Ahemedabad Plane Crash: पीड़ा का वो मंजर,अधूरे सपनों की दास्तां!

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Ahemedabad Plane Crash: पीड़ा का वो मंजर, अधूरे सपनों की दास्तां

                        काला धुंआ भरा  वो गुबार क्यूँ उठा  जिसने उम्मीदों के     

                          उजाले ढक कर काला स्याह दिन लिख दिया 

स्वाति तिवारी

पीड़ा का जो मंजर अहमदाबाद के प्लेन क्रैश के बाद दुनिया के नक़्शे पर , समूचे वातावरण में इस तरह पसर गया है कि इससे उबरने में शायद लोगों को जीवन भी कम पडेगा। कोई कैसे भूलेगा उस सुन्दर सपने को जो उन्होंने अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य को लेकर देखें होंगे। कोई कैसे भूलेगा उस नन्ही किलकारी को जो नवजात की गूंजी थी और वह  नवजात बच्चा पिता तक पंहुच भी नहीं पाया। और हादसे के ऊपर हादसा,यह दर्द केवल विमान के अन्दर ही नहीं अपने अपने सुरक्षित स्थानों पर बैठे लोगों को भी लील गया, उनको भी जो सपने थे माता पिता के होनहार ,कर्णधार युवा  डॉक्टर। वे तो अपने सपने पूरे  करने गए थे अहमदाबाद। क्या कभी कल्पना की होगी किसी ने कि मेडिकल कॉलेज जहाँ जीवन को बचाया जाता है, मौत उसे भी नहीं छोड़ेगी ,वही आ टपकेगी, और सपने बिखर जायंगे ?

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थाली के पहले निवाले के साथ वे खुद मौत का ग्रास बन जायंगे ? एक ऐसा ही सपना टूट गया मध्यप्रदेश के आर्यन का भी। अहमदाबाद मेडिकल कॉलेज की मेस में मंगलवार दोपहर अचानक दुर्घटनाग्रस्त विमान का मलबा छप्पर फाड़कर अंदर आ गिरा और इसी के साथ आर्यन और उसके परिवार के सारे सपने समाप्त हो गए।
इस दर्दनाक हादसे में हुई मेडिकल छात्रों की मौतों में एक नाम ग्वालियर के “आर्यन” का भी है। मैं याद कर रही हूँ किसी प्रसिद्द कवि की पंक्तियाँ —

कुछ सपने, बस सपने ही रह जाते हैं,
पूरे होने से पहले ही खत्म हो जाते हैं,
चाहे कितनी भी कोशिश कर लो,
कुछ सपने अधूरे रह ही जाते हैं।
ये आधे ख्वाब आधे थे, आधे रह जाते हैं,
सपनों से जीने के नाते खो जाते हैं।

ग्वालियर के होनहार मेडिकल स्टूडेंट आर्यन को अहमदाबाद विमान हादसे ने काल का ग्रास बना दिया। मेडिकल स्टूडेंट की मेस में खाना चल रहा था और छप्पर फाड़ कर आई मौत ने आर्यन को असमय अपने परिवार से छीन लिया।
आर्यन के अचानक हमेशा हमेशा के लिए बिछुड़ जाने से जाने से परिवार, दोस्त और कॉलेज को गहरे सदमे में डाल दिया। अहमदाबाद में पढ़ाई कर रहे आर्यन का सपना था डॉक्टर बनना, लेकिन विमान हादसे ने सब कुछ छीन लिया।
ग्वालियर के एक छोटे से घर में पला-बढ़ा आर्यन, बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना आंखों में संजोए हुए था। मां की ममता, पिता की उम्मीदें, सब कुछ उसी के इर्द-गिर्द घूमता था। परिवार की हर सुबह आर्यन के नाम से शुरू होती थी, हर शाम उसकी हंसी से रोशन होती थी।

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आर्यन मेधावी छात्र था और वह एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की पढ़ाई करने के लिए अहमदाबाद के उसी मेडिकल कॉलेज के मैस में लंच करने गया था जिस पर यह विमान गिरा।
22 साल का आर्यन ग्वालियर के पास जिगसौली गांव का रहने वाला था और उसने गांव में ही रहकर नीट एंट्रेंस की तैयारी की थी। उसके निधन की दुखद खबर जैसे ही गांव वालों को पता चली सब शोक में डूब गए।

आर्यन राजपूत की मौत की खबर सुनकर उसके दोस्त काफी परेशान है। उनका कहना है कि 20 दिन पहले ही आर्यन गांव में आया और खूब हमारे साथ क्रिकेट खेला। आर्यन पढ़ने में काफी होशियार था। वह गांव का होनहार लड़का था। उसका बचपन से ही सपना था कि वह आगे जाकर डॉक्टर बनेगा, इसलिए उसने घर से ही नीट की तैयारी की और वह 700 नंबर लेकर आया।

अहमदाबाद के मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलना उसके लिए सिर्फ एक उपलब्धि नहीं, बल्कि टूटे सपनों को जोड़ने की शुरुआत थी। कॉलेज की मेस में दोस्तों के साथ हंसी-मजाक, पढ़ाई की टेंशन और भविष्य के सपनों की बातें- यही उसकी दुनिया थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 12 जून को जब आर्यन अपने दोस्तों संग मेस में लंच कर रहा था, आसमान से छप्पर फाड़ कर आई मौत ने सारी हंसी, खुशी, उम्मीद, भविष्य के सपने.. सब कुछ लील लिया।
आर्यन की असमय मौत ने मां-बाप की आंखों में हमेशा के लिए आंसू छोड़ दिए।मां कहती हैं, “उसका डॉक्टर बनना सिर्फ उसका नहीं, हमारा भी सपना था… अब सब अधूरा रह गया।”
पिता की आवाज़ में अब सिर्फ सन्नाटा है- “आर्यन उनका सपना था, जिसकी कमी कभी पूरी नहीं होगी।” वे चुपचाप सुन रहे हैं ,उस भयावह गर्जना को जो उस वक्त मेस की छत फाड़ कर उनके बेटे को उठा ले गई । वे अचानक अपने हाथ कान पर रख लेते है जैसे वह विस्फोट उनके ही ऊपर हुआ हो। एक पिता उस अनसुनी आवाजों को भी सुन रहा है कल्पनाओं में ,वह माँ बंद पड़े फोन की भी निर्धारित समय पर बजने वाली घंटी को ठीक उस टाइम पर सुनती है जैसे बस फोन आता ही होगा मानकर। कैसे उनकी पीड़ा उनके दर्द को शब्द दें जब की हम अनजान लोग भी निशब्द है उस दर्द में। डॉक्टर बनाना या बनना हथेली पर फसल उगाना नहीं है, यह एक कठिन तपस्या ही कही जा सकती है। आर्यन और वे बेमौत मारे गए भविष्य के डॉक्टर कितनों का जीवन बचाते, पर क्रूर मौत अपना पंजा फैला कर उन्हें ही उठा ले गई।
कॉलेज के गलियारों में गूंजती आर्यन की हंसी और उसकी एक झलक पाने को दोस्तों की आंखें तरस जाएगी।

प्लेन क्रैश: जब हॉस्टल की मेस से टकराया विमान, कैसी तबाही मची? सामने आया डरावना Video - India TV Hindi
हर कोई कहता है, “वो हमेशा सबका चहेता था, उसकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।” टूटे ख्वाब, बिछड़ती उम्मीदें और एक परिवार की तन्हाई- आर्यन की कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं, बल्कि अधूरे सपनों और बेमिसाल प्यार की दास्तां है।  इस हादसे ने जीवन को हिला कर रख दिया। समझा दिया कि हम अपने घर में भी सुरक्षित नहीं है। पर, नश्वर संसार की यह सच्चाई बेहद क्रूर  और दर्दनाक स्वरुप में सामने आई।यह अकाल्पनिक है। पीड़ा का मंजर हमें सालता रहेगा। यह केवल आर्यन का ही नहीं यह अधूरा सपना उन सभी डॉक्टर बन रहे या बन गए युवाओं का और उन परिवारों का भी है। भावी डॉक्टर के होस्टल के उन युवा साथियों को भी मेरा सलाम और उन आसपास के लोगों को भी, जिन्होंने बिना इन्तजार किये घायल छात्रों को उस आग और मलबे के बाहर निकाला।

दिवंगत हमारे अपने सभी लोगों को अश्रुपूरित नमन ! हम हमेशा उन्हें याद रखेंगे !

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स्वाति तिवारी