद से जागा है। अब जल संसाधन विभाग ने प्रदेशभर के अफसरों को निर्देश जारी किये है कि प्रदेश की सभी नहरों और जलाशयों तथा अन्य जलसंरचनाओं को अतिक्रमण मुक्त किए जाने की कार्यवाही करे और अतिक्रमण मुक्त होंने संबंधी प्रमाणपत्र भिजवाएं।
जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी का इजहार किया है। उन्होंने एसीएस को लिखा है कि उनके संज्ञान में आया है कि विभाग के अंतर्गत निर्मित अनेक पुरानी नहरे नगरीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरुप नगरीय क्षेत्र सीमा के अंतर्गत आबादी क्षेत्र में आ गई है। ऐसी नहरों का उपयोग वर्तमान में सिचाई हेतु नही किया जा रहा है।इसके चलते विभाग की जमीन और अन्य भौतिक संरचनाओं पर अवांछित तत्वों द्वारा अतिक्रमण किया जाना प्रारंभ कर दिया जाता है। शासकीय हितों की दृष्टि से यह स्थिति उचित नहीं है। उन्होंने विभागीय जलसंरचनाओं को अतिक्रमण मुक्त किए जाने के लिए कार्यवाही करने के निर्देश दिए है।
मंत्री ने पत्र में लिखा है कि प्रदेश में ऐसी नहरों और अन्य जलसंरचनाओं जो कि नगरीकरण के फलस्वरुप आबादी क्षेत्रों में सम्मिलित हो गई है और उनका उपयोग सिचाई हेतु नहीं किया जा रहा है, की जानकारी एकत्रित कर इस संदर्भ में शासकीय हितों को ध्यान में रखते हुए एक समेकित नीति का निर्माण किया जाना जरुरी है। उन्होंने एसीएस को निर्देशित किया है कि वर्तमान में अनुपयोगी विभाग की भूमि अन्य भौतिक संरचनाओं, विभागीय नहरों और जलसंरचनाओं की जानकारी एकत्रित कर इस संबंध में शीघ्र ही उन्हें अवगत कराएं। इस संबंध में एक नीति तैयार करने पर विचार किया जाए ताकि आगे इस तरह के अतिक्रमण से शासकीय भूमि और जलसंरचनाओं को बचाया जा सके।

*अब ईएनसी ने मैदानी अफसरों से मांगी रिपोर्ट-*
जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता मदन सिंह डाबर ने सभी मुख्य अभियंताओं और परियोजना संचालकों को निर्देशित किया है कि उनके अधीन आने वाली संरचना, कछार से जुड़ी नहरों और जलाशयों को अतिक्रमण मुक्त करवाते हुए इस संबंध में प्रमाणपत्र भेजे। नगरीकरण फलस्वरुप आबादी क्षेत्रों में सम्मिलित सिचाई के लिए अनुपयोगी हो चुकी नहरों और जलसंरचनाओं की जानकारी दे। सिचाई परियोजनाओं के निर्माण के समय विभिन्न प्रयोजनों हेतु अधिग्रहित भूमि और अन्य भौतिक संरचनाओं के निर्माण पश्चात उनकी अनुपयोगिता एवं अतिक्रमण की जानकारी भिजवाएं।

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