‘अग्निदग्ध’ और ‘निर्वस्त्र’ मणिपुर
भारत का एक अविभाज्य अंग मणिपुर ढाई महीने पहले अग्निदग्ध हुआ था ,फिर उसे खून से नहलाया गया और अब निर्वस्त्र कर दिया गया है, लेकिन डबल इंजन की सरकार की आँख में शर्म के पानी की एक बूँद नहीं हैं। बहन स्मृति ईरानी की बोलती बंद है। डबल इंजन सरकारों की बुलडोजर संहिता मणिपुर में लागू नहीं हो पा रही है। एमपी में एक धार्मिक जुलूस पर थूकने वाले दो नाबालिगों के परिजनों के घरों को जमीदोज करने वाली डबल इंजन की सरकार के राष्ट्रीय मुखिया मणिपुर पर रोने के बजाय नवसृजित ‘इंडिया’ को लेकर रो रहे हैं।
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो बुधवार 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में दिख रहा है कि अन्य पक्ष के कुछ लोग एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड करा रहे हैं। गनीमत है कि मणिपुर पुलिस ने इस वारदात का खंडन नहीं किया और माना कि घटना 4 मई की है। पुलिस के मुताबिक़ 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के वीडियो के संबंध में हथियारबंद अज्ञात बदमाशों के खिलाफ नोंगपोक सेकमाई पुलिस थाने में अपहरण, गैंगरेप और हत्या आदि का मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू कर दी गई है।
हमारा मणिपुर बीते ढाई महीने से हिंसा की आग में झुलस रहा है। यहां अब तक 120 से ज्यादा निर्दोष लोग मारे जा चुके हैं, लेकिन भाजपा के सहयोग से चल रही मणिपुर की डबल इंजन की सरकार न हिंसा पर काबू हासिल कर सकी है और न नफरत की आग बुझा पायी है। उलटे अब अराजक तत्व मणिपुर की महिलाओं की अस्मिता का सार्वजनिक रूप से चीरहरण करते नजर आने लगे हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की अमरीका यात्रा पर आग उगलने वाली भाजपा की सम्माननीय प्रवक्ता श्रीमती स्मृति ईरानी की वाणी को अब जैसे काठ मार गया है। वे नपे-तुले शब्दों में कैमरे पर आये बिना ट्विटर पर कह रही हैं कि-”मणिपुर से आया दो महिलाओं पर यौन हिंसा का भयावह वीडियो निंदनीय और सर्वथा अमानवीय है. सीएम एन बीरेन सिंह जी से बात की है जिन्होंने मुझे बताया है कि जांच अभी चल रही है और आश्वासन दिया कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी”।
मणिपुर की हिंसा पर राजनीति नहीं कार्रवाई होना चाहिए, जो होकर भी होती सी नहीं दिखाई दे रही। केंद्रीय गृह मंत्री मणिपुर को शांत करने के लिए भगीरथ प्रयास कर रहे हैं किन्तु उनके बारे में देश को कुछ नहीं पता। दुनिया-जहान की खबर रखने वाले और दुनिया भर में घूमने वाले हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी को मणिपुर जाने की फुर्सत अभी नहीं मिली है, हालांकि वे मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनावी रैलियों को सम्बोधित करने के लिए समय निकाल चुके हैं। प्रधानमंत्री जी की व्यस्तता को लेकर मुझे टिप्पणी करने का कोई हक मुझे नहीं है। मुमकिन है कि वे मणिपुर के लिए कुछ तो कर ही रहे होंगे। देश उम्मीद कर रहा है कि प्रधानमंत्री जी शायद संसद को अपनी कोशिशों के बारे में कोई जानकारी दें।
जलते, खून में नहाये और अब निवस्त्र हो चुके मणिपुर में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पीड़ितों के बीच पहुँच चुके हैं लेकिन वे भी वहां क्या कर सकते हैं? सरकार तो उनकी पार्टी की है नही। सरकार तो डबल इंजन की सरकारें चलने वाली भाजपा और उसके सहयोगी दलों की है। यानि सबकी सरकार है किन्तु सबकी रक्षा नहीं कर पा रही है। प्रधानमंत्री जी ऐसी परिस्थितियों में कांग्रेस की तरह किसी नाकाम सरकार को बर्खास्त करने का पाप नहीं करते। उनकी पार्टी पापियों के पाप धोने वाली सरकार है। लेकिन मणिपुर में उन्हें कामयाबी नहीं मिल रही है। इसलिए कांग्रेस को सरकार की, प्रधानमंत्री की निंदा नहीं करना चाहिए।
मणिपुर की अस्मिता को निर्वस्त्र करने की घटना पर कार्रवाई कम ट्वीट ज्यादा हो रहे है। स्मृति ईरानी के ट्वीट के जबाब में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया है। वे कहती हैं कि-”मणिपुर से आ रही महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की तस्वीरें दिल दहला देने वाली है। महिलाओं के साथ घटी इस भयावह हिंसा की घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। समाज में हिंसा का सबसे ज्यादा दंश महिलाओं और बच्चों को झेलना पड़ता है। हम सभी को मणिपुर में शांति के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हिंसा की एकस्वर में निंदा करनी पड़ेगा। केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री जी आखिर मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर आंख मूंद कर क्यों बैठे हैं? क्या इस तरह की तस्वीरें और हिंसक घटनाएं उन्हें विचलित नहीं करतीं?”
प्रियंका गांधी के भाई राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निशाना साधा है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ”पीएम की चुप्पी और निष्क्रियता ने मणिपुर को अराजकता की ओर धकेल दिया है। जब मणिपुर में भारत के विचार पर हमला किया जा रहा है तो उनका नवगठित गंठबंधन चुप नहीं रहेगा। हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं. शांति ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।” तृणमूल कांग्रेस के नेता नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, कि ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आप संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बोलिए। मन की बात बहुत हो गई, समय मणिपुर की बात करने का है। अगर आप मणिपुर पर नहीं बोलते हैं तो आप संसद को बाधित करने के आरोपी होंगे।”
मणिपुर को लेकर हमारे नेता ट्वीट के अलावा कुछ कर ही नहीं सकते। उनके हाथ में करने के लिए कुछ है ही नहीं। इसलिए बेचारे दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि- ”मणिपुर की वारदात बेहद शर्मनाक और निंदनीय है. भारतीय समाज में इस तरह की घिनौनी हरकत बर्दाश्त नहीं की जा सकती. मणिपुर के हालात बेहद चिंताजनक बनते जा रहे हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस ट्वीट युद्ध में भाग लेते हुए ट्वीट किया कि ”संसद का मानसून सत्र क्या मोदी सरकार मणिपुर के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने वाली भयावह मानवीय त्रासदी पर चर्चा होने देगी? क्या प्रधानमंत्री अपनी चुप्पी तोड़ेंगे और समाधान की दिशा में कदम आगे बढ़ने के लिए देश को विश्वास में लेंगे?”
संसद में मणिपुर की हिंसा,आगजनी और नंगई को लेकर सरकार बहस होने देगी इसमें मुझे भी जयराम रमेश की तरह आशंका है। मुझे लगता है कि सरकार बहस के बजाय संसद में हंगामे को प्राथमिकता देगी ताकि बहस से बचा जा सके। विपक्ष जितने दिन चाहे हंगामा करे लेकिन सरकार विपक्ष को रोकेगी नहीं, इसलिए जरूरी है कि विपक्ष संसद में हंगामा करने के बजाय बहस पर जोर दे। संसद छोड़े नही। संसद के भीतर बात न सुनी जाये तो संसद के बाहर अपनी मांग करे, लेकिन मणिपुर को जलने से बचने के उद्यम में शामिल हो, अन्यथा विपक्ष भी उसी पाप का भागीदार माना जाएगा जो पाप मणिपुर को लेकर भाजपा कर रही है।
देश को याद है कि जम्मू-कश्मीर में मणिपुर की ही तरह की स्थितियों को आधार बनाकर हमारी सरकार ने पांच साल पहले जम्मू-कश्मीर को तीन टुकड़ों में बांटकर वहां से धारा 370 हटा दी थी,लेकिन मणिपुर को लेकर उसे काठ मार गया है। बहरहाल हमें न फिल्म की जरूरत है और न किसी सरकार को गिराने की मांग हम करते हैं। मणिपुर को लेकर कोई विवेक अग्निहोत्री फिल्म बनाने का साहस नहीं कर रहा, क्योंकि ऐसी फ़िल्में अगर बनेंगी तो भाजपा और उसकी डबल इंजन की सरकार तथा सरकार के नेता बेनकाब होंगे।
हम और देश चाहता है कि सरकार मणिपुर पर संसद में श्वेतपत्र लाये और अपनी उपलब्धियों तथा नाकामियों को बिना हिचके सार्वजनिक करे।