

Ahmedabad Plane Crash: सावधानी हटी, दुर्घटना घटी: जिम्मेदारी किसकी?
राजेश जयंत
अहमदाबाद प्लेन हादसे ने एक बार फिर दिखा दिया कि छोटी-सी लापरवाही कितनी बड़ी त्रासदी ला सकती है। हादसे के बाद पायलट की गलती, मेंटेनेंस कंपनी की लापरवाही और सेफ्टी नियमों की अनदेखी पर सवाल उठे हैं। कई बार कंपनियां खर्च बचाने के चक्कर में सुरक्षा मानकों से समझौता कर लेती हैं, जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ता है।
“एक झटके में बची एकमात्र जिंदगी”
इस हादसे में सिर्फ विश्वास कुमार की जान बची, वो भी एक संयोग की वजह से। उनकी सीट के पास का दरवाजा खुलना और तेज हवा का आना, उनकी जिंदगी के लिए वरदान साबित हुआ। बाकी 241 यात्रियों की जान नहीं बच सकी, जिससे हादसे की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
“अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सेफ्टी नियमों की अनदेखी”
ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका जैसी विकसित देशों में भी हो चुका है। वहां भी फ्लाइट कंपनियों पर सेफ्टी नियमों की अनदेखी के आरोप लगे हैं। इससे साफ है कि सुरक्षा के मामले में कोई भी देश या कंपनी लापरवाही नहीं बरत सकती।
“जांच जारी, जवाब का इंतजार”
फिलहाल हादसे की जांच चल रही है। एक ब्लैक बॉक्स मिल चुका है, दूसरा ढूंढा जा रहा है। असली वजह सामने आने में वक्त लगेगा, लेकिन उम्मीद है कि इस बार जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होगी और भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई नहीं जाएगी।
“एक्सपर्ट” (फ्लाइट सिम्युलेटर विशेषज्ञ, CNN-News18 से)
“पायलट्स को प्रतिक्रिया देने का समय बहुत कम मिला। शुरुआती जांच में ‘नो थ्रस्ट’ अलर्ट मिला, जिससे दोनों इंजनों में अचानक पावर फेलियर की आशंका है। यह एक बेहद दुर्लभ और जटिल तकनीकी गड़बड़ी लगती है, जिसकी पुष्टि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी।”
“सरकारी बयान”
भारत सरकार ने हादसे पर गहरा शोक जताते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत हाई लेवल कमेटी बनाई है, जो तीन महीने में जांच रिपोर्ट देगी।
मंत्री राममोहन नायडू ने कहा, “जांच पूरी पारदर्शिता से होगी, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद दी जाएगी।”
FAA (अमेरिका) ने कहा, “भारत सरकार हादसे की जांच का नेतृत्व कर रही है, जरूरत पड़ने पर NTSB और FAA तकनीकी सहयोग देंगे।”
“सरकार की जिम्मेदारी”
इस बड़ी विमान दुर्घटना में सरकार की जिम्मेदारी बनती है, क्योंकि विमानन क्षेत्र की निगरानी और सुरक्षा नियम लागू करना मंत्रालय का काम है।
अक्सर हादसों के बाद विपक्ष और जनता मंत्री के इस्तीफे की मांग करते हैं, जैसे इस बार भी हुआ है। कई बार नैतिकता के आधार पर मंत्री पदों से इस्तीफे भी हुए हैं, लेकिन मौजूदा सरकार में ऐसे इस्तीफे कम ही देखने को मिलते हैं।
इस्तीफे को लेकर राजनीति में अलग-अलग राय है- कुछ लोग मानते हैं कि जांच पूरी होने तक मंत्री को पद पर बने रहना चाहिए, तो कुछ नैतिक जिम्मेदारी के तहत तुरंत इस्तीफा मांगते हैं।
“घटना का संक्षिप्त विवरण”
एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, जिसमें कुल 242 लोग (2 पायलट, 10 केबिन क्रू, 230 यात्री) सवार थे।
टेकऑफ के दो मिनट बाद ही विमान मेघानीनगर के मेडिकल कॉलेज हॉस्टल और आसपास की बिल्डिंगों पर क्रैश हो गया।
इस हादसे में 241 यात्री और स्टाफ की मौत हो गई, सिर्फ एक यात्री (विश्वास कुमार, सीट 11A) बच सके।
मेडिकल हॉस्टल में मौजूद 33 लोग (डॉक्टर, छात्र, कर्मचारी और उनके परिजन) भी मारे गए।
कुल मृतकों की संख्या 274 पहुंच गई है, जो भारत के विमानन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है।
पायलट: कैप्टन सुमित सभरवाल (8200 घंटे का अनुभव), फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर (1100 घंटे)।
यात्रियों में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे।
ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है, जांच जारी है।
” पीड़ित परिवारों की प्रतिक्रिया और राहत पैकेज”
हादसे के बाद अस्पताल के बाहर परिजनों की भीड़ उमड़ पड़ी। कई परिवारों का कहना है कि उन्हें हादसे की सूचना मीडिया से मिली, एयरलाइन या प्रशासन से नहीं। एक यात्री के भाई ने कहा—‘हमारी दुनिया उजड़ गई, सरकार से बस यही उम्मीद है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।’
सरकार ने मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने का ऐलान किया है।
टाटा ग्रुप (एयर इंडिया) ने हर मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय नियम (Montreal Convention) के तहत एयर इंडिया को हर मृत यात्री के परिवार को करीब 1.8 करोड़ रुपये (151,880 SDR) का कानूनी मुआवजा भी देना होगा- यह राशि 1 करोड़ के अलावा है।
PM मोदी ने राहत कार्यों की समीक्षा की और कहा- ‘किसी भी जिम्मेदार को बख्शा नहीं जाएगा।’