Ahmedabad Plane Crash: अगर हादसों की जिम्मेदारी तय नहीं होगी तो होते ही रहेंगे हादसे!

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Ahmedabad Plane Crash: अगर हादसों की जिम्मेदारी तय नहीं होगी तो होते ही रहेंगे हादसे!

रंजन श्रीवास्तव

लगभग 2 महीनों के बाद भी देश को यह जानना बाकी है कि पहलगाम में गूलर के फूल की तरह नहीं दिखने वाली सुरक्षा व्यवस्था के लिए जिम्मेदार कौन है जिसके कारण 26 निर्दोष देशवासियों की नृशंस हत्या पाकिस्तान द्वारा पाले पोसे हुए आतंकवादियों द्वारा कर दी गई.

पर इसी बीच अहमदाबाद में हृदयविदारक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर दुर्घटना 279 जिंदगी लील गया. यह दुर्घटना इसलिए भी एक बड़ी दुर्घटनाओं में याद किया जाएगा कि इसमें वे निर्दोष नागरिक भी मारे गए जो कि प्लेन में सवार नहीं थे (उनमें कई एमबीबीएस स्टूडेंट्स और डॉक्टर थे) और जिन्होंने यह सपने में भी नहीं सोचा रहा होगा कि उनकी मौत इस तरह से आ जाएगी.

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इस दुर्घटना के शिकार अलग अलग व्यक्तियों की या परिवारों की बात करें तो यह दिल को और भी आघात पहुंचाने वाला है.

एक ऐसा फोटो जिसमें एक डॉक्टर अपने पत्नी और तीन बच्चों के साथ दिखाई दे रहे हैं. लंदन में जाकर पूरे परिवार का एक साथ रहने और नया जीवन शुरू करने की खुशी सबके चेहरे पर दिख रही थी जो कि दुर्घटना के कुछ सेकेंड्स में ही स्वाहा हो गई. एक नववधू का लंदन पहुंचकर अपने पति के साथ रहने का सपना और रोमांच सिर्फ़ कुछ क्षणों में बोइंग दुर्घटना में सवा लाख लीटर फ्यूल के आग की भेंट चढ़ गया.

इसी तरह दुर्घटना के शिकार हर एक व्यक्ति का जीवन, उसके सपने, आशा और आकांक्षा और साथ ही उनके द्वारा विभिन्न परिवारों तथा समाज की उन्नति में जो योगदान होता वह हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया. सिर्फ़ बचा तो एक गहरा शून्य जिसकी भरपाई असंभव है.

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यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि क्या इस बड़ी दुर्घटना के पीछे कोई मानवीय भूल थी या कोई गंभीर तकनीकी कारण था या कोई साजिश पर इस दुर्घटना के बाद ऐसी बहुत सी खामियां बाहर निकल कर सामने आ रही हैं जो सिविल एविएशन के सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यानी सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़ा करती हैं.

यह सत्य है कि पूरे विश्व में उड़ान भर रही 1100 से ज़्यादा बोइंग ड्रीमलाइनर के बीच यह पहला बोइंग प्लेन था जो दुर्घटनाग्रस्त हुआ पर सवाल यह भी उठता है कि क्या इस बैकग्राउंड के कारण बोइंग बनाने वाली कंपनी या एयर इंडिया इतने लापरवाह तो नहीं हो गए कि व्हिसलब्लोअर्स और यात्रियों द्वारा समय समय पर उठाए गए खामियों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया?

यहां महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि जिन व्हिसलब्लोअर्स ने गंभीर खामियों पर सवाल उठाए वे कोई तकनीक के ग़ैर जानकार नहीं बल्कि वे बोइंग कंपनी से ही पूर्व में संबद्ध रह चुके थे.

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बोइंग के एक पूर्व इंजीनियर सैम ने आरोप लगाया था कि 787 ड्रीमलाइनर के निर्माण में शॉर्टकट अपनाए गए जिससे विमान के स्ट्रक्चर पर जोखिम उत्पन्न हो गया. उन्होंने यह भी कहा कि विमान के फ्यूजलेज के हिस्सों को जोड़ने में गलत तरीके अपनाए गए जिसके कारण गैप रह गए और ये गैप लंबे समय तक उड़ान के दौरान विमान की बॉडी को कमजोर कर सकते हैं.

एक अन्य व्हिसलब्लोअर जो कि एक समय बोइंग में अधिकारी रह चुके थे ने यहां तक दावा किया कि प्रोडक्शन में देरी से बचने के लिए कर्मचारी जानबूझकर घटिया क्वालिटी के पुर्जे इस्तेमाल करते थे. उन्होंने इस विषय पर प्रबंधन का ध्यान भी आकृष्ट किया पर उनके शिकायतों का संज्ञान नहीं लिया गया.

एयर इंडिया पर भी समय समय पर सुरक्षा मानकों से समझौता करने का आरोप लगता रहा है.

दुर्घटनाग्रस्त विमान में ही दुर्घटना के ठीक पहले दिल्ली से अहमदाबाद तक की यात्रा कर चुके एक यात्री ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर यह दावा किया कि विमान में कुछ तकनीकी समस्याएं हैं जैसे एयर कंडीशनिंग का काम नहीं करना और डिस्प्ले का बंद होना.

उस यात्री ने यह भी कहा कि लैंडिंग के दौरान खड़खड़ाहट की आवाज सामान्य नहीं थी. इस यात्री का सोशल मीडिया पर पोस्ट बोइंग ड्रीमलाइनर के अहमदाबाद से उड़ान के पूर्व आ गया था पर ऐसा लगता नहीं कि एयर इंडिया ने इस यात्री की चिंता को गंभीरता से लिया और तकनीकी पक्ष की पूर्ण रूप से जांच के बाद अपने जवाब से उस यात्री को संतुष्ट करने का प्रयास किया.


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प्रारंभिक रूप से कई एक्सपर्ट्स का यही मानना है कि विमान जिस तरीके से नीचे गिरा उससे यही लगता है कि विमान का कोई इंजन फेल नहीं हुआ बल्कि विमान किसी तकनीकी कारण से उड़ान के तुरंत बाद थ्रस्ट नहीं ले पा रहा था. टेकऑफ के बाद उस ऊंचाई पर लैंडिंग गियर का पूरी तरह से बंद नहीं हो पाना भी इसी तकनीकी पक्ष की तरफ़ इंगित कर रहे हैं.

इस घटना के बाद डीजीसीए ने हर उड़ान के पूर्व विमान की पूर्ण तकनीकी जांच अनिवार्य कर दिया है. तो क्या यह समझा जाए कि हर उड़ान के पूर्व तकनीकी जांच में अभी तक एक बहुत बड़ा गैप था जिसकी तरफ़ ध्यान दुर्घटना के बाद ही दिया जा रहा है?

अगर इतनी शिद्दत से तकनीकी जांच नहीं होती थी तो इसका जिम्मेदार कौन है?

स्वयं डीजीसीए में ही बहुत सारे पोस्ट खाली पड़े हुए हैं. कौन जिम्मेदार है मानव संसाधन में इस भारी कमी का. यह कैसे संभव है कि विमान संचालन और सुरक्षा से जुड़े जैसे गंभीर और तकनीकी पक्ष की पूरी मॉनिटरिंग स्टाफ की कमी के रहते संभव है और वह भी तब जबकि सिविल एविएशन के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से विस्तार हुआ है और सरकार के कथन के अनुसार वह हवाई चप्पल पहनने वाले व्यक्तियों को हवाई यात्रा का सुविधा देना चाहती है.