

Ahmedabad Plane Crash-Maithili Patil : आसमान छूने का सपना:मैथिली की उड़ान और न्हावा गांव का दर्द
डॉ. रूचि बागडदेव
कहते हैं जब कोई दुआ फलती है तो बेटी जन्म लेती है ,और बेटी चाहती है मैं बेटी बनकर आऊँगी, फिर मुझको भी यह विस्तृत संसार मिले। आज हम उसी बेटी की बात कर रहे हैं जो दुआ बन कर ही जन्मी थी और उसने अपने लिए विस्तृत आसमान चुना था। आकाश से विस्तृत तो कुछ हो ही नहीं सकता और उसे वो आकाश मिला भी ,बल्कि कहना चाहिए वह आकाश उसने खुद बनाया था अपनी पारिवारिक ,आर्थिक और संघर्ष भरे जीवन के बीच से। कौन अपनी एसी बेटी पर नाज नहीं करना चाहेगा।
महाराष्ट्र के छोटे से न्हावा गांव की होनहार बेटी मैथिली पाटिल, जिन्होंने 2021 में 12वीं के बाद केबिन क्रू कोर्स किया और एयर इंडिया में इंटरनेशनल फ्लाइट अटेंडेंट बनीं, गांव की पहली केबिन क्रू थीं। बचपन से ही आसमान छूने का सपना देखने वाली मैथिली ने कठिन हालात और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अपने सपनों को सच किया। गाँव की विषम परिस्थिति से निकल कर इंटरनेशनल फ्लाईट के स्टाफ में शामिल होना फक्र का ही विषय रहा होगा परिवार के लिए. पर शायद इस उपलब्धि को नजर लग गई और चाँद तारों को छूने की आशा रखने वाली मैथिली खुद ही आसमान में ही गुम हो गई ,चाँद तारों के बीच एक सितारा बन कर।
बेहद काल और अशुभ दिन था वह जब अहमदाबाद के एयर एयर पोर्ट परफ्लाइट AI-171 पर स्टाफ अपनी उड़ान की कल्पना और सफर में साथ उड़ान भरने वाले अनजान यात्रियों को मुस्कुराते हुए स्वागत कर रहा था किसे पता था यह मुस्कान उनकी आखरी मुस्कान होगी ,विदेश यात्रा अनंत यात्रा में बदल जायगी ?कौन करता है इस तरह की कल्पना ,और क्यों करे कोई ,रोज ही हजारों फ्लाईट उड़ान भरती है, जो लोग अपनी ड्यूटी पर होते है उनके लिए यह रोज मर्रा के काम में बदल जाता है ,हंसती मुस्कुराती जिन्दगी आते वक्त बक्सों में बंद एक नम्बर भर रह जायगी। पर, अनहोनी इसी को कहते हैं. दुर्भाग्य से उस काले दिन अनहोनी घट गई और पलक झपकते जाने कितने सपने अधूरे रह गए। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के अहमदाबाद में हुए हादसे में मैथिली समेत 274 लोगों की मौत हो गई! इस हादसे ने छोटे से गाँव की बेटी के चले जाने से पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया!!
मैथिली के निधन से न्हावा गांव में गहरा शोक और दुःख पसर कर आ बैठा। गाँव की बेटियों के लिए जो रोल माडल मैथली नहीं रही थी, रही है बस उसकी यादें। मैथिली की सादगी, अनुशासन और संघर्ष की मिसाल गांव की हर बेटी के लिए प्रेरणा रही। गांव के हर व्यक्ति और विशेषकर कर गांव की बेटियों को मैथिली पर नाज़ था। गांव के लोग उनकी उपलब्धियों को याद कर भावुक हैं, हर कोई उन्हें मिस कर रहा है। और करें भी क्यों ना, मैथिली पाटिल की कहानी है ही ऐसी, जो सभी को प्रेरणा देती है…
“मैथिली की सफलता की कहानी”
मैथिली महाराष्ट्र के न्हावा गांव की पहली केबिन क्रू सदस्य थीं, जिन्होंने एयर इंडिया में काम किया और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में सेवा दी। मैथिली का सपना बचपन से ही आसमान छूने का था… उन्होंने लेडी खातून मरियम स्कूल से पढ़ाई की, 2020-21 में 12वीं पूरी की और फिर केबिन क्रू का कोर्स किया।
स्कूल की प्रिंसिपल दैसम्मा पॉल बताती हैं कि मैथिली बेहद विनम्र और अनुशासित छात्रा थीं। वे हाल ही में स्कूल में करियर गाइडेंस देने भी आई थीं, बच्चों को प्रोत्साहित करती थीं कि सपनों के लिए मेहनत करो। उनके पिता मोरेश्वर पाटिल ओएनजीसी में कर्मचारी हैं, जिन्होंने आर्थिक संघर्षों के बावजूद मैथिली के सपनों को उड़ान दी।
गांव के पूर्व सरपंच हरिश्चंद्र म्हात्रे और अन्य ग्रामीण बताते हैं कि मैथिली का स्वभाव बहुत सरल था, वह हमेशा अपने लक्ष्य पर फोकस्ड रहती थीं। उनके संघर्ष और सफलता ने पूरे गांव को गर्व महसूस कराया।
मैथिली ने हमेशा अपने सपनों के लिए संघर्ष किया.. स्कूल के दिनों से ही वह अनुशासित और मेहनती थीं। उनके गांव के लोग, स्कूल की प्रिंसिपल और परिवार सभी उनकी सादगी और लगन के कायल थे। हादसे वाले दिन उन्होंने सुबह मां से फोन पर बात की थी, लेकिन दोपहर में यह दुखद खबर पूरे गांव को सदमे में डाल गई ।
“गांव की लड़कियों के लिए देखे थे ख्वाब”
मैथिली का सपना था कि गांव की लड़कियां भी आगे बढ़ें, इसलिए वह स्कूल में करियर गाइडेंस देने जाती थीं और बच्चों को सपने देखने और मेहनत करने के लिए प्रेरित करती थीं। उनकी सफलता ने पूरे गांव को गर्व से भर दिया था, लेकिन उनका अचानक जाना सबके लिए बहुत बड़ा झटका है। मैथिली की कहानी इस बात की मिसाल है कि कठिन हालात में भी हिम्मत और मेहनत से सपनों को छुआ जा सकता है।
“कहा था पिता से- लौट कर आऊंगी”
विषम परिस्थितियों और विकट आर्थिक हालात में पढ़ाई पूरी कर एयर इंडिया में एयर होस्टेस बनने वाली मैथिली ने अपने पिता मोरेश्वर पाटिल से वादा किया था कि लंदन पहुंचकर सबसे पहले उन्हें फोन करेंगी, लेकिन दुर्भाग्य से एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गई और मैथिली समेत 274 लोगों की जान चली गई.
“यादों में मैथिली”
पिता का दुःख कौन समझेगा ,यह दुःख कभी ख़त्म नहीं होगा ,राखी – भाई दूज , होली – दिवाली ,गाँव में बेटियों के ब्याह देख कर मन में कहीं टीस उठेगी काश ——– तब पिता के दिलोदिमाग में भायं भायं करते सन्नाटे गूंजने लगेगें।
माखन लाल चतुर्वेदी की एक कविता याद आ रही हैं मुझे –
सावन आवेगा, क्या बोलूँगा हरियाली से कल्याणी?
भाई-बहिन मचल जायेंगे, ला दो घर की, जीजी रानी,
मेंहदी और महावर मानो सिसक सिसक मनुहार करेंगी,
बूढ़ी सिसक रही सपनों में, यादें किसको प्यार करेंगी?
दीवाली आवेगी, होली आवेगी, आवेंगे उत्सव,
’जीजी रानी साथ रहेंगी’ बच्चों के? यह कैसे सम्भव?
भाई के जी में उट्ठेगी कसक, सखी सिसकार उठेगी,
माँ के जी में ज्वार उठेगी, बहिन कहीं पुकार उठेगी!-
दुखद विमान हादसे में मैथिली की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया है। घर परिवार सहित पूरा गांव शोक में डूबा है.. सबको मैथिली की उपलब्धियों पर गर्व भी है और कमी तो ऐसी जिसकी पूर्ति हो पाना नामुमकिन है… अब मैथिली उनकी यादों में है… गांव की बालिकाएं उदास है, उनके लिए ख्वाब देखने वाली, सपनों को उड़ान देने वाली “मैथिली दीदी” अब कभी लौट कर नहीं आएंगी..
“श्रद्धांजलि और संकल्प”
मैथिली की याद में गांव के स्कूल में श्रद्धांजलि सभा रखी गई, जहां बच्चों, शिक्षकों और ग्रामीणों ने मोमबत्तियां जलाकर उन्हें याद किया। सभी ने उनकी उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हुए गांव की बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया।
डॉ. रूचि बागडदेव
Ahemedabad Plane Crash: पीड़ा का वो मंजर,अधूरे सपनों की दास्तां!