
Alirajpur कांग्रेस का Collectorate घेराव,
जनजातीय कार्य एवं शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और अफसरशाही के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन आज
– राजेश जयंत
Alirajpur जिले के शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग में बरसों से जारी भ्रष्टाचार, अफसरशाही और कोर्ट को गुमराह करने की घटनाओं से परेशान कांग्रेस ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट के घेराव और विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। कांग्रेस का कहना है कि यहां कई शिक्षक सालों से ऑफिस की कुर्सी पर जमे हैं, बच्चों को पढ़ाते नहीं, लेकिन ट्रांसफर की बारी आते ही राजनीति, अफसरशाही या कोर्ट में झूठी दलील देकर अपनी पोस्टिंग बचा लेते हैं।
ADPC रामानुज शर्मा का मामला इसकी सबसे बड़ी मिसाल है। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष महेश पटेल ने प्रेस वार्ता में बताया कि शर्मा सात साल से लगातार दफ्तर में टिके हुए हैं, स्कूल में पढ़ाने नहीं जा रहे। जब ट्रांसफर का आदेश आया तो उन्होंने कोर्ट में ये कहकर रोक लगवा दी कि “अगर मुझे हटाया गया तो बच्चों का नुकसान होगा”, जबकि असल में वे पढ़ा ही नहीं रहे।
पटेल का आरोप है कि अफसरों की मिलीभगत और निष्क्रियता ने पूरे सिस्टम को खोखला कर दिया है। फाइलें दब जाती हैं, सरकारी जांच सिर्फ कागजों तक रह जाती है और अफसर एक-दूसरे को बचाने में लगे रहते हैं।
पूर्व जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश राठौड़ ने भी कहा कि कांग्रेस का ये आंदोलन अब सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि जिले के बच्चों के भविष्य और ईमानदार प्रशासन की वापसी की लड़ाई बन चुका है।
उन्होंने कहा कि विभाग में कुछ लोग सालों से प्रशासनिक पदों पर कब्जा जमाए हुए हैं। जब भी तबादले या मूल पोस्टिंग पर लौटने का आदेश आता है, ये सत्ता या कोर्ट का सहारा लेकर अपनी जगह बचा लेते हैं। शर्मा तो बार-बार ट्रांसफर नीति को अपने फेवर में मोड़ते रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं ने लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल के 13 मई 2024 के पत्र का हवाला देते हुए बात रखी कि शर्मा को हटाकर विभागीय जांच होनी थी, लेकिन न तो कोई कार्रवाई हुई, न कोई रिपोर्ट आई। आरोप है कि जिले से लेकर राजधानी तक फाइलें दबा दी जाती हैं, पूरे मामले को छुपा दिया जाता है।
इस सबका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ा है। जिले की साक्षरता दर देश में सबसे नीचे पहुंच गई है। पढ़ाई, गाइडेंस और सपोर्ट की भारी कमी के बीच बच्चों और परिवारों के सामने परेशानियां ही परेशानियां हैं, लेकिन अफसर-शिक्षक वेतन, पद और सारी सुविधाएं ले रहे हैं।

कांग्रेस ने साफ-साफ़ कहा है कि अगर मंगलवार के प्रदर्शन के बाद भी दोषी शिक्षकों और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। इस आंदोलन को शिक्षकों, अभिभावकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है।
अब जिले की नजरें कलेक्ट्रेट पर और प्रशासन की कार्रवाई पर हैं।
क्या ईमानदार व्यवस्था लौटेगी या भ्रष्टाचार एक बार फिर जीत जाएगा?
अलीराजपुर के इस घेराव ने पूरे इलाके में जागरूकता और हलचल का माहौल खड़ा कर दिया है।





