

Kissa-A-IPS: Shalini Agnihotri- मां के अपमान ने दिल में IPS अफसर बनने की जिद जगाई!
सुरेश तिवारी
जब हौसले बुलंद हों, तो कोई भी सपना हकीकत बनने से नहीं रुकता। इस बात को सच साबित किया शालिनी अग्निहोत्री ने। सीमित संसाधनों में पली-बढ़ी शालिनी के पिता रमेश अग्निहोत्री हिमाचल रोडवेज में कंडक्टर थे। परिवार की आर्थिक स्थिति साधारण थी। लेकिन, शालिनी के सपने असाधारण थे। ऐसे में शालिनी ने बिना घर में किसी को बताए और बिना बड़े शहर में कोचिंग की मदद लिए अकेले ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की और अपने सपने को साकार किया।
जिस यूपीएससी सिविल सर्विस जैसी मुश्किल परीक्षा को क्रैक करने में स्टूडेंट्स को सालों लग जाते हैं, फिर भी उनमें से चंद के ही सपने पूरे होते हैं। वहीं, शालिनी अग्निहोत्री ऐसी स्टूडेंट है, जिसने UPSC परीक्षा बिना कोचिंग के क्रैक किया। लेकिन, उनकी सफलता का संघर्ष आसान नहीं था। शालिनी अग्निहोत्री मूलतः हिमाचल प्रदेश के ऊना जनपद के ठठुल गांव की रहने वाली हैं। अपनी स्कूलिंग धर्मशाला से की। वे शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में अव्वल रही। उन्हें 10वीं में 92% मार्क्स आए थे। 12वीं की बोर्ड परीक्षा में उनका रिजल्ट 77% था।
स्कूल की पढाई ख़त्म करने के बाद शालिनी ने हिमाचल यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने एमएससी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद बाद शालिनी का मन सिविल सर्विस में जाने का हुआ। क्योंकि, उनके दिल-दिमाग में मां के साथ बदतमीजी वाली एक पुरानी घटना बसी थी। इसके लिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। जानिए कि बचपन की वो घटना क्या थी, जिसने उन्हें प्रेरित किया।
शालिनी का प्रशासनिक/ पुलिस सेवा की ओर रुझान किसी की प्रेरणा या भाषण से नहीं हुआ। बल्कि एक घटना से पैदा हुई। एक बार यात्रा के दौरान उनकी मां के साथ हुई बदसलूकी ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया। वे बस में जिस सीट पर वो बैठी थी, उसके बगल में एक व्यक्ति खड़ा था, जो बार-बार उनकी सीट के हैंडल को पकड़ रहा था। जिससे उन्हें परेशानी हो रही थी। मां ने कई बार शख़्स से हाथ हटाने के लिए कहा, लेकिन उसने अनसुना कर दिया। उल्टा ताने मारा ‘तुम कहीं की डीसी हो क्या, जो तुम्हारे आदेशों का पालन करना जरूरी है? उस समय शालिनी छोटी थी। लेकिन, उस पल ने उन्होंने ठान लिया कि वे खुद को इतना सशक्त बनाएंगी कि व्यवस्था का हिस्सा बनकर बदलाव ला सकें।
शालिनी ने यूपीएससी की तैयारी के कोई कोचिंग भी नहीं की। उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा ऑनलाइन क्लास और सेल्फ स्टडी से क्रैक की। UPSC CSE 2011 में शालिनी को रैंक 285 मिली और उन्हें IPS के लिए चुना गया। उनके दिल में हमेशा सार्वजनिक सेवा में जाने का लक्ष्य था। उन्होंने खुद पढ़ाई की, ऑनलाइन सामग्री का इस्तेमाल किया और कभी ध्यान केंद्रित करना नहीं छोड़ा। 2011 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी पास किया और आईपीएस के तौर पर चुनी गई।
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शालिनी अग्निहोत्री का विवाह संकल्प शर्मा से हुआ, जो उत्तर प्रदेश में आईपीएस अफसर है। दोनों में सात साल तक प्यार चला। संकल्प शर्मा उत्तर प्रदेश में पुलिस अधीक्षक बने, तो शालिनी अग्निहोत्री हिमाचल प्रदेश में एसपी बन गई। बीते 5 मार्च को दोनों का विवाह हुआ। संकल्प शर्मा राजस्थान के रहने वाले हैं, जबकि शालिनी हिमाचल की निवासी हैं।
शालिनी सिर्फ पुलिस अधिकारी नहीं, बल्कि युवाओं के लिए मिसाल हैं, जो सीमित संसाधनों में भी बड़े ख्वाब देख रहे हैं। उन्होंने दिखा दिया कि UPSC परीक्षा कोचिंग या महंगे संसाधनों से नहीं, बल्कि लक्ष्य और आत्मविश्वास ही असली हथियार होते हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की पहली महिला SP बनने का कीर्तिमान भी स्थापित किया। उनकी गिनती देश के तेज-तर्रार IPS अफसरों में होती है। उनकी उपलब्धियों की फेहरिस्त बेहद ही लंबी है। आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान भी सर्वश्रेष्ठ कैडेट भी बनी थी।
DoPT द्वारा 25 मई 2025 को जारी आदेश के अनुसार शालिनी अग्निहोत्री (IPS) को शिक्षा मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग में उप सचिव के पद पर नियुक्ति के लिए चुना गया है। शालिनी हिमाचल प्रदेश कैडर की 2012 बैच की भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में पुलिस अधीक्षक कांगड़ा के पद पर तैनाती के बाद केंद्र सरकार में पदस्थ की गई है।